यहां कुछ ज्ञानी मुनियों को दोष देते रहते हैं और अपने नियम और व्रत और श्रद्धा का कैसे निर्वाह किया जाए उसका ध्यान नहीं रख पाते इस बारे में आपके विचार जरूर लिखिए
@nileshjain76296 сағат бұрын
मुनियों को दोष देने के सिवा आम आदमी अपने कितने नियम बताए थे निभाता है उसे बारे में प्रवचन में बोलना चाहिए आप लोगों को
@bhushanjain44787 сағат бұрын
Jai jinender ji guru ji
@BaljitSingh08410 сағат бұрын
Sardar Baljit Singh Punjab
@nileshjain762911 сағат бұрын
डॉक्टर साहब मुनियों की मिथ्या दृष्टि के बारे में तो आपने बहुत कुछ बताया पर सामान्यतः जो साधारण मानव है जो अपने को नियम की मर्यादा में बंधे हुए हैं उनके बारे में आपकी दृष्टि किसी और देखते हैं उसे बारे में बताइए मुनियों के बारे में बताने से हम मुनियों को दोष देने लगते हैं हम साधारण इंसान के बारे में क्यों नहीं बताते कृपया साधारण मानव के लिए भी बताने का कष्ट किया करें वह ज्यादा तेरी अच्छे तरीके से समझ में आएगा आम इंसान के मुनियों के दोष गिरना बंद कीजिए हम साधारण आदमियों के दोष बताइए जो नियम की मर्यादा में बंधे हुए हैं उसे तोड़ने पर कैसा क्या होना चाहिए
@SureshJain-fo9pw11 сағат бұрын
Boht sundar
@SureshJain-fo9pw11 сағат бұрын
Waha
@mahendrasiroya724113 сағат бұрын
सविनय सादर जयजिनेंद्र, सरजी... 🙏🏻🕉️🙏🏻🕉️
@mahendrasiroya724115 сағат бұрын
सविनय सादर जयजिनेंद्र, सरजी... 🙏🏻🕉️🙏🏻
@vijayashah885615 сағат бұрын
Jai jinendra dahod
@SagunChandJain15 сағат бұрын
साधना जैन,,, गुरुजी आपने गजब गजब की बात कही❤❤ जैसा वस्तु का स्वरूप है वैसा ही स्वीकार करना यही सम्यक दर्शन है,,,,❤ लेकिन हम पर्याय दृष्टि का चश्मा उतार नहीं पाते,,,, हमें कुछ ना कुछ करना है,,, हमें मुक्त होना है,,, जबकि मैं तो मुक्त स्वरूप ही हूं ऐसी हस्ती की मस्ती में हम रहे ही नहीं पाते,,, गुरुदेव कह रहे हैं❤ यदि हम सामान्य होने को तैयार नहीं है,,, हर समय विशेष की चाह करते हैं,,, तो हमें अपने त्रिकाल परिपूर्ण होने में रस ही नहीं है,,,, आनंद ही नहीं है यदि हमें यह भाव आया है तो यह तो परिपूर्ण gayak की ,,,,,, Vira dhana hai,,,, हमने अपने को निश्चित ही पर्याय दृष्टि से देखा है इसलिए यह भाव आया,,, श्री गुरु कहते हैं❤ हमने परिपूर्ण gayak,,, की दृष्टि की ही नहीं ,,, केवल अहंकार का पोषण कियाहै किया है, 🙏🙏🙏
@prakashhekkad231016 сағат бұрын
JASC MUMBAI - JAI JINANDRA 🙏🙏🙏
@raginishah9992Күн бұрын
🙏🙏🙏
@narendrajain3164Күн бұрын
आदरणीय पण्डित जी साहब सादर जय जिनैंद्र 🙏🙏🙏
@ravijain3778Күн бұрын
Jay jinendra nagda junction
@pallavishah4691Күн бұрын
👌🙏🙏🙏
@artipatni5156Күн бұрын
ज्ञायक का चश्मे से पर्याय की रील साफ साफ दिखेगी। शर्त है कि हम ज्ञायक ही बने रहे। इसी कला से कर्म बंधन से बचा जा सकता है।🙏 बहुत बहुत आभार🙏
@sanjayjain-xl6ceКүн бұрын
Excellent 👌👍👌👍👌 सारे धागे खोल दिए। सच्चा आईना दिखाया है । जैन धर्म क्षत्रिय धर्म है । जिगरा चाहिए इस मार्ग पर चलने के लिए
@vijayashah8856Күн бұрын
Jai jinendra dahod
@NilamKothari-v6uКүн бұрын
Jay jinendre Dolly kothari dahod namaste
@mahendrasiroya7241Күн бұрын
सविनय सादर जयजिनेन्द्र, सरजी... 🙏🏻🕉️🙏🏻🕉️
@sangeetajain-r2wКүн бұрын
Jis din aap ke jaisi drishti hogi mithyatve ki roots dikhne lagengi.
@reenajain6006Күн бұрын
Thank you very very much Dr. VIVEK JI . Aap ke Gyaan ki bahut bahut anumodna . 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 .
@ravijain3778Күн бұрын
Jay jinendra nagda junction
@mahendrasiroya7241Күн бұрын
सविनय सादर जयजिनेंद्र, सरजी... 🙏🏻🕉️🙏🏻🕉️
@SagunChandJainКүн бұрын
साधना जैन,,, गुरुजी आपने गजब गजब की बात कही ❤❤ मिथ्या दृष्टि के अंदर chalta कुछ है,,, बोलना कुछ है,,, और मान्यता कुछ और है,,,, यह मिथ्यत्व का सबसे बड़ा लक्षण है,,,, गजब की बात कही❤❤ हमने अपनी स्थिति के अनुसार संतोष धारण कर लिया है,,, जैसे कि अंगूर नहीं मिले तो कहते हैं खट्टे हैं,,,,😂 हमें वास्तव में अंदर से संतोष नहीं है,,,, इसी का नाम मिथ्यत्वहै,,, और भी गजब की बात बताई❤❤ हमें कोई मिथ्या दृष्टि कह दे तो बुरा नहीं लगता,,, क्योंकि हमें मिथ्या दृष्टि रहने में कोई तकलीफ नहीं है,,, यदि हमें कोई पापी कहे तो बहुत बुरा लगता है,,,, क्योंकि हमको यह खबर ही नहीं है कि पापी का पर्यायवाची मिथ्या दृष्टिहै 🙏🙏🙏
@sandeepbhandari8433Күн бұрын
न आनेवाला, न जाने वाला, न चिंतन करने वाला, में तो मात्र जानने वाला अद्भुत आनंद मय प्रवचन🙏🙏
@kaminijain4071Күн бұрын
👍🏻👍🏻👍🏻
@sandeepbhandari8433Күн бұрын
क्षयिक भाव भी भिन्न दीखे तो परम पारीनामिक भाव प्रकट होता है🙏🙏🙏
@sandeepbhandari8433Күн бұрын
आत्मा कल्याण के प्रवचन परम सत्य होते है आत्मा में लेजाने के लिए होते हैं🙏🙏
@ethikajain1987Күн бұрын
Jai jinendra Aadarniye Pandit ji 🙏🙏🙏🙏
@mukeshjain8264Күн бұрын
उदयपुर से जय जिनेन्द्र
@sandeepbhandari8433Күн бұрын
भूल यही है,श्रध्दा का पाप ही नहीं दिखता चरित्र का पाप दिखता है🙏
@BaljitSingh084Күн бұрын
Sardar Baljit Singh Punjab
@sandeepbhandari8433Күн бұрын
मौन वंदना🙏🙏🙏
@bhushanjain4478Күн бұрын
Jai jinender ji
@mahendrasiroya7241Күн бұрын
सविनय सादर जयजिनेन्द्र, सरजी... 🕉️🙏🏻🕉️
@SagunChandJainКүн бұрын
साधना जैन,,,, गुरुजी ने गजब की बातकहीं❤❤ bachendri के भोग भोगने में पाप नहींहै,,,, भोगों में सुख मानना सबसे बड़ा पाप है,,,, अथवा मिथ्यत्व सबसे बड़ा पापहै,,, गुरुजी ने कहा कि❤❤ चरित्र वाला पाप है वह जीव को कभी चार गति में नहीं घुमा सकता,,, हम अनादि काल से चार गति 8400000 योनियों में जन्म मरण करते आ रहे हैं,,, इसका मूल कारण मिथ्यत्व है,,,,, अथवा हमारी मान्यता ही है,, हम क्या कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण नहींहै,, हम क्या मान रहे हैं यह अत्यंत महत्वपूर्णहै 🙏🙏🙏
@SagunChandJainКүн бұрын
साधना जैन,,, गुरुजी आपने क्या गजब गजब की बात कही ❤❤ जैन दर्शन यह नहीं कहता कि हम क्या कर रहे हैं,, लेकिन हम मान क्या रहे हैं,,, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है,,, सारा खेल मान्यता का है,,, क्योंकि आत्मा तो निरपेक्ष एक gayak भाव है,,, निरपराधी,,, अथवा अपराध रहितहै,,, सबसे ज्यादा नजदीक होते हुएभी,,,, हमने अपनी मान्यताके कारण उसमें कभी अपनापन किया हीनहीं,,, पर संयोग में,,, पर पदार्थ में अपना उपयोग खर्च कर करके परेशान होरहे हैं 🙏🙏🙏
@vijayashah8856Күн бұрын
Jai jinendra dahod
@sanjayjain-xl6ce2 күн бұрын
Excellent lovely beautiful superb fantastic mind blowing 10 to end
@sanjayjain-xl6ce2 күн бұрын
Salute Panditji. 49 to end.
@sanjayjain-xl6ce2 күн бұрын
भेद ज्ञान स्वीकार पर्याय स्वीकार
@deepakshah62802 күн бұрын
Kolhapur 🙏 सारा खेल अपनी मान्यता का है . जैसी मान्यता वैसा सुख , दुःख .,👍