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बारह भावना | अनुप्रेक्षा

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Jainsaar Jain Dharm ka Saar

Jainsaar Jain Dharm ka Saar

3 жыл бұрын

भावों की प्रधानता तो सर्वविदित है, भावना ही संसार का कारण भी है और संसार के नाश का भी,
हमारे यहाँ अनेक प्रकार से वैराग्य को करने वाली, जीवन में समता लाने वाली यथार्थ का बोध करने वाली कई भावनाएं कहीं हैं , जैसे वैराग्य भावना, मेरी भावना, और बारह भावना !
देखिये जैसा होगा भाव, वैसा ही होगा परिणाम !
सरल शब्दों में पेश है एक और बारह भावना !
इसकी रचना की है - शुभम जैन "बड़जात्या" , आगरा !
संगीतबद्ध किया है - श्री दीपक जी-रूपक जी, दिल्ली वालों ने (8076742272) वालों ने !
विशेष सहयोग है , श्रीमती शोभा बड़जात्या एवं श्री वीरेंद्र कुमार जी बड़जात्या (आगरा) का !
बारह भावना का तो महत्व कौन नहीं जानता ?
गृहस्थ से लेकर मुनिराज सभी मोक्षार्थी इनका नित चिंतवन करते हैं !
प्रायः करके सभी बारह भवनों में एक ही बात कही है चाहे वह राजा राणा छत्रपति हो, या कहाँ गए चकरी जिन जीता , या देव-शास्त्र-गुरु की पूजा की जयमाला वाली बारह भावना या फिर छहढाला जी की पंचम ढाल वाली बारह भावना !
सभी जीवों को अपने निज स्वरुप का ज्ञान हो , ऐसी भावना के साथ जय जिनेन्द्र !
***
----------- * बारह भावना* -----------
हे चेतन तू कब से चल रहा, करता क्यूं विश्राम नहीं,
बड़े बड़े तूने सफर कर लिए, फिर भी तुझे थकान नहीं ?
कभी स्वर्ग में कभी नरक में, भटक रहा भव वन में,
पञ्च परावर्तन नित करता, इसमें कभी उस तन में !
तुझको तेरे करम घुमाते, जो आते और बंध जाते,
चाह यदि है स्थिर सुख की, क्यूं नहीं संवर साधे !
संवर से यह कर्म रुकें हैं, जीव मुक्ति पथ पावे,
संवर सहित करे जब निर्जर, तब ही शिव उपजावे !
संवर करने भावन भाओ, द्वादश जो जिन देव कहे,
नित्य नित्य वही ध्यावें इनको, मुक्ति जिनका लक्ष्य रहे !
---------- अनित्य भावना ----------
जिनके नाम से धरती काँपी, जिनको बड़ा गुरूर था,
कहाँ खो गए जीव वो सारे, रूतवा जिनका भरपूर था !
कल जो था वो आज नहीं है, आज है सो कल हो ना !
पर्यायों का काम यही है, नित परिवर्तित होना !
नित्य जो है तू दृष्टि वहां कर, वही सदा रहता है,
तू नित्य पर्याय अनित्य, आगम यही कहता है !
---------- अशरण भावना ----------
इस संसार में कौन है ऐसा, मृत्यु न जिसकी आए ?
इस मृत्यु से जो बच जाए, सो भगवान् कहाए !
आयु पूर्ण की घड़ी जब आए, कुछ भी काम न करता,
देव, नारकी, त्रियग, मनुष्य, कोई भी हो मरता !
तुझको मात्र शरण है तू ही, कहां मदद तू पावे ?
आदि-व्याधि वध देह के होते, क्यूं नही आत्म ध्यावे ?
---------- संसार भावना ----------
इस संसार में कौन सुखी है, जहां भी देखो दुःख है,
जन्मे तो दुःख, मरते भी दुःख, जीते जी भी दुःख है !
जिसकी ख़ोज में भटके मृग वो, कस्तूरी उसी के पास है,
निकट की वस्तु दूर जो ढूंढे, कहां मिलन की आस है ?
बाहर जिसको तू सुख माने, वो सुख का आभास है,
सच्चा सुख तो अंदर तेरे, तू खुद सुख का आवास है !
---------- एकत्व भावना ----------
सबसे भिन्न है सबसे न्यारा, तू रहे अकेला सदा ही,
पल दो पल की बात अलग है, सदा साथ कोई नाहीं !
संग साथी चेतन रु अचेतन, संयोग से साथ हैं आए,
जब बिछड़न का योग बने तब, रोके न रुकने पाएं !
इनमे बुद्धि और समय तू, कितना व्यर्थ है खोता,
तू अकेला ही सदा रहेगा, कोई किसी का नहीं होता !
---------- अन्यत्व भावना ----------
घर- घरवाले, सर्व-सम्पदा, ये तो प्रकट जुदा हैं,
जिसमे प्रति-पल रमा रहे तू, वो देह भी तेरी कहाँ है ?
इस जग में सब जुदे जुदे हैं, मेल हो ही नहीं सकता,
दो द्रव्य यदि एक हो जाएँ, मिट जाए उनकी सत्ता !
पर-द्रव्यों में रागी हो कर, अब कर मत तू ममता,
अन्यत्व भावना यही सिखाये, करना धारण समता !
---------- अशुचि भावना ----------
देह पर लिपटी चमड़ी देख, तू मोहित होता जाए,
चमड़ी बिना यदि देह दिख जाए, मोह भंग हो जाए !
अंदर इसमें खून, हड्डियां, मांस, पीव और है मल,
ये अति मैली, करकट थैली, तू स्वभाव से निर्मल !
जब ये कभी शुद्ध हो ही सके न, फिर इसमें क्यों लगना ?
देह से ध्यान हटाकर कर अब, भावों को निर्मल करना !
---------- आस्रव भावना ----------
जैसे घर में चोर घुस आवें, द्वार खुला यदि हो तो,
वैसे ही यह कर्म हैं आते, लूटने तेरी निधि को !
कर्मों के आने के द्वार को, आस्रव जिनवर कहते,
योग, मोह, अविरत, कषाय से, द्वार खुले यह रहते !
जब तक कर्म ये आते रहेंगे, तुझे मरते रहना होगा,
मरने से यदि बचना है तो, संवर करना होगा !
---------- संवर भावना ----------
कर्मों को आने से रोके, ऐसा भाव है संवर,
संवर के बिन कर्म रुकें न, कहते ऐसा गुरुवर !
समिति-गुप्ति कर, भावन भाना, धर्म सदा अपनाना,
एक एक करके द्वार सत्तावन, बंद तू करते जाना !
संवर होवे जिनके वही निश्चय, से मुक्ति के पात्र हैं,
संवर रहित जो जीवन जीते, वे भोगें बहु त्रास हैं !
---------- निर्जरा भावना ----------
संवर से बस इतना हुआ कि, रुका कर्म का आगमन,
पहले से जो बंधे हुए हैं, वो होने दें न मोक्ष गमन !
.....
यहाँ जगह कम होने के कारन पूरी भावना नहीं लिखी है, आप लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं !

Пікірлер: 22
@virendrakumarjain5641
@virendrakumarjain5641 3 жыл бұрын
अत्यन्त मनोहारी बारह भावना, मन प्रफुल्लित हो जाता है हर बार सुनने पर। आपका धन्यवाद 🙏
@ritickjain4805
@ritickjain4805 Жыл бұрын
यह बारह भावना इतनी बढ़िया लिखी है आपने इसको सुनकर मन में ऐसे भाव जागृत होते हैं कि बस रोंगटे खड़े हो जाते हैं । अत्यंत खूबसूरत कृति है । रोज सुबह सुनता हूं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद शुभम जी इतने सरल और भावनात्मक शब्दों में जो मोती आपने पिरोए हैं अद्भुत रचना। बहुत बहुत अनुमोदना ,🙏
@ghunbhandari5998
@ghunbhandari5998 Ай бұрын
🙏🏻🙏🏻👌🏻👌🏻
@aarjavjain2477
@aarjavjain2477 Жыл бұрын
🙏🏻
@akshayjn148
@akshayjn148 2 жыл бұрын
Awesome 👌👌👌
@Samboy32437
@Samboy32437 2 жыл бұрын
BAhut khoob bhakti👍🙏🙏🙏
@roopakjain6996
@roopakjain6996 3 жыл бұрын
Shubham ji हमे खुद को ही अपनी गायी हुई ये रचना बहुत ही हृदय स्पर्शी लगती है । अब अपनी तारीफ खुद करना ठीक नही है लेकिन आपकी तारीफ तो कर ही सकते है... साधुवाद
@akalankbhagwan
@akalankbhagwan 2 жыл бұрын
Excellent बहोत ही सुंदर रचना एवं प्रस्तुति।
@anushree369
@anushree369 3 жыл бұрын
Bhut Sunder🎉👌👌👌👏👏
@sjain-wk8yj
@sjain-wk8yj 3 жыл бұрын
Esse or bhi banane ki kripya kaare bhajan yaa bhavana plz jai jinendra
@savitajain4478
@savitajain4478 Жыл бұрын
Bahut Sundar
@competitionrightway1062
@competitionrightway1062 2 жыл бұрын
Nice sir very helpful for brahmcharya celibacy
@manjujain6007
@manjujain6007 3 жыл бұрын
Very very incredible stuti....BHT hi sunder panktiya likhi h baar baar sunne ko man karta h wonderful
@neerujain345
@neerujain345 3 жыл бұрын
बहुत ही सुंदर रचना। मन डूब गया सुनते सुनते। कब खत्म हुआ पता ही न लगा। एक एक शब्द अनमोल। ऐसे खुद के शब्दों से भगवान की आराधना करने का सुख ही अलग है।
@rubyjain3776
@rubyjain3776 3 жыл бұрын
Barah Bhawna ka itna sundar or saral varnan ,,,,,,,,,,, बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति🙏
@infometricshow4348
@infometricshow4348 Жыл бұрын
Not only is it very beautifully composed, but its simplicity also deserves admiration. Other such works are heartily awaited.
@funwithsamradhanaandadhya5978
@funwithsamradhanaandadhya5978 3 жыл бұрын
Superb
@Samboy32437
@Samboy32437 3 жыл бұрын
Ati sunder bhawna bhai he🙏 Baar baar sunne ka man krta he Bht bht aashirwad
@justforfun1067
@justforfun1067 3 жыл бұрын
ATI man bhawan prastuti
@ritickjain4805
@ritickjain4805 Жыл бұрын
कितना पुण्य कमाया और कमाओगे आगे आने वाले समय में केवल इस रचना क्योंकि बहुत से लोग जागृत होंगे।
@deepakjain7908
@deepakjain7908 3 жыл бұрын
Bahut sundar krati
@rubyjain3776
@rubyjain3776 3 жыл бұрын
Bahut bahut sundar prastuti 🙏
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