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४५ ग्रंथ ३२ ग्रंथ टीका सहित पढ़े।
भगवती सूत्र १७ बार पढ़ा।
अपने आगम में प्रतिमा का उल्लेख है।
हमे पता है यह बात बाहर प्रसिद्ध कर देंगे।
शिष्य जो अपने को मानते आए है हमे मानना छोड़ देंगे।
गुरुदेव श्री बोले अरे..
दुनिया को प्रसन्न करने के लिए आगम की अहवेलना!!