Пікірлер
@user-gh4ou6wn4v
@user-gh4ou6wn4v 5 сағат бұрын
षोडश कर्मकाण्ड के लिए कौन सी पुस्तक ठीक रहेगी जिसे पढने एवं कार्य करने में सुगमता हो।
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet Сағат бұрын
मैं कर्मकांड की आचार्य परंपरा से नहीं हूँ। मैंने कर्मकांड किया है इसलिए उसकी प्रासंगिकता के लिए मैंने अध्ययन किया है और अभी कर भी रहा हूँ। इस सम्बन्ध में जिसने आरम्भ काल से ही शिक्षा ग्रहण की है वह अधिक अच्छे से बताएगा। मेरे पास तो गीता प्रेस की नित्यकर्म पूजा प्रकाश और अंत्यकर्म श्राद्ध प्रकाश है। मैं गीता, उपनिषद भागवत बाल्मीकि आदि के आधार पर ही अपने विषय रखने का प्रयास करता हूँ।
@ramnarayangupta9580
@ramnarayangupta9580 15 сағат бұрын
महाराज जी मेरे मन मे एक संका हैं की अगर मेरे पिता दादा मांस शराब खाते हो दुसरो को कस्ट देते हो तो ये पक्का हैं की उनको नींच भूत योनि मे होंगे ऐसे मे उनको पूजना सही हैं क्या? वे तो पूजा भोग पाकर और भी शक्तिशाली होके हमारे परिवार को ही दुख देंगे मरने क बाद, कृपया संका समाधान करें?
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet 14 сағат бұрын
मैंने वीडियो में चर्चा की है पर शायद आप समझ नहीं पाए या कोई पूर्वाग्रह है। हम श्राद्ध से श्रद्धांजली अर्पित कर रहे हैँ ।
@gopiramgairola3579
@gopiramgairola3579 17 сағат бұрын
Guru ji bahut sundar Geeta me Shri Krishan ne yaha v haha ki Mai Har Jeevan me Har nirjeev me samahit hun bhai fir chod do Govardhan Parwat ki Pooja karna ye murky log hain Jo sastron ka galat dhang se arth ka anarth Karter hain
@Nagesh_10
@Nagesh_10 20 сағат бұрын
Cancer hospital ka nirman Har sal 151 Batio ka Dhumdham se vivah nishulak pratidin Bhandara Snatan dhrm ki Alakh jai Ho Aadarniy Gurudeo
@BAAGBIRENDRA-vc8km
@BAAGBIRENDRA-vc8km 22 сағат бұрын
*नैनम छिन्दंती शस्त्राणी नैनम दहती पावकः...'* *आत्मा अमर है आत्मा को भुख प्यास नहीं लगती है* *पितृदोष उनको लगता है जो जिनकी मृत्यु के बाद उनके नाम पर दूसरों को पितृभोज कराते हैं* *आत्मा अमर है आत्मा को भुख प्यास नहीं लगता है* *पितृपक्ष में ब्राह्मणों को ब्रह्मभोज कराने दान देने से मृत व्यक्ति को सीधे पहुंचता है पितृगण प्रसन्न होते हैं* *जिनके परिवार में जिनकी मृत्यु जिस रोग से हुई थी/है वे ब्रह्मभोज में ब्राह्मणों को उस रोग का दवा भोजन करावे और इंजेक्शन लगाएं अगर कैंसर से मृत्यु हुई है तो किमोथेरेपी दें मृतात्मा की आत्मा तृप्त हो जायेगी 🙏* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
@Nagesh_10
@Nagesh_10 23 сағат бұрын
Jai shree Ram jai shree Krishna Jai Bajrang Bali G sadhuG Sitaram
@gurucharansharma2010
@gurucharansharma2010 23 сағат бұрын
आप यथा योग्य सही बोले हैं भाई साहब। मुझे बहुत अच्छा लगा। प्रनाम। 👌✅👍🙏🙏🙏
@brajendraswaroop1802
@brajendraswaroop1802 Күн бұрын
कहने वाले की बुद्धि भृषट हो गई है पागल हो गया है बेवकूफ है धन्य है बागेश्वर धाम गुरु जी सनातन धर्म को लेकर आए हैं इसलिए धर्म विरोधी है इसलिए इसकी ठठरी बंध गई है
@azadsharma7283
@azadsharma7283 Күн бұрын
सिर्फ बकवास करी 19 मिनट्स तक एक बार भी नही बताया की क्यू करनी चाहिए वेदों मैं या उपनिषदों मैं कही पर भी तेरवी जैसी रीत का उल्लेख नहीं मिलता है ये बात रहे हो कैसे करनी चाहिए पर ये नही बता पाए कि क्यू करनी चाहिए सांख्य योग मैं सिर्फ दो ही चीजों का विवरण आता है पुरुष और प्रकृति का कही भी
@keshavSharma-bk2yk
@keshavSharma-bk2yk 3 күн бұрын
Dhoni h tu
@pktripathi3348
@pktripathi3348 3 күн бұрын
तेहरवी मृत्यु भोज नही है l
@mahendrakumarlodhi
@mahendrakumarlodhi 3 күн бұрын
जानकारी देने के लिए धन्यवाद, मृत्युभोज एक अमानवीय कुप्रथा है, यह रीति नही बल्कि कुरीति है समयानुसार इस अभिशाप से समाज को मुक्ति मिलना ही चाहिए...
@amarpal-pn6nc
@amarpal-pn6nc 3 күн бұрын
आचार्य जी वेद पर आधार नहीं है
@AUM57
@AUM57 3 күн бұрын
गहन और सटीक सोल्लेख जानकारी देने के लिए
@AUM57
@AUM57 3 күн бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
@tileshwarnathshukla1379
@tileshwarnathshukla1379 3 күн бұрын
लोगो ने इस बात का समर्थन इसलिए किया है संख्या बल यही करता आया है उसे सही मार्ग देने के लिए वेद का वह उद्धरण बताना होगा जिसमें इन सब बातों का उल्लेख हो क्योंकि वेद ही सनातन की आत्मा है ,इसलिए आप सही बताएं करना कराना लोगो पर होता जिससे लोगों के आत्मा की संतुष्टि होगी वही करेंगे लेकिन इस वेबसाइट पर आकर आपको सत्य का साधक और मार्गदर्शक बनना तो आप क्या कहेंगे सत्य या असत्य , हमें उम्मीद है आप वेद की भाषा बोलेंगे
@tileshwarnathshukla1379
@tileshwarnathshukla1379 3 күн бұрын
महाराज अगर यदि आप सनातन को वेद सम्मत मानते है और इस कर्मकांड को वेद सम्मत बता रहे हैं तो कृपा करके यह बताएं कि वेद के कुल 20000 श्लोक है जो अकेले ऋग्वेद में 10000 श्लोक हैं तो यह कर्मकांड किस श्लोक में करने का उल्लेख है , कृपया जागृति पैदा होने दें या यह साबित करें करें कि यह वेद सम्मत है क्योंकि सनातन की आत्मा वेद ही है
@shilpigupta9797
@shilpigupta9797 3 күн бұрын
Sir Hindi ko Janna chahiye ya jo sreshth hindu hai unko Janna chahiye😅
@user-ox5tg8zc3h
@user-ox5tg8zc3h 3 күн бұрын
ब्रह्म कपाल,बद्री नाथ ,पर पिंडदान करने के बाद पृत पक्ष मे क्या करे और क्या न करे
@skull8723
@skull8723 4 күн бұрын
Ram Ram Sita Ram 🙏🙏🙏
@Appandeykipathashala
@Appandeykipathashala 4 күн бұрын
जय बजरंगबली
@girdharilalverma6452
@girdharilalverma6452 4 күн бұрын
इन फालतू और निरर्थक परंपरा के बजाय देह दान की और लोगों को लगाइए।
@girdharilalverma6452
@girdharilalverma6452 4 күн бұрын
शर्मा,तिवारी,divedi,त्रिवेदी पांडे आदि आदि सनातन के इतने पीछे क्योंभाईं।फिर से सर्वोच्च होने का चोर दरवाजा
@girdharilalverma6452
@girdharilalverma6452 4 күн бұрын
मृत्यु भोज एक बुराई प्रथा है,चाहे बारहवां,तेरहवां गंगा प्रसादी।इनको बंद करने के बजाय आप बेकार में कुछ तो भीं तर्क दे रहे हैं।ना जिनेब्दे रहे हैं न मरने।अपनी सुविधानुसार किसी भी वेद पुराण से कुछ उठा लाते हो।और लोगों को भ्रमण्मे डाल रहे हो।
@rameshmishra151
@rameshmishra151 4 күн бұрын
जय श्री राम आदरणीय
@natvarvankar4343
@natvarvankar4343 5 күн бұрын
હિન્દુ ધર્મ મેં બહોત સારી ભ્રાંતિ હૈ પણ જો હિન્દુ સમાજ કો બહોત પીછે રખતા હૈ ઈસમે બ્રાહ્મણો કા કમાઈ કા હી એક પ્રકાર કા વ્યવસાય હૈ
@gangeshwartiwari5772
@gangeshwartiwari5772 5 күн бұрын
जय श्रीमन्नारायण आपके द्वारा श्राद्ध कर्म करने की सही जानकारी दी
@ashokkumartiwari2339
@ashokkumartiwari2339 5 күн бұрын
जैसा कि आपने बताया १२ वे सपिंडी होने के पश्चात हवन करवाते है और उस परिवार का सामान्य जीवन फिर से अच्छे से आरंभ हो पाए पूरा समाज उस परिवार से मिलता है उन्हे मान देने के लिए जैसे पगड़ी रसम बदले में वह परिवार आने गण मान्य समाज को भोजन करवाकर धन्यवाद देता है । अब यह सब अपनी सामर्थ के अनुसार करना होता है ना की प्रतिस्पर्धा के लिए।
@jivoji
@jivoji 5 күн бұрын
आज के परिप्रेक्ष्य में दान लेना और दान देना अप्रासंगिक हो गया है। काम किया मेहनताना लिया। बात खतम।
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet 5 күн бұрын
केवल नाम का फ़र्क़ है।
@tekuramsahu6242
@tekuramsahu6242 5 күн бұрын
ये सब झूठा हैं, बकवास कर रहे है।
@AjaySingh-nv5de
@AjaySingh-nv5de 5 күн бұрын
amerika rus japan e t c desho me ya vart ke bhut drm me n hone se muktikye hoti hye
@sudhirkumar-ft5os
@sudhirkumar-ft5os 6 күн бұрын
Maharaj ji, Apke video bade dhyan se dekho hai. Maine Maharishi Dayanand Saraswati gi ki Sanskar vidhi book bahut achhi prakar padhi hai. Jo hindu sanatani Vedic pustak hai. Jisme Manav ke sabhi sanskaron ke bare mein vistar se bataya hai. Is pustak ko sabhi hindu padh le to Tarhvi rasam jaisi Pratha samapt ho jaygi aur Hindu logo ke dimag mein jo pakhand aur andhvishwas baitha hai vo dur ho jayega.
@servedeo
@servedeo 6 күн бұрын
महराज जी,जिज्ञासा यह है कि क्या मरने के बाद लोग गरूड पुराण सुनते है,यह लोगों को सचेत होने के लिए कहा जाता है या जीव को यातना से राहत मिलता है।
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet 6 күн бұрын
दोनों बातें हैँ। जीव का पुनर्जन्म होता है यें हमारी पुष्ट अवधारणा है क्योंकि हम कर्म बंधन में जकड़े हुए लोग हैँ और हर कर्म का कुछ न कुछ फल तो होता ही है और फल को भोगना ही पड़ता है।। कुछ बातें अवश्य ऐसी हैँ जो सचेत करने के लिए हैँ। पिंड से किसी न किसी जीव को भोजन मिलता है, दान से किसी न किसी का हित होता है जहाँ हित होता है वहाँ तृप्ति होती है यही तृप्ति ही पूर्वजों को शांति प्रदान करती है।
@SunilPasawan-so7om
@SunilPasawan-so7om 6 күн бұрын
❤😂🎉
@maheshkuletha4991
@maheshkuletha4991 6 күн бұрын
पहले यह बताइए आप संतों के किस सम्प्रदाय से आते हो और आपके गुरु कौन है
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet 6 күн бұрын
मैं गृहस्थ हूँ। मेरी गुरु परंपरा रामानंद संप्रदाय से है। अयोध्या गुरु स्थान है और पंचरसाचार्य स्वामी श्री रामहर्षण दास ज़ी महाराज मेरे गुरु हैँ जो साकेतवासी हो चुके हैँ। इसी परम्परा में पाराशर ज़ी जो भागवत ज़ी के प्रख्यात वक्ता हैँ वह हैँ, इसी परम्परा से विष्णुप्रियाज़ी आदि हैँ ।
@sanjaikumartripathi617
@sanjaikumartripathi617 6 күн бұрын
वोट के चक्कर मे कुछ नेता इतनी जहर समाज मे घोल रहे है कि तेरहवी गिद्ध भोजन है आप ने सही मार्गदर्शन किया धन्यवाद
@skull8723
@skull8723 7 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏
@gopiramgairola3579
@gopiramgairola3579 7 күн бұрын
Guru ji sanatan dharam me chali aarahi parampra manushya ko saral banati hai isliye har param pra ka samman hona chayea ye parampra reeti riwaj jeewan me yek rush bharte hai kuchh log hain jo sanatan dharm me apni hi baat thopna chahte hain ye yek hi rang me rangna pasand karte hain jab ki jeewan me har prakar ke rangon ki aawashakta hai anyatha manaw jeewan bhala pet bharne aur bansh badhana hi do karm rahenge baki bhad me jaaye kuchh log to yek hi bhagwan ko pakad kar baithe hain dusre bhad me jaye aur unko manne wale vhi bhaad me jaaye example ke liye bahu sare kahte hain main to sirf Radha rani ji ko hi bhajunga aur logon ko bhi aisa hi ulta gyan de rahe hain baki devi dewata aur unko bhajne wale inki taraf se kuchh nahi aur ab to aise logon ki sankhya khash kar katha bachak aisa bharm jaal faila rahe hain samaj me apna barchaswa ko badhane ke liye ye log karm kandi to hain nahi kuchh nahi maante katha anusthan karwate hain lekin kshaur kriya yani dadi roj banai ja rahi hai katha suru karne se katha ant tak na to katha bachak aur na hi yajman dadi banate hain aaj kal to ham dekh rahe roj clin chit ye log dhan ke peeche andhe ho gaye ki karm kand hi bhool gaye inke guruon ne inko karm kand ke vishaya me nahi bataya yekal guru aur yekal bhagwan ko hi bhajna baki bhad be jaaye ye log sanatan ko kis oor le jarahe kuchh sochne ki aawashakta hai sanatan me har devi dewata ki ahmiyat hai is par guruji vidio prastut karne ki kripa kijiye Jai shri krishna Har Har Mahadev
@user-zc2hv2gy2m
@user-zc2hv2gy2m 7 күн бұрын
हमारे यहां ब्राह्मण तेरहवीं का भोज नही खाते
@bhaktinavneet
@bhaktinavneet 6 күн бұрын
क्या फर्क पड़ता न खाएं। आपके दामाद, आपके बहनोई, आदि रिश्तेदार होंगे जो पूज्य हों उनको भी खिलाया जा सकता है। जो पात्र हो दीन हो जिसको आवश्यकता हो उसको खिलाया जा सकता है।
@dys-rec1
@dys-rec1 7 күн бұрын
आपका चिंतन और दृष्टिकोण पुनर्जन्म का कारण श्राद्धकर्म को मानता है। लेकिन अन्य स्थानों पर के ब्राह्मण श्राद्ध कर्म में एक साथ तीन तीन की सोलह पिण्ड द्वादशा को प्रदान करते हुए सपिण्डीकरण करते हैं।जो संकेत करते हैं कि द्वौ सुपर्णो समाने वृक्षे... औपनिषदिक मंत्र।जीवशरीर के साथ साथ उन्हें पाप पुण्य के लिये प्रेरित करने वाली दो विपरीत आध्यात्मिक शक्ति भी संघात किये रहती हैं। क्योंकि शरीर चेतनाओं का समुच्चय है। ज्ञानेन्द्रियों कर्मेंद्रियों तन्मात्राओं में भी जीव के प्रति अच्छी बुरी चेतनाओं का वास रहता है आजीवन।जो शरीरधारी के मरते ही पंचतत्वों में लीन होना चाहिए। प्रकृति शून्यं साम्यं समुच्चये में स्थित रहें,इस हेतु श्राद्धकर्म आवश्यक है। ताकि दिवंगत आत्मा के क्षेत्र में दैवीय प्रकोप ना घटें।सो श्राद्ध कर्म जीवात्मा और उसके साथ बंधे अच्छी बुरी चेतनाओं को पिण्ड,समान संस्कार में लीन होने को प्रेरित करने का संस्कार है। साधारण भाषा में कहें तो -""हे जीवात्मा और अच्छी बुरी चेतनाओं आप अपने अपने आध्यात्मिक संस्कारों अनुरुप घटकों, शरीरधारी को पाओ।और हमारे परिवार के प्रति कृपालु रहो क्योंकि हम आपके प्रति श्रद्धा रखते हैं। पिण्ड दे रहे हैं। इसका पुनर्जन्म से कोई लिखित प्रमाण हो तो अवश्यमेव वह श्लोक रखें ताकि उसका अध्यात्म विज्ञान आधारित विश्लेषण कर सकूं। राजर्षि राजूस्वामीजी ब्रह्मविद् धर्मविद् पुराणविद् पुरालेखविद् भागवताचार्य निदेशक, धर्म योग अध्यात्म आत्मानुसंधान शिक्षा केन्द्र, दुर्गापुर मुॅंगेर बिहार
@rakeshkaushik1644
@rakeshkaushik1644 7 күн бұрын
भैया जी पीपल के पेड़ में जीवनी शक्ति होती है और नाना प्रकार के देवी देवता और आत्मा उसे पर बात करती है पहले आप कुछ कीजिए तो मालूम पड़ेगा कि क्या है जन विज्ञान खत्म होता है वहां से ही हमारा अध्यात्म शुरू होता है
@skull8723
@skull8723 7 күн бұрын
Bahut sunder Prabhu 👍 Sadhuwaad 🙏🙏🙏
@Babulal-ux2kg
@Babulal-ux2kg 7 күн бұрын
Good news
@mahipalnegi1937
@mahipalnegi1937 7 күн бұрын
गरुड़ पुराण के अनुसार कर्मकाण्ड को अबिदद,या कहां गया है।
@mahipalnegi1937
@mahipalnegi1937 7 күн бұрын
मान्यवर कृपया गरुड़ गरुड़ पुराण का अध्ययन करने की कृपा। गरुड़ पुराण के अनुसार
@babulalbehra2196
@babulalbehra2196 8 күн бұрын
गलत है आपको हिन्दू को बैकूप बनाते है
@Chandrapandeyblog
@Chandrapandeyblog 8 күн бұрын
Ye baat hr ek vyakti tk pahunchana chahiye
@Appandeykipathashala
@Appandeykipathashala 8 күн бұрын
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
@BAAGBIRENDRA-vc8km
@BAAGBIRENDRA-vc8km 9 күн бұрын
*मायावी कांड करने वाले प्रकांड विद्वान पंडितों ने कर्मकाण्ड की रचना किसी का जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक केवल धन उगाही करने के लिए किया है* *पितृपक्ष के नाम पर 15 दिनों तक चलने वाला उत्सव मेला सबसे प्रमुख है जिसमें ब्राह्मणों को ब्रह्मभोज कराने दान देने से मृत व्यक्ति को सीधे पहुंचता है पितृगण प्रसन्न होते हैं* *जिनके परिवार में जिनकी मृत्यु जिस रोग से हुई थी/है वे ब्रह्मभोज में ब्राह्मणों को उस रोग का दवा भोजन करावे और इंजेक्शन लगाएं अगर कैंसर से मृत्यु हुई है तो किमोथेरेपी दें 🙏* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
@rameshwaryadav6477
@rameshwaryadav6477 9 күн бұрын
Bahut sundar jankari dhanyawad
@rajmanichaubey3862
@rajmanichaubey3862 6 күн бұрын
TKS धन्यवाद pandit ji