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किसी ने सही कहा है कि शौक पूरा करने से पहले वक्त और उम्र नहीं देखते। बशर्ते, शौक अच्छा होना चाहिए। ऐसा ही शौक है लेखक मुमताज सादिक का। जहां उनके विचार कलम के जरिए उभर कर सामने आते हैं, वहीं उनकी कला बागवानी के रूप में निखर कर सामने आती है। हालांकि 73 की उम्र में कलम को पकड़ना आसान है लेकिन भारी गमलों को एक जगह से दूसरी जगह उठाना, पौधे लगाना उतना ही मुश्किल। लेकिन सादिक जी को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता क्योंकि यह उनका शौक है इनका टेरेस विज्ञान, लेखन और सुकून से भरा हुआ है। उनकी छत पर तमाम बोनसाई प्लांट है, साथ ही तमाम औषधिय प्लांट है। इसके साथ ही गजब का कबाड़ से जुगाड़ है। जहां प्रकृति को आमंत्रित करती हुई पंक्तियां इस गार्डन की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। इसलिए इनके गार्डन को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है तो चलिए देखते हैं उनकी वीडियो।
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