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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: वेदांत महोत्सव, 27.05.2022, शास्त्र कौमुदी 21.06.2022, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
यदा संहरते चायं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
जिस प्रकार कछुआ अपने अंगों को अपने भीतर सिकोड़ लेता है उसी प्रकार, जब ज्ञानी अपनी इन्द्रियों को अपने भीतर सिकोड़ लेता है तब उसकी बुद्धि सत्य में प्रतिष्ठित हो जाती है।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक ५८)
~ इंद्रियों को वश में कैसे करें?
~ इन्द्रियों की उत्पत्ति कैसे हुई?
~ इन्द्रियों को नियंत्रित कैसे करें?
~ इन्द्रियाँ माने क्या हैं?
~ इन्द्रियाँ कहाँ से आती है?
~ इन्द्रियाँ सिर्फ शरीर के लिए क्यों काम करती है?
~ इन्द्रियों की प्रकृति को कैसे समझें?
~ क्या मन भी एक इन्द्रिय है?
~ क्या मन इन्द्रियों का आधार है?
~ क्या इन्द्रिय सुख से तृप्ति संभव है?
~ एक सम्यक जीवन में इन्द्रियों का क्या महत्व है?
~ इन्द्रियों की जीवन में क्या उपयोगिता है?
~ क्या मन और इन्द्रिया दोनों एक ही हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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