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नमस्कार
स्वागत है आपका, मित्रो कई लोगों को मालूम नही होगा कि देवल गढ़ का इतिहास क्या है?
चलिए आपको इस व्लॉग के द्वारा देवल गढ़ के इतिहास के बारे मे अवगत करता हूं.
आदरणीय कुंजिका प्रसाद उनियाल जी, जो कि राज राजेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी हैँ उनसे जानते हैँ ऐतिहासिक और पौराणिक देवल गढ़ के इतिहास के बारे मे.
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देवलगढ़ का उत्तराखण्ड के इतिहास में अपना एक अलग ही महत्व है। प्राचीन समय में उत्तराखण्ड 52 छोटे-छोटे सूबों में बंटा था जिन्हें गढ़ के नाम से जाना जाता था और इन्ही ने नाम पर देवभूमि का यह भूभाग गढ़वाल कहलाया। 14वीं शताब्दी में जब राजा अजयपाल चांदपुर गढ़ में सिंहासनारुढ़ हुये तो उन्होने देवलगढ़ जो कि सामरिक दृष्टि से बहुत ही सुरक्षित स्थान था को 1512 में अपनी राजधानी बनाया। किंतु लगभग 5 वर्ष पश्चात अलकनन्दा के तट पर श्रीनगर में स्थापित किया था । अपने 19 वर्षों के शासनकाल में राजा अजयपाल ने देवभूमि के 48 गढ़ों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया था। राज राजेश्वरी गढ़वाल के राजवंश की कुलदेवी थी । राज राजेश्वरी मन्दिर देवलगढ़ का सबसे अधिक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मन्दिर है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के राजा अजयपाल द्वारा ही करवाया गया था । गढ़वाली शैली में बने इस मन्दिर में तीन मंजिलें हैं । तीसरी मंजिल के दाहिने कक्ष में वास्तविक मंदिर है। यहां देवी की विभिन्न मुद्राओं में प्रतिमायें हैं। इनमें राज-राजेश्वरी कि स्वर्ण प्रतिमा सबसे सुन्दर है।
इस मन्दिर में यन्त्र पूजा का विधान है। यहां कामख्या यन्त्र, महाकाली यन्त्र, बगलामुखी यन्त्र, महालक्ष्मी यन्त्र व श्रीयन्त्र की विधिवत पूजा होती है। संपूर्ण उत्तराखण्ड में उन्नत श्रीयन्त्र केवल इसी मन्दिर में स्थापित है। मन्दिर के पुजारी द्वारा आज भी यहां दैनिक प्रात:काल यज्ञ किया जाता है। नवरात्रों में रात्रि के समय राजराजेश्वरी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस सिद्धपीठ में अखण्ड ज्योति की परम्परा पीढ़ियों से चली आ रही है। अत: इसे जागृत शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
आप लोग इसी तरह प्यार और आशीर्वाद बनाये रखेंगे ऐंसी आशा करता हूं
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What is the history of Devalgarh?
Which ruler capital was Devalgarh?
देवलगढ़ किस शासक की राजधानी थी?
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Which ruler capital was Devalgarh?
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