अमृतनादोपनिषद् |अमृतनादबिन्दु उपनिषद् | amrit naad Bindu upnishad | amrit naad upnishad.

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तत्त्व ज्ञान

तत्त्व ज्ञान

Күн бұрын

कृष्ण यजुर्वेद शाखा के इस उपनिषद में 'प्रणवोपासना' के साथ योग के छह अंगों- प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, प्राणायाम, तर्क और समाधि आदि- का वर्णन किया गया है। योग-साधना के अन्तर्गत 'प्राणायाम' विधि, ॐकार की मात्राओं का ध्यान, पंच प्राणों का स्वरूप, योग करने वाले साधक की प्रवृत्तियां तथा निर्वाण-प्राप्ति से ब्रह्मलोक तक जाने वाले मार्ग का दिग्दर्शन कराया गया है। इस उपनिषद में उन्तालीस मन्त्र हैं।
'प्रणव,' अर्थात् 'ॐकार' का चिन्तन समस्त सुखों को देने वाला है।
ॐकार के रथ पर आरूढ़ होकर ही 'ब्रह्मलोक' पहुंचा जा सकता है-ॐकार-रूपी रथ पर आरूढ़ होकर और भगवान विष्णु को सारथि बनाकर ब्रह्मलोक का चिन्तन करते हुए ज्ञानी पुरुष देवाधिदेव भगवान रुद्र की उपासना में निरन्तर तल्लीन रहें। तब ज्ञानी पुरुष का प्राण निश्चित रूप से 'परब्रह्म' तक पहुंच जाता है।
जब मन अथवा प्राण नियन्त्रण में नहीं होता, तब विषय-वासनाओं की ओर भटकता है। विषयी व्यक्ति पापकर्मों में लिप्त हो जाता है। यदि 'प्राणयाम' विधि से प्राण का नियन्त्रण कर लिया जाये, तो पाप की सम्भावना नष्ट हो जाती है।
आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान और समाधि हठयोग के छह कर्म माने गये हैं। इनके प्रयोग से शरीर का शोधन हो जाता है। स्थिरता, धैर्य, हलकापन, संसार-आसक्तिविहीन और आत्मा का अनुभव होने लगता है। सामान्य व्यक्ति 'प्राणायाम' का अर्थ वायु को अन्दर खींचना, रोकना और निकालना मात्र समझते हैं। यह भ्रामक स्थिति है।
प्राण-शक्ति संसार के कण-कण में व्याप्त है। वायु में भी प्राण-शक्ति है। इसीलिए प्राणायाम द्वारा वायु में स्थित प्राण-शक्ति को नियन्त्रित किया जाता है प्राण पर नियन्त्रण होते ही शरीर और मन पर नियन्त्रण हो जाता है। प्राणायाम करने वाला साधक बाह्य वायु के द्वारा आरोग्य, बल, उत्साह और जीवनी-शक्ति को श्वास द्वारा अपने भीतर ले जाता है, उसे कुछ देर भीतर रोकता है और फिर उसी वायु को बाहर की ओर निकालकर अन्दर के अनेक रोगों और निर्बलताओं को बाहर फेंक देता है।
'प्राणायाम' के लिए साधक को स्थान, काल, आहार, आदि का पूरा ध्यान रखना चाहिए। 'शुद्धता' इसकी सबसे बड़ी शर्त है। 'प्राणायाम' करते समय तीन स्थितियां- 'पूरक, कुम्भक' और 'रेचक' होती हैं।
'पूरक' का अर्थ है- वायु को नासिका द्वारा शरीर में भरना,
'कुम्भक' का अर्थ है- वायु को भीतर रोकना और
'रेचक' का अर्थ है- उसे नासिका छिद्रों द्वारा शरीर से बाहर निकालना।
सीधे हाथ के अंगूठे से नासिका के सीधे छिद्र को बन्द करें और बाएं छिद्र से श्वास खींचें, बायां छिद्र भी अंगुली से बन्द करके श्वास को रोकें, फिर दाहिने छिद्र से वायु को बाहर निकाल दें। इस बीच 'ओंकार' का स्मरण करते रहें। धीरे-धीरे अभ्यास से समय बढ़ाते जायें। इसी प्रकार बायां छिद्र बन्द करके दाहिने छिद्र से श्वास खींचें, रोकें और बाएं छिद्र से निकाल दें। अभ्यास द्वारा इसे घण्टों तक किया जा सकता है। शनै:-शनै: आत्मा में ध्यान केन्द्रित हो जाता है। नियमपूर्वक किये गये अभ्यास द्वारा तीन माह में ही 'आत्मज्ञान' की प्राप्ति सम्भव है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर 'मोक्ष' प्राप्त हो जाता है।
ॐ शान्तिः विश्वम्।

Пікірлер: 14
@हमीरJADEJA
@हमीरJADEJA 10 ай бұрын
ॐ, ॐ, ॐ
@UdaramKukna
@UdaramKukna 4 ай бұрын
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ❤️🙏🙏
@nohrapachhad4728
@nohrapachhad4728 10 ай бұрын
Om Shanti vishvam
@UdaramKukna
@UdaramKukna 4 ай бұрын
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ❤️🙏🙏
@kuldipsingh5821
@kuldipsingh5821 9 ай бұрын
Gyanvardhak, labhdayak, upyogi.
@VijaySaini-u4u
@VijaySaini-u4u 5 ай бұрын
Jai shiv baba ji OM santi ❤🎉
@mahantgopaljogi2508
@mahantgopaljogi2508 7 ай бұрын
❤❤❤namo narayan
@UdaramKukna
@UdaramKukna 4 ай бұрын
जय श्री राधे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा हरे हरे ❤️🙏🙏
@UdaramKukna
@UdaramKukna 4 ай бұрын
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम ❤️🙏🙏
@kanakroy6339
@kanakroy6339 4 ай бұрын
Pranam ji ❤
@nohrapachhad4728
@nohrapachhad4728 10 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🕉🕉🕉🕉🕉🌹🌹🌹🌹👏
@hukamsingh8566
@hukamsingh8566 10 ай бұрын
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼💖💖👍🏿🐂🐂🐂🐂
@shreyasinha4356
@shreyasinha4356 2 ай бұрын
Eri beti k jindgi ko maut ki nind sulakr mujhe apne age jhukaka kaisa ghatiya tarkib nikala h ap logo ne
@RANAJI-y5m
@RANAJI-y5m Ай бұрын
Kya bol rhe ho..? Kya hua apki beti ko kaise.....? Kisne kiya kya kiya .....?
शुकरहस्योपनिषत्|Shuka-Rahasya Upanishad|shukarhasyopanishad.#upnishad
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