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17 मई 2024 का ज्ञानप्रसाद
शुक्रवार का दिन ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में गुरुदेव-माता जी से सम्बंधित वीडियो के लिए रिज़र्व किया हुआ है। आज भी शुक्रवार है और इसी कड़ी में आज प्रस्तुत की गयी वीडियो में आदरणीय चिन्मय पंड्या जी उस महान व्यक्तित्व के बारे में बता रहे हैं जीने हम सब आदरणीय शुक्ल बाबा के नाम से जानते हैं। हमारे ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार में अनेकों साथिओं को शुक्ल बाबा के दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है जिससे उनका जीवन धन्य हो गया है ,आप अनुभव कर सकते हैं जिन लोगों को इस दिव्य शक्ति के केवल दर्शन मात्र से ही इतने अनुदान प्राप्त हुए हैं वोह अपनेआप में किस स्तर के साधक होंगें।
यह सब परम पूज्य जैसी अवतारी सत्ता के साथ जुड़ने का ही परिणाम है। जो लोग गुरुदेव से अभी तक किसी कारण नहीं जुड़ पाए हैं, उन्हें इस छोटे से परिवार में सादर आमंत्रण है।
वीडियो देखने के साथ इस परिवार की निम्नलिखित कार्यप्रणाली देखना न भूलें।
प्रत्येक शुक्रवार को हमारे यूट्यूब चैनल में कोई न कोई समस्या आ जाती है जिससे हमें कमेंट करने में दिक्क्त होती है लेकिन इस दिक्कत से हमारी श्रद्धा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। परम पूज्य गुरुदेव,वंदनीय माता जी हमारी श्रद्धा, निष्ठां एवं समर्पण से भलीभांति परिचित हैं।
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ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की कार्य प्रणाली:
परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य को अधिक से अधिक परिजन पढ़ें,समझें एवम औरों को पढ़ाएं; इस संकल्प को सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार मंच पर पिछले कुछ वर्षों से निम्नलिखित प्रक्रिया चल रही है जिसके बहुत ही सार्थक परिणाम मिले हैं। आइए जानें क्या है यह unique प्रक्रिया:
ऑनलाइन ज्ञानरथ गायत्री परिवार की इस यूनिक प्रक्रिया के अंतर्गत अब तक लगभग 1100 ज्ञानप्रसाद लेख और 650 के लगभग वीडियोस के माध्यम से ज्ञानप्रसार किया गया है। ज्ञानप्रसाद लेख और वीडियोस के लिए पाठक हमारे यूट्यूब चैनल और वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। प्रत्येक प्रकाशन में यही प्रयास किया जाता है कि वह गुरुदेव से ही सम्बंधित हो।
हमारे यूट्यूब चैनल के कम्युनिटी सेक्शन में सोमवार से गुरुवार तक परम पूज्य गुरुदेव से संबंधित 4 ज्ञानप्रसाद लेख प्रस्तुत किए जाते हैं। यह लेख गुरुदेव के ही साहित्य का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके, अच्छी तरह समझ कर,कठिन शब्दों एवम भाषा को common-man की भाषा में लिखकर,सरल करके, बिना किसी तोड़ मरोड़ के, भारतीय समयानुसार ब्रह्मवेला में प्रस्तुत किया जाते हैं। प्रत्येक ज्ञानप्रसाद लेख के साथ एक प्रज्ञागीत फाइल होती है।
विश्वभर में यूट्यूब एवम सोशल मीडिया साइट्स पर हमारे साथ जुड़े समर्पित सहकर्मी प्रत्येक ज्ञानप्रसाद लेख को बहुत ही ध्यान से पढ़ते हैं, समझते हैं और उसके बाद ही ज्ञानवर्धक कॉमेंट करते हैं। इन कॉमेंट्स को बहुत ही ध्यान से पढ़ने के बाद ही अन्य साथियों द्वारा रिप्लाई किया जाता है,जिससे एक chain reaction सा आरंभ हो जाता है जो अगले दिन के ज्ञानप्रसाद प्रकाशन तक चलता है। पोस्ट किए गए कॉमेंट्स से तुरंत “मूल्यांकन” हो जाता है कि किस-किस ने ज्ञानप्रसाद का अमृतपान किया और कितनी गंभीरता और श्रद्धा से किया है।
हर लेख के अंत में पहले दिन की कॉमेंट्स सूची प्रकाशित की जाती है, सबसे अधिक कॉमेंट्स प्राप्त करने वाले साथी के उत्साहवर्धन के लिए ceremonial गोल्ड मेडल प्रदान किया जाता है। इस प्रकार यह प्रक्रिया सभी को, सारा दिन गुरु कार्य में involve रखती है,सभी सुख शांति का अनुभव करते हैं और गुरुदेव के अनेकों अनुदान प्राप्त करते हैं।अनेकों सहकर्मियों ने इस प्रक्रिया से अनुदान प्राप्त किए हैं।
शुक्रवार को एक वीडियो प्रकाशित की जाती है और शनिवार को स्पेशल सेगमेंट प्रकाशित होता है जिसमें संपूर्ण योगदान, ज्ञानरथ साथियों का ही होता है,उनकी ही गतिविधियां प्रकाशित की जाती हैं ,आखिरकार उन्ही के कारण तो यह मंच प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है।
यह प्रक्रिया लगभग "गुरुकुल पाठशाला" जैसी होती है जिसमें आचार्य और विद्यार्थी का सघन संपर्क और सहयोग होता है और प्राप्त किए गए ज्ञान को होमवर्क की भांति solve करके सार्वजनिक किया जाता है ताकि अधिक से अधिक लोग लाभ उठा सकें। सहयोग की बात करें तो, यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हमारे इस छोटे से परिवार में युवा साथिओं से लेकर वरिष्ठ अपनी प्रतिभा से सभी को लाभ पंहुचा रहे हैं। हम सभी का धन्यवाद् करते हैं।
प्रत्येक रात्रि सोने से पूर्व सहकर्मियों की सुखद नींद की कामना करता हुआ केवल एक ही पन्ने का शुभरात्रि सन्देश भेजा जाता है ।
इस तरह केवल 10-15 मिनट का समयदान करके सहकर्मियों को सारा दिन अत्यंत दुर्लभ मानसिक शांति प्राप्त होती है जिसके लिए आज का मनुष्य दर दर ठोकरें खा रहा है।
यह परिवार निम्नलिखित मानवीय मूल्यों पर आधारित है जिसका पालन करना हर किसी शिष्य का परम कर्तव्य है :
शिष्टाचार, आदर, सम्मान, श्रद्धा, समर्पण, सहकारिता, सहानुभूति, सद्भावना, अनुशासन, निष्ठा, विश्वास, आस्था, प्रेम, स्नेह, नियमितता, शालीनता आदि
सभी सहकर्मियों का हृदय से धन्यवाद करते हैं। जय गुरुदेव
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566 + 48+13= 627 आहुतियां,13 साधक आज की महायज्ञशाला को सुशोभित कर रहे हैं। आज हमारी परम आदरणीय बहिन मीरा पाल जी ने दो यज्ञ कुंडों पर आहुतियां प्रदान करके सबसे अधिक आहुतियां प्रदान करके गोल्ड मेडलिस्ट का सम्मान प्राप्त किया है, उन्हें हमारी बधाई एवं सभी साथिओं का योगदान के लिए धन्यवाद्।
(1)रेणु श्रीवास्तव-36 ,(2)संध्या कुमार-45,(3)सुमनलता-40 ,(4 )सुजाता उपाध्याय -46 ,(5)नीरा त्रिखा-32 ,(6 )मीरा पाल-26,24 ,(7 ) अरुण वर्मा-41,(8)वंदना कुमार-28 ,(9 )आयुष पाल-26,(10 ) विदुषी बंता-31 ,(11 )चंद्रेश बहादुर-41 ,(12 )राधा त्रिखा-31,(13)पिंकी पाल-25