गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
@bantikumarbantikumar-sv5iv Жыл бұрын
Kabir is God 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@diwakarkumar26792 жыл бұрын
कबीर जी ने कहा है कि:- कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, क्षर पुरूष वाकी डार। तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।। अथार्त् गीता अध्याय 15 के श्लोक 1-3 में जो संकेत दिया है, उसको परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि संसार रूप वृक्ष का तना तो अक्षर पुरूष है जो सात संख ब्रह्मंडों का प्रभु (स्वामी) है। मोटी डार क्षर पुरूष है जो काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) भी कहा है जो इक्कीस ब्रह्मंडों का प्रभु है। तीनों देवता (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) उस वृक्ष की शाखा जानो। पत्तों को संसार समझो। उस संसार रूप वृक्ष की मूल स्वयं कबीर परमेश्वर है जिसे गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में परम अक्षर ब्रह्म कहा है।
@KRISHANKUMAR-ni7xg7 ай бұрын
Kotikoti pranaam
@riyaverma5632 жыл бұрын
Nice satsang
@lcmehra36982 жыл бұрын
Parmatma Kabir ke nam se paise kamata hai aur aish karta tha ab jail me sad raha hai for his misdeeds and crimes
@rajeshpabra13532 жыл бұрын
Atleast listen the satsang and if u don't want to listen the satsang then why r u here .....Han?