अमृत ​​की तलाश - OSHO by nitin singh

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Bodhi Veda - Audio Book Summary

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22 күн бұрын

ओशो (मूल नाम रजनीश) (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय , विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे पूंजीवाद, व गांधी के कुछ विचारो ,और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलोचक रहे।[6] उन्होंने मानव कामुकता के प्रति एक ज्यादा खुले रवैया की वकालत की, जिसके कारण वे भारत तथा पश्चिमी देशों में भी आलोचना के पात्र रहे, हालाँकि बाद में उनका यह दृष्टिकोण अधिक स्वीकार्य हो गया।
चन्द्र मोहन जैन का जन्म भारत के मध्य प्रदेश राज्य के RAISEN जिला के KUCHWADA में एक छोटे से घर में हुआ था।ओशो शब्द की मूल उत्पत्ति के सम्बन्ध में कई धारणायें हैं। एक मान्यता के अनुसार, खुद ओशो कहते है कि ओशो शब्द कवि विलयम जेम्स की एक कविता 'ओशनिक एक्सपीरियंस' के शब्द 'ओशनिक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'सागर में विलीन हो जाना। शब्द 'ओशनिक' अनुभव का वर्णन करता है, वे कहते हैं, लेकिन अनुभवकर्ता के बारे में क्या? इसके लिए हम 'ओशो' शब्द का प्रयोग करते हैं। अर्थात, ओशो मतलब- 'सागर से एक हो जाने का अनुभव करने वाला'। १९६० के दशक में वे 'आचार्य रजनीश' के नाम से एवं १९७० -८० के दशक में भगवान श्री रजनीश नाम से और १९८९ के समय से ओशो के नाम से जाने गये। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे, तथा भारत व विदेशों में जाकर उन्होने प्रवचन दिये।
रजनीश ने अपने विचारों का प्रचार करना मुम्बई में शुरू किया, जिसके बाद, उन्होंने पुणे में अपना एक आश्रम स्थापित किया, जिसमें विभिन्न प्रकार के उपचारविधान पेश किये जाते थे. तत्कालीन भारत सरकार से कुछ मतभेद के बाद उन्होंने अपने आश्रम को ऑरगन, अमरीका में स्थानांतरित कर लिया। १९८५ में एक खाद्य सम्बंधित दुर्घटना के बाद उन्हें संयुक्त राज्य से निर्वासित कर दिया गया और २१ अन्य देशों से ठुकराया जाने के बाद वे वापस भारत लौटे और पुणे के अपने आश्रम में अपने जीवन के अंतिम दिन बिताये।
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Пікірлер: 7
@historyveda
@historyveda 20 күн бұрын
Osho pranam 🙏🏻
@rajinderbansal2155
@rajinderbansal2155 18 күн бұрын
Wow
@kongararadhakrishna4888
@kongararadhakrishna4888 18 күн бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@yadav.2705
@yadav.2705 13 күн бұрын
हम सब ओशो को सुनना चाहते हैं,अगर उनकी आवाज़ में होता तो और भी अच्छा होता। अपनी आवाज़ प्रयोग ना करें। मैंने सिर्फ एक लाइन सुनी और कमेंट करके बंद किया ।उनकी आवाज़ होती तो .…...
@user-em4if8er5b
@user-em4if8er5b 16 күн бұрын
डुप्लीकेट 😂
@bodhived
@bodhived 16 күн бұрын
Yes
@BodhiVeda
@BodhiVeda 19 күн бұрын
osho - never born never died
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