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Jeetu Maa
अंधकार या प्रकाश,दृश्य और दृष्टा ,अद्वैत की खंडित अवस्था अर्थात द्वैत कहलाता है।अद्वैत ही कई खंडों में जब विभाजित होता है तो वह द्वैत कहलाता है।उसका मूल अद्वैत ही है।इसीलिए अद्वैत द्वैत से अलग नहीं है। _ हजूर अप्पा__