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वीडियो जानकारी: 28.04.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने गुरु-शिष्य परंपरा, ज्ञान, और आत्मा के महत्व पर गहन चर्चा की है। उन्होंने राजा जनक और उनके गुरु के संवाद के माध्यम से यह समझाया कि सच्चा गुरु वह है जो अपने शिष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है, और सच्चा शिष्य वह है जो अपने गुरु से सीखकर अपने अहंकार को मिटा देता है।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि ज्ञान का वास्तविक अर्थ केवल बाहरी ज्ञान नहीं है, बल्कि यह अपने भीतर के ज्ञान को पहचानने में है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि गुरु का असली उद्देश्य शिष्य को उसकी उच्चतम संभावनाओं तक पहुँचाना है, न कि उसे अपने से नीचे रखना।
आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें अपने अनुभवों के प्रति खुला रहना चाहिए और उन्हें बिना किसी आसक्ति के स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि असली मुक्ति तब होती है जब हम अपने मन से नामों और विषयों को मिटा देते हैं।
अंत में, आचार्य जी ने यह बताया कि हमें अपने भीतर के अहंकार को पहचानना और उसे मिटाना चाहिए, ताकि हम सच्चे ज्ञान की ओर बढ़ सकें।
प्रसंग:
~ गुरु शिष्य का संबंध कैसा होता है?
~ चाय के पौधे की कहानी क्या है?
~ गुरु दक्षिणा पहले क्यों मांगी जनक के गुरु ने?
~ गुरु का लक्ष्य क्या होता है?
~ किसी को ऊंचाई पाने से कैसे रोका जाता है?
संगीत: मिलिंद दाते
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