Financial Systems-Market Economy l Lecture-4 l Economics-Ramesh Singh l StudyIQ IAS Hindi

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Күн бұрын

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Пікірлер: 232
@shitalchaudhary-rv9dr
@shitalchaudhary-rv9dr Жыл бұрын
1st ans बाज़ार अर्थव्यवस्था ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें निवेश, उत्पादन और वितरण के निर्णय उन मूल्य संकेतों द्वारा निर्धारित होते हैं जो प्राकृतिक रूप से स्वयं ही माँग और आपूर्ति कि स्थितियों से उत्पन्न हों। ऐसी अर्थव्यवस्था में किसी चीज़ की बाज़ार में क्या कीमत हैं, यह निर्णय उस चीज़ की ग्रहकों द्वारा माँग और उत्पादकों द्वारा उत्पादन की मात्रा पर निर्भर होता है। इसके विपरीत ऐसी अर्थव्यवस्थाएँ होती हैं जहाँ चीज़ों की कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित होती हैं। आर्थिक रूप से बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं में अन्य अर्थव्यवस्थाओं से अधिक आर्थिक दक्षता होती है।
@sagarkavita-ut1wh
@sagarkavita-ut1wh Жыл бұрын
Yes
@sachinchaudhari2254
@sachinchaudhari2254 Жыл бұрын
उ.१) पूर्णतः बाज़ार अर्थव्यवस्था होने पर अर्थव्यवस्था के पंचक क्षेत्र में पुंजीपतियों की वृद्धि होती जाएगी, ऐसी स्थिति में वे राष्ट्राध्यक्षों से भी अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं तथा उनके निर्णय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा पूर्णतः बाजार व्यवस्था के कारण संस्थागत गरीबी अथवा आर्थिक असमानता की स्थिति पैदा हो सकती है। यह दोनों ही स्थितियां किसी भी राष्ट्र के संपूर्ण विकास के लिए अच्छी नहीं हैं। अतः कोई भी राष्ट्र इन स्थितियों से बचने के लिए नियम-कानून बनाएगा, जिससे वह अर्थव्यवस्था पुर्णतः बाज़ार अर्थव्यवस्था नहीं रह जाएगी। उ.२) बाज़ार अर्थव्यवस्था विनिमय या क्रय शक्ति के सिद्धांत पर चलती है। जिससे कम क्रय शक्ति वाले अथवा गरीब व्यक्ति बाजार की प्रक्रियाओं में हिस्सा नहीं ले पाते, जबकि अन्य व्यक्ति बाजार की प्रक्रियाओं में भाग लेकर और संपन्न बनते हैं। इस प्रकार गरीब और गरीब होते जाते हैं तथा समाज में आर्थिक असमानता का निर्माण होता है। अतः यह कहा जा सकता है कि बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती है।
@deepakattitudeboy464
@deepakattitudeboy464 8 ай бұрын
Awesome answer bro
@sachinchaudhari2254
@sachinchaudhari2254 8 ай бұрын
@@deepakattitudeboy464 Thanks bro👍
@Moscow2636
@Moscow2636 Жыл бұрын
1.ans जब संयुक्त राज्य अमेरिका स्वतंत्र हुआ तो उसने बाजार अर्थव्यवस्था को अपना लिया और प्रतिस्पर्धा को जरूरी मानते हुए आम लोगों की स्थिति बेहतर करने हेतु इस पर विचार किया इस व्यवस्था में क्या उत्पादन करना है और उसे किस कीमत पर बेचना है सब बाजार तक करता है तथा इस आर्थिक व्यवस्था में सरकार की कोई आर्थिक भूमिका नहीं होती है इस कारण गरीबों के हित मरने लगी मजदूरी में लचीलापन खत्म होने लगा और सबको नौकरी मिल पाना मुश्किल होने लगा और कुछ लोग बेरोजगार होने लगे ऐसे में मांग में गिरावट के साथ बाजार में मंदी का दौर शुरू हुआ और 1929 में महामंदी हुई अगर पूर्णता: बाजार अर्थव्यवस्था नहीं होती और सरकार का मजबूत दखल होता तो शायद 1929 की महामंदी से निपटने का कोई उपाय होता. अतः कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णता: बाजार अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती.
@DEEPAKPANDEY-po4zu
@DEEPAKPANDEY-po4zu Жыл бұрын
😍
@tilak_vloges
@tilak_vloges Жыл бұрын
nice
@tilak_vloges
@tilak_vloges Жыл бұрын
youtube.com/@tilakkasotiya3514 .........my KZbin channel
@Sikandar-iw5un
@Sikandar-iw5un 9 ай бұрын
Nice
@abhinavbharti4433
@abhinavbharti4433 Жыл бұрын
1 बाजार अर्थव्यवस्था में निजी हित जुड़े होते है २ किसी भी देश को बाजार के साथ स्थानीय बाज़ार की आवश्यकता होती है जैसे ग्रामीण स्तर पर ३पूर्णता बाजार की स्थिति में एकाधिकार की संभावना बढ़ सकती है ४ प्रत्येक देश में बाजार अलग अलग प्रकार से विकसित हुआ है जैसे अमेरिका में एंड चीन में ५ आज भी इंडिया के ग्रामीण इलाकों में विनिमय प्रनाली का उपयोग होता है
@SHALINIKUMARI-oh9xx
@SHALINIKUMARI-oh9xx Жыл бұрын
2. Market economy focus on creation of wealth and ownership of capitals and it can bring monopoly in market . It is well known that every people don't have equal resources, in market those with more cost power will govern the market in this process it will creat a cascading effect means poor will become more poor . A Market economy partially care of welfare of poor people it only care of own profit that's why poor people became unable to get basic need and compete with market and it stabilise poor section. Reason that stabilise poor due to market economy * Resources distribution to some section of society * Market focus on ownership on capitals * Not giving any chances to poor section * Lack of welfare policy * High completion in market and not skilled poor people a/c to market demand
@keshavkhandelwal1730
@keshavkhandelwal1730 Жыл бұрын
Ans 2 गरीब लोग और गरीब हो जाएंगे यदि उन्हें पर्याप्त साधन प्राप्त न हो। बाजार अर्थव्यवस्था ऐसी ही एक अर्थव्यवस्था है जो हाशिए पर मौजूद लोगों को समाज से जुड़ने का अवसर प्रदान नहीं करती और जिससे उनमें गरीबी बनी रहती है। बाजार अर्थव्यवस्था वस्तु और सेवा के मूल्यों में वृद्धि करती है जिससे व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पाता और गरीबी से कभी उभर नहीं पाता और यह अर्थव्यवस्था गरीबों की संख्या में निरंतर वृद्धि करती हैं और गरीबी एक संस्थागत रूप ले लेती है।
@roopamshukla534
@roopamshukla534 Жыл бұрын
Sir hum upsc ki prepration to nahi kar rahe hai per mera subject economics hai aur humari line teaching ki hai per aap samjhate bahut acha hai concept clear ho jata hai ishliye hum apka class lete hai Bahut behtareen samjhate hai aap thanks sir🙏🙏🙏
@aashiq955
@aashiq955 Жыл бұрын
Bahut bahut shukriya sir. Aap nahi jante ye lecture hamare jivan me kitna jyda important rakhte hai. Aapka bahut bahut dhanyawad sir tahe dil se.
@tanishagaurav3935
@tanishagaurav3935 Жыл бұрын
Sir aaj tk economics k lie pure KZbin pe ek hi teacher ko janti thi but you are also the best teacher for economics
@rahulpandey-wz9py
@rahulpandey-wz9py Жыл бұрын
Wo 1 kn h?
@tilak_vloges
@tilak_vloges Жыл бұрын
youtube.com/@tilakkasotiya3514
@lifewithpiya25
@lifewithpiya25 Жыл бұрын
​@@rahulpandey-wz9pymurnal sir...
@rahulpandey-wz9py
@rahulpandey-wz9py Жыл бұрын
@@lifewithpiya25 okk
@edufocii2149
@edufocii2149 Жыл бұрын
यदपि किसी बाजार व्यवस्था में विभिन्न पक्षकारों के मध्य हितों का समायोजन होने से आर्थिक क्रिया ओ को गति मिलता है। परंतु बाजार व्यवस्था के कमियों जैसे केवल लाभ के हित से प्ररित होकर कार्य करना, वस्तु व सेवाओं के कीमतों में उत्तरोत्तर वृद्धि होने के साथ अर्थिक असमानताओं की बढ़ती खाई आदि के परिणामस्वरूप लोककल्याणकारी कार्य पीछे छूट जाती हैं 1929 की वैश्विक मंदीने इस व्यवस्था की अप्रासंगिकता को बताया फलस्वरूप इसके विकल्पों के रूप में अन्य व्यवस्था की खोज शुरू हुई। वर्तमान स्थिति यह है कि आज कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतः बाज़ार व्यवस्था नही हो सकती है
@shivansh_saurav
@shivansh_saurav Жыл бұрын
Ans(1) This is because there's always a role of the state in the market either directly or indirectly. For example, state imposes taxes on production to run the government, that is, to maintain police order, build infrastructure, pay its employees, etc. which is also essential for a safe and free market itself, without which any market will hardly sustain on its own. 🤗🤗
@shatetsameer5743
@shatetsameer5743 2 ай бұрын
1) 1929 ke samay veshvik aarthik mandi ne vishv ko ye sochne ke liye majboor kr diya ki Bazar Arthvyvastha se sabhi ka vikas ho sktaa h ki nahi Bazar Arthvyvastha me sewao or vastuo ke utpadan or vitran me niji vyaktiyo ka niyantaran rehta h Bazar me sirf whi log partispardha krte h jo samarth hote h lekin asamrth log isse achhute reh jate h isliye rajye ka anshik niyantaran anivarye ho jata h
@kmsunaina966
@kmsunaina966 Жыл бұрын
Sir ap sach me bahut achhe se samjha rhe h ek dm abhi yaad hogya bhulungi nhi sir ji pakka selection ke baad mai apka pair chune jarur aungi sir ji (IAS )bn kr 🙏🙏
@abhishekmaurya8862
@abhishekmaurya8862 Жыл бұрын
Ans-1 koi bhi arthvyavstha fully market economy nhi ho sakati iske nimn Karan hai a) Fully market economy men, less competitive sectors ki sevayen mahangi hongi. b) high competition ke vajah se nayen start ups ko establish hona mushkil hoga. Ans-2 samaj men poor class ko welfare scheme ke bina age nhi laya ja sakta kyoki is class ke log basic requirement ko full fill karane men hi apna jeevan gujaar deten hai ya yun kahen kabhi inse upar nhi uth paten is vajah se poor class ke log achchi education ya life standard ko improve karne vali necessities par kharch nhi kar paten. Aur gareeb hi hoten jaten hai. b)
@shivipariharsatna5724
@shivipariharsatna5724 Жыл бұрын
Question 1 1 ek Dusre ko prabhavit karti hai 2 koi ek varg pichhda jarur rahega 3 sahyogatmak paddhati jaruri 4 1929 ke mandi ke bad swarup me badlao 5 utter koria tatha america jaise desh Question 2 1 aarthik aasamanta badti hai 2 pichhde varg ke liye suvidha nahi 3 logo ko purchasing power kam ho jati hai 4 mulyo ka nirdharn bade log karte hai
@shivaniarora2715
@shivaniarora2715 Жыл бұрын
Q- कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतया बाजार अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती आलोचित करें। Ans- बाजार अर्थव्यवस्था में सभी का निजी स्वार्थ होता है। सभी आर्थिक क्रियाओं को बाजार द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसमें राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। जो व्यक्ति गरीब है, और उसके पास बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए कौशल की कमी है, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में बाजार अर्थव्यवस्था असमर्थ है, इसलिए कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतया बाजार अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती। Q-बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती है विश्लेषण करें। Ans- बाजार अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से निजी व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा संचालित होती है, इसके संचालन में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। बाजार अर्थव्यवस्था में वे लोग ही जीवन निर्वाह कर सकते हैं, जिनके पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है। जो व्यक्ति गरीब और संसाधन विहीन है उनका इस अर्थव्यवस्था में रहना दुरूह है। बाजार अर्थव्यवस्था में गरीब व्यक्ति अंततः गरीब ही रहता है, और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी का चक्र चलता रहता है, इस प्रकार गरीबी एक संस्थागत रूप धारण कर लेती है।
@prititripathi6162
@prititripathi6162 Жыл бұрын
Sar hame sirf our sirf aapki classes acchi lagti sar mein topic hai ki samjh me aata hai sirf aapki
@rahulpandey-wz9py
@rahulpandey-wz9py Жыл бұрын
Sir pdf nhi dete kya
@sangamkumari4149
@sangamkumari4149 8 ай бұрын
Answer 2-बाजार अर्थव्यवस्था एक ऐसा तंत्र है जहां भिन्न भिन्न लोग अपनी निजी स्वार्थ को ध्यान में रखकर कार्य करते हैं, जिस कारण लाभ कमाने के उद्देश से व्यक्ति अपने अपने स्तर निवेश करते हैं किंतु इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में वही व्यक्ति लाभ कमा सकता है जिसके पास निवेश योग्य संसाधन हो अर्थात गरीब वंचित लोगो के उत्थान हेतु कोई अलग से तंत्र नही होता जिसके फलस्वरूप गरीब व्यक्ति का बाजार अर्थव्यवस्था में लाभ कमाने हेतु पूंजी व संसाधनों के अभाव में गरीबी की एक संरचना बनती जाती है जहा गरीब और गरीब एवम अमीर और अमीर बनता जाता है। यही कारण है कुछ आलोचकों द्वारा बाजार अर्थव्यवस्था को गरीबी को संस्थागत बनाने वाली अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
@jhamitadugga9021
@jhamitadugga9021 Жыл бұрын
1 sir koi bhi arthvyavasta pundtha nahi anshik rup se hoga 2 gribhi ki Hal me vha bjar arthvyavasta me bhumik nahi nibha bari💓💓😍
@upbiharuphar
@upbiharuphar Жыл бұрын
Sir kya class ki notes banane per bhi book ko padhna important hai ya fir class notes enough rahega revision ke liye?
@shatetsameer5743
@shatetsameer5743 2 ай бұрын
2) Bazar Arthvyvastha me keval whi log apna vikas kar pate h jo samarth hote h punjipati hote h asamarth log ya gareeb log apna vikas nahi kr pate h or Isse Ameer or ameer v gareeb or gareeb hota jata h
@NitishKumar-iv1mg
@NitishKumar-iv1mg Жыл бұрын
जितना आपको श्रेय मिल रहा उतना बहुत कम है। दिल से धन्यवाद।
@rahulsaxena3978
@rahulsaxena3978 Жыл бұрын
Question 1 ka answer.. बाजार अर्थव्यवस्था ऐसी होती है । निवेश, उत्तपादन, वितरण के मूल्यों को निर्धारित करता है। विपरीत अर्थव्यवस्था ऐसी होती है जहा चीजों की कीमत सरकार निर्धारित करती, आर्थिक रूप से बाजार की अर्थव्यवस्था अन्य अर्थव्यवस्थाओं से अधिक। Question 2 answer. यह निजी स्वार्थ की अर्थव्यवस्था है बाजार में अनेक लोग निजी स्वार्थ के संस्थान हैं श्रम का विभाजन गुणवत्ता का विकास श्रम बेहतर मूल्य आदि । Thank you 🙏 sir ji .. Question krne k liye..
@pawanbhati8357
@pawanbhati8357 Жыл бұрын
Q.1 जैस कि प्रश्न से स्पष्ट है कोई भी अर्थ व्यवस्था पुडतः बाजार अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती 1. क्युकी इसमें क्रय उपभोगताओ की विषमता होती है अर्थात गरीब विनिमय से वंचित होता है 2. एक मुख्य कारण ये भी है की बाजार अर्थव्यवस्था "अदृश्य हाथ" के भांति होती है इसलिए इस पर अर्थव्यवस्था निर्भर नहीं रह सकती 3. इसमें राज्य का हस्थ्छेप मुख्य कारण है
@divyaagnihotri4617
@divyaagnihotri4617 Жыл бұрын
Sir please is series ko continue rkhiye mujhe book pdhne m or samjhne m ab bhut help mil rhi h regular rkhiye sir please thank you so much sir
@surbhijain4895
@surbhijain4895 Жыл бұрын
Thank you so much sir 🙏😊 Apse jitna thank you bole hum log utna km hai🙏🙏🙏🙏
@Man_omg
@Man_omg Жыл бұрын
Q 1: 1. बाजार अर्थव्यवस्था कल्याणकारी लक्ष्यों को पीछे छोड़ देती है। 2. यह अर्थव्यवस्था संसाधनों का पूर्ण दोहन करने पर बल देती है जो की देश के भविष्य पर सवाल उठाती है। 3. बाजार अर्थव्यवस्था जिसमे मूल्य निर्धारण बाज़ार पर निर्भर होता है जिससे देश के कुछ जन विशेष इससे दूर हो जाते है। 4. मूलभूत आवश्यकताएं जो देश के लोगो के लिए जरूरी है इस अर्थव्यवस्था के कारण प्रभावित रहेगा। 5. देश की कुछ संवेदी क्षेत्र जिसे बाज़ार अर्थव्यवस्था को सौंपने पर देश के लिए असुरक्षा का माहौल उत्पन्न होता रहेगा। Q 2: 1. चूंकि बाज़ार अर्थव्यवस्था में पूंजी एक मूलभूत आवश्यकता होती है इसलिए गरीबी इसमें प्रतिस्पर्धा नही कर पाएगी। 2. इस व्यवस्था में लोग उनके पास उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर होकर निवेश करते है इसलिए कुछ कम संसाधनों वाले लोग बाजार से दूर होते जायेंगे और एक समय बाद वह इससे किनारे हो जायेंगे। 3. इस व्यवस्था में सभी निजी स्वार्थ बहुत महत्व रखता है जोकि सभी को अधिकाधिक लाभ पाने के लिए प्रोत्साहित करता है जो कि गरीब लोगो को दूर करता है। 4. ये व्यवस्था एक संस्था के रूप में कार्य करती है जो अपने योग्य लोगो, कम्पनियों के साथ विनिमय व्यापार करती है इस प्रकार जिनके पास कम संसाधन होंगे वो इस तरह के प्रतिस्पर्धा में भाग नही ले पाएंगे और वो संस्थागत गरीबी में डूबते जायेंगे।
@minaksichoudhary260
@minaksichoudhary260 Жыл бұрын
Q2 ans. Bazar economy me aisi koi bevastha nhi h jo kam sansadhan wale person ke liye koi upaye karti ho . Isse jiske paas Sadhan h wo Ameer hota chala jata hai or jiske paas Sadhan nhi h wo greev hota chala jata hai.
@pragyakatiyar115
@pragyakatiyar115 Жыл бұрын
Shukriya sir
@PradeepKumar-dh8mr
@PradeepKumar-dh8mr 6 ай бұрын
Sir aapke lectures bahut अच्छे हैं ।
@mohittiwari9769
@mohittiwari9769 Жыл бұрын
bahut acche se smjh aa rha sirji aur accha lg rha first time economy pdhkr
@DINESHCAREERINSTITUTE
@DINESHCAREERINSTITUTE Жыл бұрын
बाजार अर्थव्यवस्था के मूलभूत अधिक निजी स्वार्थ और अधिकतम लाभ हैं और ये प्रतिस्पृधा पर आधारित हैं जिससे लोगों में आर्थिक असमानता बढ़ती हैं और कम क्रय शक्ति वाले समुदाय अर्थ व्यवस्था से बाहर धकेल दिये जाते हैं इसलिए ----. किसी भी अर्थ व्यवस्था में राज्य का पूर्ण या शून्य रूप से अधिकार नहीं हो सकता हैं क्युंकि 1. अर्थ व्यवस्था में बाजार को कुछ स्वतन्त्रताओ की नितांत आवश्यकता होतीं हैं इसलिए राज्य को बाजार नियंत्रण नीतियां अपनानी पड़ती हैं जिससे वो बाजार को कुछ राहत देकर control करता है । 2. सम्पूर्ण आर्थिक क्रियाएं बाजार पर नहीं छोड़ी जा सकती हैं क्युंकि राज्य को कुछ कल्याणकारी नीतियां अपनानी पड़ती हैं जैसे - न्यूनतम मजदूरी दर, विभिन्न जनहित योजनाएं 3. बाजार अर्थव्यवस्था में अधिक क्रयशक्ति वाले लोगों को अधिकतम लाभ होता हैं और न्यूनतम क्रयशक्ति वाले लोगों को गरीबी में धकेल दिया जाता हैं जिससे आर्थिक असमानता में वृद्धि होती हैं जो किसी देश को सतत् लक्ष्य प्राप्त करने में बाधा बन शक्ति हैं । Most - इस अर्थव्यवस्था के लिए " जिसकी लाठी उसकी भैंस " कथन साबित होगी, यदि वह पूर्ण बाजारवादी अर्थव्यवस्था बनती हैं तो ।
@richukumari2515
@richukumari2515 Жыл бұрын
Ans 1. पूर्णतः बाजार आधारित अर्थव्यवस्था मे किसी वस्तु का मूल्य निर्धारण बाजार तथा क्रेता करते है किंतु इसमें कुछ गरीब लोग जिसके पास बाजार आधारित मूल्य पर वास्तु को खरीदने की क्षमता नहीं होती उनको बाजार अर्थव्यवस्था मे कोई विकल्प नहीं मिलता है।
@pankajverma9474
@pankajverma9474 Жыл бұрын
1.बाजार अर्थव्यवस्था पूर्णतः लाभ के सिद्धांत पर कार्य करता है जिसके कारण समाज का एक वर्ग लगातार वृद्धि करता जाता है,किंतु उसी राज्य के कुछ वर्गो का इतना सामर्थ्य नहीं होता की उस बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके ।अतः इसका निराकरण हेतु राज्य को हस्तक्षेप करना पड़ता है ,जिसके कारण वह अर्थव्यवस्था पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था नहीं रह जाती। जैसे 1777 से 1929 के महामंदी तक usa की अर्थव्यवस्था बाजार वाली रही किंतु उसके बाद नही।
@sakshi_verma1231
@sakshi_verma1231 4 ай бұрын
Thanku so much sir bhut aacha class lga
@harshraj2500
@harshraj2500 Жыл бұрын
q1 Totally market economy ka matlab hua ki jahan rajya ki bhumika nagnya 0% ho jayegi . Aur market economy logo ke niji swarth se kam karta hai . Matlab ki kisi bhi tarah apne aap ko labhanvit karna. Aur labh bhi us parivesh me rahne vale kuchh hi logon ke pas rah jayegi Jo sansadhano ke kray ya vikrya me samarthya hain . Isse us Desh ki bahut badi abadi Jo vo pratispardha me rahegi hi nahi vo to vanchit ho jayegi aur vahan ek behatar rajya ki kalpna nahi ho sakti.
@deeptishriwash4189
@deeptishriwash4189 Жыл бұрын
सर जी आपने हिन्दू और द इंडियन एक्सप्रेस के एडिटोरियल एनालिसिस का बोला था वो कब आएगा?आपकी इकोनॉमिक्स की क्लास बहुत अच्छी होती है ।इससे हमें बहुत लाभ हो रहा है ।हम जैसे बच्चे जो कोई कोर्स afford नही कर सकते उनके लिए ऐसी classes बहुत महत्वपूर्ण है।आपको इन क्लासेज available कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।please ये क्लासेज ऐसे ही लाते raheaga।
@kingofindianvlogging1053
@kingofindianvlogging1053 Жыл бұрын
Sir answer to likhte h pr hume ye bhi smj aa rha h ki aise send krna h.thanky sir ente zatil vishay ko sahjta se smja ke pdane ke liye thanky sir
@deeptigangwar4209
@deeptigangwar4209 Жыл бұрын
Q1- koi bhi arthvivastha puri tarah bajar arthvivastha nhi ho skti kioki agr aisa hoga to jiske pass punji hogi usi ka ekadhikaar badega or discrimination bhi badega isliye government ka control jaruri hai . eg. USA me 1929 me arthic mandi aayi thi. Q2- Bajar arthvivastha gareebi ko sansthagat krti hai kioki is vyavastha me wahi log apna yogdaan kr payenge jiske pass dhan hoga or amir bn jayenge or gareeb vyakti apna koi yogdaan nhi de payega jisse gareeb or gareeb hoga or amir or amir hote jayenge.
@UPSC.5932
@UPSC.5932 Жыл бұрын
बाजार अर्थव्यवस्था में राज्य का हस्तक्षेप पूर्ण या आंशिक तौर पर निष्क्रिय तथा इसमें संसाधनों के अधिपत्य पर अधिक फोकस होता है। बाजार अर्थव्यवस्था की कमियां :- - 1929 की महामंदी के दौरान यह फेल हो गई क्योंकि इसमें सबकुछ व्यक्ति की क्रय-शक्ति के आधार पर तय होता है। - गरीब के लिए कोई विकल्प नहीं - आर्थिक असमानता में निरंतर वृद्धि - गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और अधिक अमीर - राज्य का कल्याणकारी कार्य नगण्य निष्कर्षत: कल्याणकारी कार्य करने, लाभदायक नीतियाँ बनाने और व्यापार व संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए अर्थव्यवस्था में राज्य का दखल आवश्यक है।
@keshavkhandelwal1730
@keshavkhandelwal1730 Жыл бұрын
Ans 1 1929 की आर्थिक मंदी के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मंदी के उस दौर में लाकर खड़ा कर देगी जिससे की देश की प्रगति का पथ पूर्णतः बाधित हो जाएगा। पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था के दुष्परिणामों को निम्न बिंदुओं की सहायता से समझा जा सकता है जो किसी देश को इस तरह की अर्थव्यवस्था अपनाने से रोकता है 1 देश में विद्यमान संसाधन विहीन व्यक्तियों का संसाधनों से और दूर हो जाना 2 देश के कुछ लोगों को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता 3 संपन्न लोगों पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण न होना (अनियंत्रणकारी शक्ति प्राप्त) 4 बाजार में व्यक्ति की नितांत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए साधन की उपलब्धता पर सरकार का अनियंत्रण 5 महंगाई में निरंतर वृद्धि 6 हाशिए पर स्थित लोगों में असंतुष्टता की स्थिति
@naturelover3920
@naturelover3920 Жыл бұрын
बाजार अर्थव्यवस्था मे कभी कभी कम गुणवत्ता वाली वस्तुओ एव्ं सेवाओं का मूल्य अधिक हो जाता है जिस कारण निजी स्वतंत्रता को खंडित करके समाज कल्याण के लिए सरकार का हस्तक्षेप हो जाता है इस कारण बाजार अर्थव्यवस्था पूरणता, बाजार अर्थव्यवस्था नही रह जाती २. बाजार अर्थव्यवस्था मे गरीबी को योगदान लगभग शून्य रहता है क्योकि मूल्यों के निर्धारण मे निजी स्वमित्यों की स्वतंत्रता के कारण वस्तु एवं सेवाएं अधिक मूल्यावाँन हो जाती है जिस कारण गरीबो को संस्थागत कर देती है
@HassanPH93
@HassanPH93 Жыл бұрын
बाज़ार अर्थ वयवस्था पूरी तरह से लागू करने के लिए देश के सभी लोगों को बाज़ार तक आने की सुविधा होनी चाहिए और अपना माल बेचने के लिए व्यपारियों को वैसा बाज़ार भी सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए जहाँ हर तबके के लोग आसानी से आकर अपना ज़रूरत की चीज़े ख़रीद सके इसलिए बाज़ार अर्थव्यवस्था 100% नहीं हो सकती है बाज़ार अर्थव्यवस्था में अगर एकाधिकार किसी एक वयक्ति का होता है तो वैसे हाल में हम गरीबी को दूर नहीं कर सकते इसलिए गरीब आदमी गरीब रह जाता है
@VikramJeetGodara01
@VikramJeetGodara01 Жыл бұрын
Goal...❤
@vijay.Kumar.88
@vijay.Kumar.88 Жыл бұрын
Parnam guruji🙏🙏
@mohdnasir8787
@mohdnasir8787 Жыл бұрын
Excellent you're very good teacher. You are elaborating very complicated theories in very easy method.
@manshipal5277
@manshipal5277 10 ай бұрын
Real me sir aapne Pura topic mind me fit kar diya hame phle kuchh bhi samajh nahi aa Raha tha
@kirangavade-ux8wr
@kirangavade-ux8wr 9 ай бұрын
Very very nice session sir ❤
@radhekrishna-lu7cv
@radhekrishna-lu7cv Жыл бұрын
Thanks study IQ
@priyankaatiwari494
@priyankaatiwari494 Жыл бұрын
Q 1. Koi bhi arthvyavstha purnata bajar arthvyavstha nahi ho sakati kyoki agar aisa hota hai to bajar me eka adhikar hone ka khatara bad jata hai aur asamanata ki khai aur gahari jaegi is lie sarakar ka bajar me hstachhep hona jajuri hota hai Q2 . Bajar arthvyavstha garibi ko santhagat karati kyoki bajar me vahi log participation kar pate hai jinake pas punji hoti hai Vo bajar me bhagidari bada ker aur amir ho jate hai aur garib aur garib hota jata hai aur dhire dhire ye duri aur bad jati hai fir ye sansthagat rup le leta hai aur ise kam karana lagabhag asmbhav ho jata hai !
@ramawatarbanjara2000
@ramawatarbanjara2000 Жыл бұрын
Dhanywad guru ji nice lecture
@sunilgagat2376
@sunilgagat2376 Жыл бұрын
Sir aap acha pdate ho
@kritirani9253
@kritirani9253 Жыл бұрын
Thanq sir apne kafi esliy economics ko cover kra diya
@AdityaKumarRaj-yn8hp
@AdityaKumarRaj-yn8hp Жыл бұрын
Sir please content bata de ki economics me ap kon kon se chapter teach karenge aur kon kon se chapter upsc ke liye important hai
@shitalchaudhary-rv9dr
@shitalchaudhary-rv9dr Жыл бұрын
2nd ans अर्थशास्त्र में मूल्य संकेत या कीमत संकेत वह सूचना होती है जो उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच किसी उत्पादन सेवा या वस्त की कीमत द्वारा दी जाती है। यदि कीमत बढ़े तो उपभोक्ताओं को संकेत मिलता है कि बाज़ार में उत्पादन की उपलब्धि की कमी हो रही है इसलिए खपत कम करें और उत्पादकों को संकेत मिलता है कि उत्पादन की मात्रा बढ़ाएँ। इसके विपरीत यदि कीमत गिरे तो संकेत मिलता है कि बाज़ार में उत्पादन थोक में है इसलिए खपत बढ़ाई जाए और उत्पादकों को संकेत मिलता है कि उत्पादन की मात्रा मूल्य संकेत अच्छी अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है
@deepakchauhan2920
@deepakchauhan2920 Жыл бұрын
Nice
@anjeshinspiresindia3802
@anjeshinspiresindia3802 Жыл бұрын
Awesome answer 👍 thanks Shital ji
@shubhamkumargyanais5756
@shubhamkumargyanais5756 Жыл бұрын
Shital apne economic k notes banye h
@shubhamkumargyanais5756
@shubhamkumargyanais5756 Жыл бұрын
Shital apne economic k notes banye h
@shubhamkumargyanais5756
@shubhamkumargyanais5756 Жыл бұрын
Shital apne economic k notes banye h
@mohammadyasin5664
@mohammadyasin5664 Жыл бұрын
Answer 2. बाजार अर्थव्यवस्था में गरीब या कम क्रय शक्ति वाले के लिए कोई उपाय नहीं है क्योंकि इस व्यवस्था में जो गरीब है वह गरीब ही रहेगा और को क्रय शक्ति अधिकता वाले है उसे इस अर्थव्यवस्था में लाभ प्राप्त होगा। यह अर्थव्यवस्था गरीब और कम क्रय शक्ति वालो के लिए निराशाजनक साबित होती है यही कारण है की बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती है।
@coversingerakash3673
@coversingerakash3673 Жыл бұрын
Bahut accha padha rahe hain sir ji
@shivansh_saurav
@shivansh_saurav Жыл бұрын
Ans(2) Market economy , which is totally driven with the self motive, has all the potential to rule out anyone that fails to grow in compliance with the market growing speed. A person with enough wealth will be able to gather factors of production more efficiently, generate any product & service and distribute it at cheaper rates which will ultimately give him an upper hand in the market. On the other hand , a person who is / had been poor/deprived initially (due to any reason,i.e, social or religious exclusion, exploitation, etc.) will not be able to gather such factors and will not be able to signify his or her presence in the market which will ultimately make him move him farther from the market making him poorer. Thus, we can say that pure market economy definately institutionalises poverty. So, it is essential that some sort of state intervention(like CSR, Subsidies, targeted welfare schemes, etc.) happens to establish a welfare state. 🤞🤞🤞
@ajaykumar-yj5ht
@ajaykumar-yj5ht Жыл бұрын
1 a. वर्तमान में संसाधनों पर किसी एक व्यक्ति का अधिकार नही हो सकता है b. विश्व में अधिकतर देश कल्याणकारी देश है!
@navneettiwari958
@navneettiwari958 Жыл бұрын
सर आप बहुत बेहतरीन पढ़ा रहें हैं.. ❤sir..
@prititripathi6162
@prititripathi6162 Жыл бұрын
Pranaam sar 🙏
@anshupanwar2167
@anshupanwar2167 Жыл бұрын
Sir please puche gaye question ka answer bhi display kar diya karo isse ham question ka ache se analysis kar payege
@youtoocivilaspirant9909
@youtoocivilaspirant9909 Жыл бұрын
I love you Sir....I love study IQ
@studyismybestfrnd.5358
@studyismybestfrnd.5358 Жыл бұрын
Q2_ बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती है। Ans १ _बाजार अर्थव्यवस्था में किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित नहीं होता है ,जिससे इसका उपभोग गरीब नही कर सकते है।। 2_ बाजार अर्थव्यवस्था में अमीर लोग अमीर होते जा रहे और गरीब लोग गरीब होते जा रहे है। 3_ सामान्य मानव के पास संसाधन कि कमी होती है , इसीलिए हम कह सकते है कि बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती है।।
@aditya_yadav2.6
@aditya_yadav2.6 Жыл бұрын
Best class on u tube
@poonampaswan121
@poonampaswan121 Жыл бұрын
कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था नही होती क्योंकि अर्थव्यवस्था की कुछ मौलिक आवश्यकता होती हैं जिसमे सरकार की भूमिका, लोगों की भूमिका और समाज की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए दखल होता है
@JassiSingh-qb6sm
@JassiSingh-qb6sm Жыл бұрын
Ans.2 बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को सस्थागत करती है क्योंकि 1) बाजार अर्थव्यवस्था में एक गरीब व्यक्ति के विकास की व्यवस्था नहीं करती जिसकी क्रय शक्ति नही है। 2) बाजार अर्थव्यवस्था आर्थिक असमानता को बढ़ावा देती है। 3) यह अर्थव्यवस्था सरकार द्वारा किए जा रहे कल्याणकारी कार्यों को नगण्य बना देती है। Review my answer and suggestions
@tusharravmaratha7111
@tusharravmaratha7111 Жыл бұрын
bhut shi sir apka exprince bhut shi hh
@minaksichoudhary260
@minaksichoudhary260 Жыл бұрын
Q1 ka ans. 1777 me usa or urope ne punjibadi arthvebastha ko apnaya jisse ye Desh Ameer bane or inki economy growth kafi badi lakin 1929 ki aarthik mandi ne is abdarna ko badal diya or ye sabit kiya ki koi bhi arthvebastha complete bajar arthvebastha nhi ho sakti.
@pratikshadixit6066
@pratikshadixit6066 Жыл бұрын
Thanks sirji Dil se sukiya video clr nhi dekh rha hi
@rinkitiwari5353
@rinkitiwari5353 Жыл бұрын
Thnk you sir for your support 🙏🙏🙏
@NirbhayOjha-rf2in
@NirbhayOjha-rf2in Жыл бұрын
Bhut achha laga Gurudev
@DINESHCAREERINSTITUTE
@DINESHCAREERINSTITUTE Жыл бұрын
Answer 2 बाजार अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती हैं जिसके कारण निम्न हैं बाजार अर्थव्यवस्था में लोग ज्यादा लाभ के लिये कार्य करते हैं जिससे वह दूसरों का हित नहीं देख पाते हैं इसमें अधिक क्रयशक्ति वाले लोग लोग और अधिक अमीर होते जाते हैं और संसाधनों का अधिक दोहन करते हैं जिससे कम क्रय शक्ति वाले लोग वंचित रह जाते हैं और ये लोग उनकी प्रतिस्पृधा नहीं कर पाते हैं और धीरे- धीरे समाज से बहार हो जाते है और अपनी मूलभूत आवश्यकता भी पुरी नहीं कर पाते जिससे गरीब गरीब ही रह जाते हैं इस प्रकार ये अर्थव्यवस्था गरीबी को संस्थागत करती हैं ~ DINESH NATH YOGI
@ajaykumar-yj5ht
@ajaykumar-yj5ht Жыл бұрын
2.a. बाजार अर्थव्यवस्था में सलंग्न लोगो एवं उपक्रमों के निजी लाभ के लिए कार्य b. गरीब या कम क्रय शक्ति वाले के लिए कोई उपाय नहीं
@swatibhardwaj8858
@swatibhardwaj8858 Жыл бұрын
2nd bazar arthbywastha me wahi byakti damil hote hai jisake pas bechane k liye kuchh ho aur kharifane k liye paise ho Jisase grib gari aur amir amir
@SHALINIKUMARI-oh9xx
@SHALINIKUMARI-oh9xx Жыл бұрын
Every state has different section of people some have more resources and other have very few or lack of resources ,as it is well known that market economy focus on ownership of capitals production then it bring surity that those few people have more capital will govern the market and resources of state, in every state government is bound to do welfare of every section of society, that's why it government interfare in market but it is minium interference. For example in mostly product where welfare of citizen is connect government parallely run company with market or bring any policy for market e.g. Reliance as well as HPL
@arnavprajapati2282
@arnavprajapati2282 Жыл бұрын
Sir please class ko sham me rakhiye please
@IKSG-5
@IKSG-5 Жыл бұрын
प्रश्न १- पूर्ण बाज़ार अर्थ व्यवस्था का मतलब यह हुआ कि सरकार का हस्त्छेप नगण्य हो जाएगा एवं गरीब उस वयस्था मैं शामिल नहि हो पाएगा। गरीब का बाज़ार मैं शामिल ना हो पाना से वह गरीब और भी गरीब हिट जाएगा। यह उसस देश के लिए अच्छा संकेत नहि होगा। इसीलिए किसी भी देश की व्यवस्था पूर्णता बाज़ार व्यवस्था नहि हो सकती/ ग़रीबी लो संठगत करना का क्या मतलब हुआ?
@Veeru497
@Veeru497 Жыл бұрын
Sir please poora karva dijiye 🙏🙏🙏
@satyamgupta3875
@satyamgupta3875 Жыл бұрын
One of the best class of economics
@sabhyapathak8049
@sabhyapathak8049 Жыл бұрын
Sir please conceptual understanding increase kre it's help for all.
@coversingerakash3673
@coversingerakash3673 Жыл бұрын
Sir economics ke liye to app hi hamare guru hua
@prietykumari1868
@prietykumari1868 8 ай бұрын
ThnQ❤
@Monikasingh15228
@Monikasingh15228 Жыл бұрын
प्र. 1 - उत्तर -- पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था यानि कि पूंजीवाद अर्थव्यवस्था और पूंजीवाद में आधिपत्य का गुण होता है और इसे कोई अमीर व्यक्ति चाहे तो एकाधिकार भी कर सकता है | लेकिन पूर्णतः बाज़ार अर्थव्यवस्था नहीं हो सकती क्योंकि राज्य सरकारों का इनमें दखल होता और नियम भी होते हैं | प्र . 2 - उत्तर-- बाजार अर्थव्यवस्था में सभी वर्गों को एक साथ ही बाजार में उतारा जाता है जिससे जो व्यक्ति अमीर है वो तो बाजार में भाग लेकर और अमीर बन जाते हैं, और जो गरीब है वो इस बाजार में भाग ही नहीं ले पाते अलग ही रहते हैं तो वे और भी गरीब होते जाते हैं | और कुछ बाजार अर्थव्यवस्थाओं के माडल ही ऐसे होते हैं जिनमें कुछ लोग हर बार गरीब होते रहते हैं |
@rishabhgautam8359
@rishabhgautam8359 Жыл бұрын
Everything is good sir
@md.kamran5525
@md.kamran5525 4 ай бұрын
Sir in lectures ke alava bhi economy me kuchh aur karne ki zaroorat hai kya
@pankajpaswan8773
@pankajpaswan8773 Жыл бұрын
Thank you so muchh sir.
@EASYGYANPOINT
@EASYGYANPOINT Жыл бұрын
I love you Sir.....
@devsingh6554
@devsingh6554 Жыл бұрын
Ram Ram guru Ji
@SadhanaJha-f7w
@SadhanaJha-f7w Жыл бұрын
Ans-2 bajar arthviyavstha grib or Amir ko ek jagah lakar khada krti Jisme grib ke pass suvidhao or kary Shati ka abhav hone ke karan grib ko santhagat karti h
@shobhitsrivastava1597
@shobhitsrivastava1597 Жыл бұрын
Thankyou sir, Please is series ko regular chalaiyega.💐
@anilvishwakarma2076
@anilvishwakarma2076 Жыл бұрын
Very nice sir
@tilak_vloges
@tilak_vloges Жыл бұрын
youtube.com/@tilakkasotiya3514
@ArjunKumar-rc2zy
@ArjunKumar-rc2zy Жыл бұрын
Sir me late ho gaya hu ab dekh raha hu sir me chahta hu ki aap ye series marathon type kar dijiye jisase hamara economy ka syllabus 10dino me complete ho jaye
@assamairness8760
@assamairness8760 Жыл бұрын
What a class is ! Mojjja ah goya
@PriyankaKumari-hk2rk
@PriyankaKumari-hk2rk Жыл бұрын
Concept clear Ho Gaya thank you sir😊
@vasantvankar1601
@vasantvankar1601 Жыл бұрын
Thanks sir Jai hind jai bharat
@ashishsinghrathore4903
@ashishsinghrathore4903 Жыл бұрын
Thanks for the teaching 😊😊 PRANAM GURUDEV
@educationbyrwa9129
@educationbyrwa9129 Жыл бұрын
Sir environment ki class bhi start kar dijiye
@upadhyaymunni3598
@upadhyaymunni3598 Жыл бұрын
Sir 2ans- Agar vaykati ko kusi mulbhut jarurato say dur rakha jayga or economic Kay modal ko usi thrh batay jayga to yah AK garibi Ka hi prsan hai jay education ki pratmikata Jo apnay Kaha ya awsakta Kay hisab say purti Nahi hona
@sonu_railway_hospital
@sonu_railway_hospital Жыл бұрын
1 ans.- कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतः बाजार अर्थव्यवस्था नही हो सकता है क्योंकि, बाजार अर्थव्यवस्था में कीमतों का निर्धारण बाजार करती है जो हमेशा चाहेगी की कीमत ऊंची रहे इससे गरीब एवम संशाधनहीन लोगों की जरूरत की वस्तुएं उसे उपलब्ध नहीं हो पाएगी या बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होगी। सन 1929 ईस्वी के आर्थिक मंदी से सरकार ने भी बाजार अर्थव्यवस्था में हस्तछेप करने लगी और कीमतों को नियंत्रित करने लगी जिससे अब बाजार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बाजार अर्थव्यवस्था नही कहा जा सकता है।
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