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एक रिसर्च के अनुसार, प्रत्येक 1000 जन्मों में से 1 बच्चा क्लबफुट से अवश्य प्रभावित होता है। यह संख्या अलग अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है। यदि क्लबफुट का इलाज (Clubfoot treatment in Hindi) सही समय पर और सही तरीके से न किया जाये तो इसका परिणाम आजीवन विकलांगता और असहनीय दर्द हो सकता है। इसके विपरीत, यदि इस बीमारी का जन्म के ठीक बाद इलाज कर लिया जाये, तो इस स्थिति में सुधार के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
क्लबफुट का मुख्य कारण - Causes of clubfoot in Hindi
जन्म के साथ क्लबफुट स्थिति की संभावना को बढ़ाने वाले जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं:
माता या पिता द्वारा धूम्रपान सेवन
गर्भ में एमनियोटिक द्रव की कमी
पहली गर्भावस्था
पोन्सेटि तकनीक क्या होती है? (Ponseti technique in Hindi)
इग्नेसियो वी. पोन्सेटि (चिकित्सक जिन्हे आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पहचाना जाता है) के नाम पर रखी गयी पोंसेटि तकनीक दुनिया भर में क्लबफुट के इलाज (Treatment of clubfoot in Hindi) के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इस तकनीक में एक समयावधि में इस विकृति को ठीक करने के लिए सौम्य स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग के संयोजन का उपयोग किया जाता है।
इस तकनीक में, बच्चे के पैर को धीरे से स्ट्रेच किया जाता है और उसे सही स्थिति में जोड़ दिया जाता है और इसे एक कास्ट (आमतौर पर पैर की उंगलियों से जांघ तक) की मदद से सही करने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया हर सप्ताह दोहराई जाती है जब तक वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो जाते हैं। इसमें 6-8 सप्ताह या उससे अधिक समय भी लग सकता है।
एक बार जब स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग पूरी हो जाती है, तो सर्जन एक छोटे से प्रोसीजर की मदद से एच्लीस टेंडन (एड़ी की हड्डी) में टाइटनेस को कम कर देता है। अगले चरण में एक और छोटा प्रोसीजर किया जाता है जिसे टेनोटॉमी कहा जाता है। इस प्रोसीजर में टेंडन को काटने के लिए बहुत पतले उपकरण का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में टाँके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।