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टावर ऑफ़ साइलेंस...एक ऐसी जगह जहां पारसी लोग अपने प्रियजनों के मरने के बाद उनके शवों को प्रकृति की गोद छोड़ देते हैं. यह प्रथा प्राचीन समय से पारसी समुदाय में चली आ रही है. इसे दखमा कहते हैं. पारसी लोग मानते हैं कि मानव शरीर प्रकृति का दिया एक उपहार है, इसलिए मौत के बाद उसे प्रकृति को लौटाना होता है. दुनियाभर में पारसी इसी तरह शवों का अंतिम संस्कार करते हैं, और कोलकाता में भी इसे अपनाया जाता है. लेकिन नई पीढ़ी के पारसी अब इस तरह के अंतिम संस्कार से सहमत नहीं दिखते. क्या टावर ऑफ़ साइलेंस अब हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएंगे? देखिए कोलकाता से शिब शंकर चटर्जी की यह रिपोर्ट.
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