जैसे संसारी जीव को 90 लाख का मीठी श्रध्दा से जीवन जीता है वैसे ही धर्मी जीव त्रिकाली की मीठी श्रध्दा से निर्भय जीवन जीता है 🙏🙏🙏
@sandeepbhandari8433Ай бұрын
अद्भुत प्रवचन प्रभु आप श्री के मुख से 🕉🙏🙏
@ethikajain1987Ай бұрын
Jai jinendra Aadarniye Pandit ji 🙏🙏🙏🙏
@reenajain6006Ай бұрын
Thank you very very much Dr. VIVEK JI . Aap ke Gyaan ki bahut bahut anumodna . 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 .
@deepakshah6280Ай бұрын
Kolhapur 🙏
@IconicAnime352Ай бұрын
सभी परम पावन आत्माओं को सादर अभिवादन जय जिनेन्द्र नरेंद्र कुमार जैन जयपुर 🙏🙏🙏
@BaljitSingh084Ай бұрын
Sardar Baljit Singh Punjab
@narendrajain3164Ай бұрын
आदरणीय पण्डित जी साहब सादर जय जिनैंद्र 🙏🙏🙏
@sanjayjain-xl6ceАй бұрын
फिदा हो गया पंडितजी । 46 to 48 48 to 60
@anjanajain4672Ай бұрын
एकदम सही बात पंडित जी साहब👌👌👌
@sandeepbhandari8433Ай бұрын
निरन्तर स्व पर दृष्टि रहेगी तो ही राग के काल में भेद रहता हैं, नही तो विकल्प में ही भेद रहता है 🙏🙏🙏
@shashijain2114Ай бұрын
🙏🙏🙏💯☑️👏👏👏👏👏👏😇🥰🚩🚩🚩🚩
@sandeepbhandari8433Ай бұрын
सम्यक दृष्टि को भूमिका के अनुसार राग आता है लेकिन उसमे एकत्व नहीं होता 🙏🙏
@sandeepbhandari8433Ай бұрын
मौन वंदना🙏🙏🙏
@SagunChandJainАй бұрын
साधना जैन,,, भूमिका के अनुसार raag आता है,, ऐसा तो हम अनुभूति के बाद ही बोल सकते हैं,,, अभी तो हम raag,,द्वेष,,, moh भूमिका के अनुसार करते हैं,,, raag सहज होगा तो सहज चला भीजाएगा। बेजान धन कीखातिर कितने ujhani जीवन,,,, अंतिम समय में प्राणी जाएगा nagn यह तन फल भोगना पड़ेगा जो भी कर्म करेगा,,,, dega जवाब क्या जब परलोक जाएगा 🙏🙏🙏