ॐप्रभु का गुण कीर्तन महिमा का गान करना स्तुति हे। महिमा का स्वीकार करना स्तुति हे और प्रभु की आब्शायकता महसूस करना प्रार्थना है । प्रभु से यदि हमने अपना संबंध जोड़ा हे तो ये उपासना है। वो हमे अपना समझते हैं लेकिन हम न समझे तो ये उपासना है। कर्म हमारा बंधन का कारण न हो और चित में संस्कार न बने ये कर्म की सुचिता है। हम जिसका उपासना करेंगे वैसा ही बनेंगे । परकीर्ति में सुख दुख है अतः हम प्रकृति के उपासना से सुखी दुखी होंगे वही प्रभु तो आनंदमय, कल्याणमय शांत हे हम पुरुष अर्थात प्रभु की उपासना से शांतिमय , आनंदमय और कल्याणमय बनेंगे। चित में समाधान होना साधक की उपलब्धि है। गुरुजन आपत्ति रहित मार्ग से आगे बढ़ाने में मार्गदर्शन करते हैं गाइड की काम करते हैं। संसार में सबसे उतन चीज शुद्ध बुद्धि हे। या तो सूर्य बनो या शिशु इन दोनो को माया नही ब्याप्ती।
@ओम्नमोनारायणाय2 жыл бұрын
नमो नारायण
@Saumyaranjan-w2v2 жыл бұрын
ॐॐ ॐ ॐॐॐ
@rashtra_dharma_sarvopari49272 жыл бұрын
🧘🙏🧘♀️
@vikramdesai76952 жыл бұрын
🙏🙏🙏
@dkgamer1762 жыл бұрын
👍
@adarshkumarpandey18002 жыл бұрын
वेदांग -शिक्षा, कल्प, छंद, jyoutish का वीडियो लाये कृपया करके जरूरी है