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• धर्म का आज बाजार लगा है. दुनिया में हर चीज बेची और चलायी जा रही है.
• ऐसी स्थिति में उचित-अनुचित, सही-गलत का निर्धारण करना सरल नहीं है.
• धर्म के नाम पर कितने ही भगवान और देवी-देवता बाजार में आ गये हैं. उनकी दुकानदारी जोरदार चलायी जा रही है.
• पैसा, प्रसिद्धि, भ्रम, भय, प्रलोभन, चमत्कार इत्यादि कितने ही बहानों से भगवानों और देवी-देवताओं को बेचा व चलाया जा रहा है.
• नादान, नासमझ, मूर्ख या लोभी मनुष्य इसमें सदैव ठगा जाता है. वह असली-नकली का भेद नहीं कर पाता.
• ज्ञान, तर्क, पुण्य-पाप और वास्तविकता की कसौटी पर वह हर भगवान या देवी-देवता को परख नहीं सकता.
• यही वजह है कि वह छल-कपट, धोखे या झूठ के मायाजाल में फंस जाता है.
• इसलिये यह अत्यंत आवश्यक है कि सर्वप्रथम धर्मनिष्ठा, परंपरा और दार्शनिक बाबतों का बुनियादी ज्ञान प्राप्त किया जाना चाहिये. हर किसी को भगवान मान लेना गलत है.
• समग्र भारतीय संस्कृति और आर्य प्रजा की धर्म-परंपरा को नष्ट करने के अनेकों षड़यंत्र चल रहे हैं. हर हालत में इनसे संभालना होगा और अपनी नई पीढ़ी को बचाना होगा.
• जन्म से जैन, हिन्दू, सनातनी या भारतीय होना काफी नहीं हैं, अपने धर्म, परंपरा और संस्कृति के मूलभूत तत्वों को समझना आवश्यक है.
• आप कौन हैं ? असली या नकली, इसकी तलाश कीजिये !! जहां-तहां भटक मत जाइये. किसी ज्ञानी-समझदार से सीखिये और सत्य को जानने का प्रयास कीजिये !!
-आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज
(मेरे प्रवचन या उसके किसी अंश अथवा उसके ऑडियो-विडियो में कही गयी बातें किसी को दुःख पहुंचने या किसी मान्यता का विरोध करने के लिये नहीं, बल्कि अपनी परंपरा के लोगों को सत्य व तथ्य बतलाने के लिये हैं)
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It is a generous campaign dedicated to Lord Mahavireer's principle in the name of Revolutionary, Versatile & Vigorous Preacher Aacharya Shree Vimalsagarsuriji.
It is Purely Sacred, Perceptional & Intellectual effort to bring one’s attention on life values in the form of Religious Integrity, Social Intimacy, National Pride, Human Values, Spiritual Supremacy,
Non Violence, Good Faith, Vegetarianism, Indian Culture, Karma Theory & much more.
It Emphasizes on Awakening the Youth, Prospering Women Welfare, Promoting Communal Harmony, Maintaining Cultural Pride & Enhancing Jain Ideology.
क्रांतिकारी-ओजस्वी प्रवचनकार आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज के प्रवचन और विविध आयोजन भगवान महावीरस्वामी के सिद्धांतों को समर्पित सर्व हितकारी अभियान हैं.
यह जैनधर्म, अध्यात्म, समाज, संस्कृति, राष्ट्रीयता, अहिंसा, नैतिकता, सुसंस्कार, शाकाहार, सद्भावना, आहार विज्ञान, कर्मवाद और मानवता की सेवा का पावन पुरुषार्थ है.
सकारात्मक सोच, युवा जागरण, कन्या उत्कर्ष, साम्प्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव इसके सार्थक माईल स्टोन हैं.