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हिन्दुओं के त्यौहारों में निर्जला उपवास करने का जिम्मा सिर्फ महिलाओं को रहता है, और पानी की एक बूंद पी लें, या झपकी ले लें, तो अगले जनम में कई तरह के प्राणी बना देने की चेतावनी भी उन्हें दी जाती है। बांझ हो जाने से लेकर विधवा हो जाने तक के सारे श्राप महिलाओं के लिए ही सौ फीसदी आरक्षित हैं। ऐसी ही बातों पर छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से ‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार ने चर्चा की। और इस बातचीत में एक महिला पक्ष जानने के लिए एक नौजवान लेखिका जीतेश्वरी साहू भी मौजूद थीं।