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युवा किसान की वैदिक रसोई का खाना रोगों को दूर भगाता है | 50 साल पहले गांव के घरों की रसोई में जो खाना बनता था, वही खाना अब किसान ने अपनी वैदिक रसोई में बनाया है | इस वैदिक रसोई में मिट्टी के बर्तन मिट्टी के चूल्हे और शुद्ध ऑर्गेनिक भोजन सभी का जोड़ है| इस वैदिक रसोई को देखकर आप भी कहेंगे वाह
गांव में 50 साल पहले का खाना कैसा होता था इसकी एक झलक मिलती है इस वैदिक रसोई में |सालों पहले गांव में बिना पेस्टीसाइड का देसी खाना मिट्टी के चूल्हे और मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता था| ठीक उसी तरह इस वैदिक रसोई में नीरज कुमार मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के तव्वे मिट्टी की हांडी में मिट्टी के भगोने में शुद्ध देसी खाना बिना केमिकल वाला बनवाते हैं | इस रसोई को देखकर और यहां बनते हुए खाने को देखकर आपको गांव की 40 - 50 साल पहले की रसोई याद आ जाएगी |
अब आपको एक बार फिर से बता दें कि जो बाजरे की रोटियां बनाई गई है वह बिल्कुल शुद्ध देसी बाजरा है| हरा साग सरसों, मेथी, पालक और चने के साग को मिलाकर बनाया गया है | इसी तरह मिक्स वेज के लिए भी ऑर्गेनिक सब्जी प्रयोग की गई है और बथुआ का रायता बनाया गया है| बथुआ सेहत के लिए बहुत ही पौष्टिक साग होता है | इस तरह बिल्कुल पोस्टिक चीजें मिट्टी के बर्तनों में और मिट्टी के चूल्हे पर पकाने से टेस्ट में बहुत ज्यादा अंतर आ जाता है और एक बार यह टेस्ट आप लेंगे तो कहेंगे वाह क्या बात है|
नीरज कुमार अपने साथी अरुण के साथ मिलकर शुद्ध केमिकल फ्री मिट्टी के बर्तन बनाते हैं और इन्हीं मिट्टी के बर्तनों में अब आपको यह दादी - नानी की रसोई वाला गांव का शुद्ध भोजन खिलाना चाहते हैं ताकि आपको भी गांव से जुड़ने का एहसास हो | नीरज की तरह ही गांव में युवाओं को ऐसे ही वेंचर शुरू करने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार मिले और शहरी लोगों को गांव से जुड़ने का मौका मिले |
A progressive farmer is preparing food in his Vaidik Rasoi in clay utensils. He is making it with natural vegetables, natural grains. This food is really healthy and it can prevent us from Many diseases.
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