हरे कृष्णा सर एक करना होता है और एक होता हैं जो करते है वो क्रिया है और जो अपने आप होता है वो स्मरण होता है भगवान् मेरे है और मे भगवान् का हूँ भगवान् में अपनापन होने से स्वतः भगवान् मे प्रेम होता है और जिससे प्रेम होता है उनका स्मरण अपने आप और नित्य निरंतर होता है ऐसा प्रभुपाद जी ने गीता के किसी purport मे कहा है