*तआरुफ़ ...* ~ *प्रेम रंजन अनिमेष* 🌿 यूँ तआरुफ़ में मुख़्तसर सा हूँ दिल हूँ सबके लिए धड़कता हूँ आदमी हूँ ख़ुदा बनाता हूँ पर ये सच कब किसी से कहता हूँ नन्हे बच्चे की हूँ लिखावट मैं रोज़ मिट मिट के रोज़ बनता हूँ सारी भाषायें मुझसे ही निकलीं ढाई आखर की वर्णमाला हूँ इस सबब से कि कोई धड़कन हो एक पत्थर पे हाथ रखता हूँ प्यार हूँ सब जहान में ढूँढ़ो अपने घर में तो कम ही रहता हूँ होता रिश्ता तो टूट जाता भी मैं तो 'अनिमेष' इक भरोसा हूँ 🌴 ✍️ *प्रेम रंजन अनिमेष*
@pksaini877 ай бұрын
Kya baat kya baat kya baat ❤️❤️❤️ laajwab
@artisrivastava72127 ай бұрын
Lajawab 👏👏👏👏👏
@akhileshthewarrior29043 ай бұрын
❤खूबसूरत ग़ज़ल और सुंदर गायन
@m.s.ansari84208 ай бұрын
So nice....
@SanjayKumar-hh1jx8 ай бұрын
गज़ल की परवरिश संजुक्त ऑडम से बनाता जिसे भाई अनिमेष बहुत ही खूबसूरती से उर्दू एवम हिंदी के शब्दों से ताना बाना बुना है जिसे स्वर प्रदान किया है रंजना झा जी ने ,उत्कृष्ट प्रस्तुति
@chetnajha15898 ай бұрын
बहुत सुखद
@dailman43778 ай бұрын
अदभूत
@pradumanbhan17118 ай бұрын
Use of hindi and urdu words enhances the ghazal to a very high level. This ghazal touches the heart and is also nicely sung. God bless you Animesh ji.