आज तो आपने बहोत अच्छा विषय लिया है . आप चारोजन उच्च जातीसे आते है . इसिलीये आप जो विचार रखेगा वो महत्त्वपूर्ण है . ब्राम्हणवाद ने पुरे देश को जखडा है महाराष्ट्र बंगाल मे इसके बारेमे १५० साल से बहोत अच्छा काम चल रहा था . मगर गायपट्टेमे ये नही हुआ . आप जैसे वैचारिक महाजन ये विचार पुरे गाटपट्टमे फैलाने चाहीये . बीजेपी संघ ने ब्राम्हण वाद से पुरे देश का सत्यानाश कर रखा है .
@sachinkamble910115 күн бұрын
पाटील सर आपल्या मताशी सहमत आहे परंतु सध्या महाराष्ट्रात सुध्दा बहुजन समाजाला हिंदूत्वाच्या नावाखाली ब्राह्मण वाद थोपवला जात आहे
@msdhun3 күн бұрын
सर बहुत अच्छी चर्चा आप लोगों ने की ऐसे संदेश दुनिया को जाने लगे तो काफी जागरुकता आएगी लोगों में
@premchandmaurya79197 күн бұрын
बहुत सुंदर वार्तालाप बारम्बार प्रणाम आप लोग को
@BhagwanJawre16 күн бұрын
बहुत गंभीर सत्य और सटीक विषय को उठाकर जनता को जागरूक करने के लिए धन्यवाद आभार।
@raghunathbarotia829718 сағат бұрын
विषय अच्छा है। दिनेश के वोहरा ने स्वयं अच्छे अध्ययन और विश्लेषण का परिचय दिया है। वक्ताओं का भी तार्किक और अध्येता होना आवश्यक है।
@rajeshbagde29176 күн бұрын
Sir आप लोग भी बुद्धिस्ट थे. मनुवाद ने सबको बाटा 🙏
@swamijeevanabhiviraj871716 күн бұрын
बहुत ही सुन्दर विश्लेषण।आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
@user-vx4im3dt7n16 күн бұрын
Pandavaad aur mullavaad isaaniyat ke dusman hai
@avadheshkumar148817 күн бұрын
Jago Mulnivasi jago.
@govindsai606213 күн бұрын
अब ब्राह्मणवाद का युग नहीं रहा,,केवल आरएसएस इसे देश में पुनर्जीवित करने में लगा हुआ है,,,जाति प्रथा,सती प्रथा,महिला दासी,दहेज़ प्रथा,न जाने अनगिनत कुरीतियों का सम्प्रदाय है,,,जो मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है,,,
@arjunghale14567 күн бұрын
नमाे बुद्धाय 🙏 धन्यबाद सभी ईतिहास बीदाे काे , ब्रम्हाणबाद का काला सच उजागर कर्नाही पडेगा ।
@saukhimahilange22682 күн бұрын
विभत्स रूप ही ब्राह्मण धरम का उसली रूप है।जिसे ये सनातन संस्कृति कह् सबसे पुराना,सबसे अच्छा बता कर समाज पर थोपना चाहते है।
@praveenpandit229820 күн бұрын
आप सभी गुणी-अग्रणी विद्व जन का आभार \ आदरणीय दिनेश जी ! अत्यंत सारपूर्ण विषय का चयन किया | एक अनुग्रह -- आज बेबाक बोलें --बेलाग बोलें | जाने क्यों , गलत ही हूंगा मैं -- किन्तु आदरणीय सिंधु जी कुछ बच बच कर चलते हुए महसूस हुए | सर ! आप सब बोलें --खुलकर -- ताकि नीर क्षीर विलग हो सके | वरना , ऐसा घृणी हिन्दुत्व को तो त्यागना बेहतर _-- भगवा रंग अब अपना स्व भूल चुका है --निश्चय ही |
@champalalkandara763916 күн бұрын
बहुत बहुत आभार गुरु जी आँखे खोल ने के लिए
@jugulkishor979717 күн бұрын
❤❤❤❤❤ नमो बुद्धाय बुद्धमय भारतवर्ष जय संविधान जय भीम जय किसान जय जवान जय विज्ञान जागो जागो ओबीसी एससी एसटी आदिवासी बहुजन समाज मूलनिवासी एक हो जाओ मनुवादी बीजेपी आरएसएस कांग्रेस को हटाओ देश प्रदेश संविधान आरक्षण शिक्षा इतिहास रोजगार सामाजिक न्याय बचाओ
@jaglal87372 күн бұрын
सच्चाई सामने रखने तथा समता बंधुत्व को प्रोत्साहित करने के लिए जय भीम नमो बुद्धाय
@parradloktantrakaankuran866421 күн бұрын
मान. सर्वो. न्याया.की एक बहुत बड़ी बैंच ने आप. प्र.क्र.291/1971,उ.प्र.सरकार बनाम ललयी सिंह यादव में स्थापित किया है कि रामायण एक काल्पनिक ग्रंथ है। उल्लेखनीय है कि वे तर्क और आधार रामायण को काल्पनिक ग्रंथ स्थापित करने में प्रयोग किये हैं वे ही तर्क और आधार महाभारत गीता आदि हिंदू धर्म ग्रंथों पर भी लागू होते हैं। अर्थात ये भी काल्पनिक हैं। अब कोई यह नहीं कह दे कि सर्वोच्च न्यायालय तो राष्ट्र विरोधी है?
@govindsai606213 күн бұрын
ग्रन्थ सभी काल्पनिक ही होते है,,,,संविधान मानव कल्याण समाजिक जीवन के रक्षा सुरक्षा के नियमों से प्रदान करता है,,,,
@pratapbhaibodar960415 күн бұрын
प्रकृति🌿🍃 ही जीवन दाता है प्रकृति🌿🍃 में भूमि, पानी, सूर्य, चंद्र ,हवा ही जीवन दाता है, ये बनने करोड़ों वर्ष लगे और जिवन असतित्व आया है। कुछ लोगों ने देश को पाखंडवाद अंधविश्वास, थोप दिया है।।। जय जोहार🙏 जय प्रकृति🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃
@ramkripalsingh94872 күн бұрын
Very nice and impressive post , thank you sir
@rajmalmotawat667917 күн бұрын
जैन धर्म आज भी सत्य अहिंसा त्याग पर टिका हुआ है जैन संत आज भी लाखों का संपत्ति छोड़कर त्यागी बन जाते हैं जैन धर्म में कोई जाति प्रथा नहीं है कोई भी व्यक्ति जैन धर्म को मान सकता है अगर वह मांस मदिरा नहीं खाता है तो मंदिर भी जा सकता है❤
@sujitkumarsaurava920713 күн бұрын
Jaina mlechha hai Hindu nahin. Tu bhi mlechha ban ja. Hinduon ko Gyan mat de. 😂😂
@budhprakash920011 күн бұрын
गुप्तांग शिश्न को ढककर रखना चाहिए जैनाचार्य को और गुप्तांग शिश्न की योन हिंसा खतना बंद करनी चाहिए मुस्लिम को। लोकतंत्र संविधान युग में सुधार करें।शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं लेकिन लेखक प्रकाशक सही से अंतर को समझकर नहीं लिखते हैं इसलिए सामन्य जन भी नहीं समझते हैं।मित्रो ! सवर्ण और असवर्ण । कब कब कैसे होते हैं? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें और सबजन को बताएं। जब ब्रह्मण (अध्यापक) और शूद्रण (उद्योगण) दोनो आपस मे मिलते हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए असवर्ण होते हैं कियोंकि वे एक दूसरे के वर्ण कर्म विभाग वाले नही होते हैं। लेकिन जब अध्यापक (ब्रह्मण) अगर दूसरे अध्यापक ( ब्रह्मण) से मिले तो एक वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण होते है। इसी प्रकार शूद्रण ( उत्पादक निर्माता उद्योगण ) अगर दूसरे शूद्रण ( उद्योगण) से मिले तो दोनो शूद्रण भी सवर्ण होते हैं। इसी प्रकार अन्य वर्ण कर्म विभाग के लिए समझना चाहिए। अर्थात चारो वर्ण ( शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम ) कर्म विभाग वाले सवर्ण होते हैं और चारो वर्ण वाले असवर्ण भी परिस्थिति अनुसार होते हैं। अतः सवर्ण और असवर्ण का शब्दो का अर्थ प्रयोग समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य जन को अवगत करवाना चाहिए। सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।। चार कर्म = शिक्षण + सुरक्षण + उत्पादन + वितरण। चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम । चार गुण = सत + रज + तप + तम। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर सबजन को भेजकर अज्ञान मिटाई करवाएं ।। हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण ( अध्यापक/ज्ञानी) हैं इसलिए हरएक मानव जन नामधारी ब्रह्मण वर्ण मानकर बताकर जीवनयापन कर सकते हैं। यह महर्षि नारायण वेदमंत्र दर्शनशास्त्र अनुसार और हरएक मानव जन शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग कर्म करने वाले ब्रह्मण ( अध्यापक/ वैद्यन /पुरोहित) हैं। इसप्रकार हरएक पेशाजाति कर्म करने वाले मुख समान ब्रह्मण हैं और जब अपने पेशेवर जाति कार्य का शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करते हैं तब वे कर्मधारी ब्रह्मण ( अध्यापक) होते हैं। यह चतुरवर्ण कर्म को जानने के लिए निष्पक्ष सोच अपनाकर सत्य शाश्वत सनातन सदाबहार ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ। गुलाम नौकर दासजन जनसेवक सेवकजन दासजन चारो वर्ण और चारो आश्रम में वेतनमान दान पर कार्यरत होते हैं।पंचामृत और पंचगव्य कब प्रयोग करना चाहिए? सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार- पंचामृत पूजा-पाठ व्रत उपवास अनुष्ठान पर्व में प्रसाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए और पंचगव्य चोरकर्म करने वाले को अंहिसक दण्ड देकर सुधार करने के लिए प्रयोग करना चाहिए। पौराणिक वैदिक सनातन धर्म संस्कार विधि-विधान नियम अनुसार।दस प्रकार के मल/ मैल बताये हैं उनमे रक्त भी और पसीना भी है लेकिन मूर्ख नासमझ लेखक प्रकाशक ने रक्त अर्थ लेने के बजाय पसीना मैल ले लिया और अर्थ का अनर्थ कर दिया। खीर में आयुर्वेदिक दवाई मिलाकर खायी और अपने पति के साथ सोयी थी। जब किसी गैर मर्द के साथ सोना नहीं लिखा है तो अपने पति के साथ ही माना जायेगा। व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
@rajmalmotawat667917 күн бұрын
जितने मुंह उतनी बातें अब सब भूल जाओ सभी लोग होशियार हो गए हैं❤❤ जैन धर्म सबसे पुराना धर्म है सबको चरित्र का पाठ पढ़ाया❤
@ramjeetchaudhary6315Күн бұрын
Ati sundar prastuti
@ScientificZoom21 күн бұрын
Excellent and Special stream, Great Dineshji🎉
@raghunathbarotia829718 сағат бұрын
बहुत सही है काली, दुर्गा, शिव, सबका रूप रूद्र ही दर्शाया गया है। युद्ध में नारा हर हर महादेव के घोष के साथ वार किया जाता था लेकिन आज कल जयश्री राम किसी के छुरा घोंपने या सिर कलम करने का नारा बना दिया गया है। क्या राम ऐसे थे? तो ऐसे राम तो हमें नहीं चाहिए, नहीं चाहिए ऐसा रामराज्य।
@mradulshrivastava160421 күн бұрын
Buddha hi Buddha hain Bharat me. Vajryan shakha ke Bodhisatva hi hinduon ke devi devta hai.
@arpana163921 күн бұрын
ji Vajrayan aur Mahayan Baudh marg ke. ''Hindu" dharm in Mahayani aur Vajrayani margon par bhramanon ka kabza aur unke mool vicharon ko chupakar usme purane iran ki caste system/'pradhushan' vaale vichar daale gaye hain. Lekin ab hum sab jaag rahe hain. Satyamev Jayate
@mindudorjeenaksang301421 күн бұрын
@@arpana1639fully agree with you..earlier i thought it other way..but after due study it was clear to me
@jagdeepsandhu965921 күн бұрын
आप दोनों के विचार जानकर बहुत प्रसन्नता हुई , असली इतिहास यही है ।
@MomentAajtak20 күн бұрын
Aapane bilkul sahi Kaha
@ekamjotsingh80721 күн бұрын
Bilkul Sachai biaan kar di hai aapne Sir" Good Job 🙏🙏
@NarendrasinghRajput-xz2rr21 күн бұрын
Extra ordinary reporting by decent anchor n panelist.
@mahendrasingh-et8dp14 күн бұрын
Good topic and discussion, Thanks to Vohra ji for the topic.
@nareshkhatik327417 күн бұрын
Bhude par kabja kar mahayan sakha par kabja kar brhaman dharm=hindu darm jay bhim jay mulnivasi namo budaye 🔵☸️🇮🇳🙏🌹
@NarendrasinghRajput-xz2rr21 күн бұрын
Super presentation by decent panelist Rakesh achal. I international rated open tournament pink city Jaipur Rajasthan high level elo rating electric light orchestra rating chess player and ex AO central government Bikaner Rajasthan salute to decent anchor n panelists
@dayaprasadgoliya331617 күн бұрын
आदरणीय प्रवीण पंडित जी, इन विद्वान जनों की चर्चा सुनकर विश्वास होता है कि अभी सत्य वक्ता ब्राह्मण क्षत्रिय जिंदा है। आशा की किरण दिखाई देती है। कट्टरपंथी सोच को त्याग कर राष्ट्र चेतना यूक्त समाज को विकसित करना चाहिए। जातिवाद और वर्णवाद के कारण देश गुलाम हुआ था। पुनः रावटी न हो।
@jagtardeol744320 күн бұрын
❤❤❤❤❤ good job sir
@pandurangmanwar70379 күн бұрын
Dhanyavad sir Jay bhim nmobudhday bahut badhiya and namo buddha
@RaviJawalers16 күн бұрын
Dharm ke bare mein science journey ka vishleshan sabse achcha hai
@sandeepsinghlovely400916 күн бұрын
उसी को वजह से ये बोल रहे हैं।
@sheelamahar57118 күн бұрын
वेदों को तो अवेस्ता की कॉपी कापी कहा जाता है और कृष्ण बलराम जैसे पात्र भी वहाँ वर्णित हैं ।
@niladridas13734 күн бұрын
Osant--sant and sant--osant adi obinasi .
@nareshkhatik327417 күн бұрын
Ye sabhi bhudest Raja he sabut phare pade hai 🔵☸️🇮🇳🙏🌹
@rampalsingh231615 күн бұрын
Extraordinary analysis by by shri Vohra Journalist.
@mnsharif363421 күн бұрын
Sir Rigved ki sabse purani prati jo newyork musium me hai wah 1450 cE ke aas paas ka hai . Sanskrit pali prakrit ka sanskarit roop hai, jiske prarambhik sanket cE ke bad hi milte hain.
@shailendrashankar257716 күн бұрын
Are you for real or trying to pull the leg. Get your facts right before you preach.
@jitendrajaiswal43043 күн бұрын
I read book Vaidik Yug Ka Ghalmel By Rajeev Patel Mind-blowing!
@sheelamahar57118 күн бұрын
गंभीर विषय पर शानदार प्रस्तुति ❤ पाली प्राकृत भाषा सबसे पुरानी है। ब्राह्मी लिपि क्या यही भाषाऐं हैं।
@NarendrasinghRajput-xz2rr21 күн бұрын
Rational discussion in delegate matter I salute decent anchor n panelist
@jsg569216 күн бұрын
अति प्राचीन माना जाता वैदिक ग्रंथ ऋगवेद की पहली भोजपत्र लिखित प्रत सन 1464 की मिली जो भारत सरकार ने "युनेस्को" में दर्ज की गई है। सभी ब्राह्मण ग्रंथो संस्कृत भाषा (देवनागरी लिपि) में ही लिखे गए हैं। ब्राह्मण ग्रंथो किसी और भाषा में लिखे नहीं मिलते। पाली प्राकृत भाषा (धम्म लिपि) से संस्कारित होके 7 वी सदी और 12 वी सदी दरमियान संस्कृत भाषा (देवनागरी लिपि) विकसित होके अस्तित्वमें आई है। 7 वी सदी से पहले संस्कृत भाषा देवनागरी लिपि में लिखे कोई भी शिलालेख, स्थंभलेख, ताम्रपत्र, मुद्राएं, भोजपत्र, ताड़पत्र आदि में लिखे प्रमाण नहीं मिलते।
@Sureshsinghpatel73216 күн бұрын
सत्य सिर्फ और सिर्फ बुद्ध हैं सूर्य को धुएं के बादलों से ढका जा रहा है जो संभव नहीं है
@shailendrashankar257716 күн бұрын
Sir you are absolutely true.
@rajendrakumarmaurya462516 күн бұрын
सर ५६३ ई० पू० भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और भगवान महावीर का जन्म ५४० ई० पू० का माना गया है जिसमें भगवान बुद्ध लगभग २३ वर्ष भगवान महावीर से बड़े थे ।
@govindsai606213 күн бұрын
भारत वास्तव में महावीर,बुद्ध का ही देश है,,तमाम आदिवासी,मूलनिवासी सबसे पहले ब्राह्मणवाद की गुलामी का शिकार हिन्दू नाम दे दिया,आज भी जो लोग जंगलो में वनवासी रहते है उनका कोई जाति धर्म नहीं बल्कि परम्पराये है,उनके अपने स्वतंत्र रीति रिवाज़ है,
@R.B.Martin5 күн бұрын
Mohan Bhagwat KO Is Satya KO Jarur Dekhna Aur Sunna Chahiye Jo Kahte hai Ki Jatiyan Angrezo Ne Banai Aur Hindu Dharma KO Kamjor Kiya
@JassDadra-ox4rc15 күн бұрын
चार वेद ब्रह्मा निज ठाना, मुक्ति का मर्म उन्हू नही जाना,
@dilipagrawal746220 күн бұрын
वेदों में बाद में पुराणों के काल में जातिवाद जोड़ दी गई।
@rano579219 күн бұрын
Bilkul v nhi yaar padho to bina padhe bol rahe ho
@dayaprasadgoliya331617 күн бұрын
वेदों में बाद में जातियां जोड़ी गई हैं आज उनको खतम किया जा सकता है। जिससे देश संगठित होकर विकास करे। धर्म के आडंबर को नकारा जाना चाहिए। आप जैसेविद्वान वक्ताओं को नमन।
@devimiri714820 күн бұрын
सर जी आपने बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी थैंक्स लेकिन तथागत बुद्ध और महावीर जी को समकालीन बताया जाता है यह भी जानकारी में आया है कि जैनिज्म से पहले बुद्धिज़्म का आर्कलॉजिकल एविडेंस मिलते हैं।❤❤❤
@hemantsethia561117 күн бұрын
Zoot mat bolo ji Me jain hu Hanare pratham tirthankar Mahantam Aadinath rishabh dev ji srashti k aarambh me hue the Vedo me inka ullekh he Samze Haddppa judro ke avshesh me Jainism k ati prachin avshesh mile he Y chenal sahi bolte pratit hote he Samze Inhe dhyan se suno Ashok to baad me hue Chandragupt ne aakhiri dino me .Jainism ko svikar kar muni Bane the Bouddhism ki to samzo Lekin Jainism ko bhi samzo Aur khule hraday se iska itihas Pura pado
@vinodkumar-ez2fy9 күн бұрын
Sahi kah rahe hai. Soft hindutva ko manane wale 80% Hindu hai. 20% hard core hinduyo ki vichardhara se 80% soft hindutav wale hindu dharam se hi nafrat karne lage. Devi devtayo ko chhota manane lage hai kiyoki yeh devi devta hard core hinduyo ko koi saja nahi dete jab vo log unke naam par janta ko satate hai.
@praveenpandit229820 күн бұрын
ब्राह्मणवाद क्या है ? एक सामान्य ब्राह्मण इस वाद के लिए कहाँ तक जिम्मेदार है ? अगर कोई मोदी , कोई शाह , कोई योगी , कोई मौर्य , कोई सिकंदरबख्त ,कोई लोधी , कोई यादव इस वाद का हामी है , तब भी यह ब्रहमनवाद क्यों कहलाता है ? एक सामान्य ब्राह्मण को यदि इस वाद का कोई लाभ नहीं , तब भी इस का प्रतिरोध क्यों नहीं करता ?
@suryaprakashdixit998817 күн бұрын
वेदों और पुराणों के अनुसार ब्राह्मण कौन होते है/ हो सकते हैं ? ------------- वेदों और पुराणों के अनुसार, ब्राह्मण वह व्यक्ति होते हैं जो ज्ञान, धर्म, और सत्य के मार्ग पर चलने वाले माने गए हैं। ब्राह्मण का वर्णन मुख्यतः गुण और कर्म के आधार पर किया गया है, न कि केवल जन्म के आधार पर। वेदों के अनुसार: 1. गुण और कर्म: ऋग्वेद (10.90.12) के पुरुषसूक्त में वर्णित है कि समाज की संरचना चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र) पर आधारित है। ब्राह्मण को "पुरुष के मुख" से उत्पन्न बताया गया है, "जो ज्ञान, शिक्षा, धर्म और सत्य का प्रतिनिधित्व करता है"। गीता (अध्याय 18, श्लोक 42) में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि ब्राह्मण का स्वभाव शांति, आत्मसंयम, तप, त्याग, शुद्धता, सहिष्णुता, और धर्म में निहित है। 2. आध्यात्मिक ज्ञान: ब्राह्मण वह है जो वेदों का अध्ययन और प्रचार करता है, यज्ञ करता और कराता है, तथा धर्म और सत्य का पालन करता है। उसे समाज को नैतिक और आध्यात्मिक मार्ग दिखाने वाला माना गया है। पुराणों के अनुसार: 1. गुण और आचरण: पुराणों में ब्राह्मण का वर्णन उनके आचरण, विचार, और कर्म के आधार पर किया गया है। ब्राह्मण का कर्तव्य धर्म, वेदों का अध्ययन और समाज को ज्ञान प्रदान करना है। 2. जन्म का महत्व: कुछ पुराण, जैसे मनुस्मृति, ब्राह्मणता को जन्म से जोड़ते हैं, लेकिन यह भी कहा गया है कि केवल जन्म ब्राह्मणता का मापदंड नहीं है। यदि व्यक्ति ब्राह्मण के गुण और कर्तव्यों का पालन नहीं करता, तो उसे सच्चा ब्राह्मण नहीं माना जाता। 3. उपाधि द्वारा ब्राह्मण: विष्णु पुराण और भागवत पुराण में यह स्पष्ट किया गया है कि जो धर्म, सत्य, और ज्ञान के मार्ग पर चलता है, वही ब्राह्मण हो सकता है, चाहे उसका जन्म किसी भी जाति में क्यों न हुआ हो। निष्कर्ष: ब्राह्मण का असली अर्थ गुण, आचरण, और कर्तव्यों के आधार पर है, न कि केवल जन्म से। वेद और पुराण दोनों इस बात पर बल देते हैं कि ज्ञान, सत्य, और धर्म का पालन करने वाला ही ब्राह्मण हो सकता है। यह विचार आध्यात्मिक विकास और समाज को नैतिक दिशा प्रदान करने पर केंद्रित है।
@mradulshrivastava160421 күн бұрын
Sir 28 purv buddhon ke saboot naam sahit milte hain
@BageLal-c3j13 күн бұрын
आपके चैनल के माध्यम से मैं देख रहा हूं मगर एक बात का संकोच हो रहा है की मीडिया चैनल क्यों नहीं दिखता है आप सभी से अनुरोध करता हूं की जाति प्रथा देश से हटानाचाहिए
@RajeshSrivastava-fr7qz5 күн бұрын
RAJNITI AUR SATTA KA JAATIYAKARAN...VYAAPAR SHIKSHA AUR MEDIA KA RAJNITIKARAN...SANSKRITI SANSKAR SAAMAJIK SAMBANDHO KA BAZAARIKARAN HO CHUKA HAI...
@dilipagrawal746220 күн бұрын
कुंभ मेला में नहीं को कहा गया यह वास्तव में ज्ञानियों के समूह से ज्ञान।लेना है।हिंदू धर्म कभी कट्टर नहीं रहा है। यहां शास्त्रार्थ को मान्यता दी गई है।
@shekharjoshi72926 күн бұрын
दिनेश के बोहरा बौखलाहट में है। नाम मात्र के लिए पैनल में विद्वानों को बुलाता है। अपनी ही विचारधारा को बड़बड़ाता रहता है।
@pappulal61799 күн бұрын
Kedarnath mandir se २२८ kilo sona gayab karvakar lov is soneyin kicbi janch nahin karvaya ja raha hai sabki janch Ed st aour CBI se karai ja rahi hai lekin sona kahan gayaiski janch honi chahiye
@prabalpratapsingh809519 күн бұрын
Vohara sahab aapse teen prashn hai.1 Hindu dharm kisne chalaya.2 kab chalaya.3 unka dharm granth konsa hai.jab aap in teen prashno ke uttar de tab hindu dharm nam istemaal kare.
@BhartiAnr11 күн бұрын
Will you please guide us where will we get videos on ऋग्वेद??
@gulabsinghgulabsingh274914 күн бұрын
बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं मेरी ओर से नमो बुद्धाय हमारा प्रश्न है हम हर क्यों गए वह जीतेक्यों है चाहे वह विचारों की लड़ाई हो चाहे वह चालाकी कीलड़ाई हो कुछजातियां जैसे कि ठाकुर ब्राह्मण को पूरी तरह से आंख बंद करके भगवान मानते हैं उनकी सेवा करते हैं यह एक बजन बड़ा दूसरे हमारे मुस्लिम भाई हिंदू ठोक ठोक करके कहते हैंहिंदू जितनी हम हिंदू नहीं मानते उतनी आनबिरादरी हमको हिंदू कहती है तीसरी बात हिंदू मुस्लिम सिख इसाई पांचवा बहुजन भाई अगर हम बहुजन मान ले अपने आप को तो कुछ बात बने ब्राह्मण कहते हैं काटोगे अगर बाटोगे उनकी यह बात सचहै हमें पता चला है अपने अनुभव से कि वह अपने लिए कहते हैं अगर 15% बाटेंगे तो काटेंगे एक अहम बात और है जिनकी जनसंख्या अधिक होती है वह हम में रहते हैं हम कभी एक होजाएंगे और इन पर भारी पड़ेंगे लेकिन ऐसा होता नहींहै सत्ता के कारण सब के सब तिलक लगानेलगे कुछ अंधविश्वास से जुड़ गए कुछ डर के मारेजुड़ गए कुछ लोग के मारे जुड़ गए क्योंकि अंधविश्वास होने माना है जाना नहीं है आप लोगों से यही उम्मीद करता हूं कि आप ऐसे ही चैनल पर सोशल मीडिया के द्वारा कम से कम आशा है देश बदलेगा यह मेरा विचारहै नमो बुद्धाय
@hemantsethia561117 күн бұрын
Y tarj hi bouddho k aajkal k log dete honki boudhdhism Jainism se purana he Is charcha ko hava dena hi nhi cgahiye Itihas me sab he Aur jo bouddhisto ko gumrah kar rahe. He ve bhi sahi jaate he Jainism k itihas ko Mahavir se hi prarambh krne ki sajish Hame manjoor nahi Is chenal ko dhanyvad. Aur. Saadhuvad
@shantarambhojane708120 күн бұрын
Dinesh voharaji namskar
@dsconverse16 күн бұрын
हमारे ब्राह्मण तो परम ज्ञानी बजरंग बलि हैं. वही ज्ञान गुन सागर. वही बताये कौन सच्चा ब्राह्मण. श्री गणेश कृपा बिन कौन बने सच्चा ब्राह्मण.
@veer698111 күн бұрын
भाईसहाब बाबा रामदेव को 45 साल हो गए एक बार भी हॉस्पिटल नहीं गए... अगर विस्वास न हो तो किसी से भी कन्फर्म कर ले... एक बार पतंजलि हरिद्वार होके आये तब बोले.... मेदांता हॉस्पिटल में भी एक पार्ट आयुर्वेदीक का हे...
@maheshy654013 күн бұрын
Vohra sir aap ek bar science journey se debate kar lijiye aapko pura gyan ho jayega Jo aapne rigved ka era diye the us par mai sahmat nhi hun. Aapse anurodh hai aap ek bar science journey KZbin channel live debate hota hai evidence ke sath aur aap vha par jaye to evidence lekar jaye.
@santoshjaiswal83618 күн бұрын
Use Dayan rupi dharmnirpekshta Se achcha hai brahmanvad jo vah hai usi Ki baten karta hai is Dayan dharmnirpekshta Ki tarah nahin Jo baten to dharmnirpekshta ki karta hai Manavta Ki nyaay ki samajwad ki Samanta ki parantu rajnitik Drishti Karan ki Karti Hai Ham is Dayan dharmnirpekshta Se achcha brahmanvad ko mante Hain
@popatraotadake864216 күн бұрын
संस्कृत पुरानी नही है,प्राकृतसे मराठी,हिंदीके तरह संस्कृतभी बनी है।
@rupeshg121 күн бұрын
ब्राह्मी लिपि और पाली/प्राकृत में क्या संबंध है, कौन प्राचीन है। ब्राह्मी लिपि का कोई ग्रंथ या लेख कहीं उपलब्ध है क्या? इस लिपि को कहां और कैसे पढ़ा/देखा जा सकता है।
@rupeshg121 күн бұрын
Got the answer in last minutes
@dennisthemenace428821 күн бұрын
Sir kripya playlist banaye 1000s video scroll kese ki jaye.
@dandyayan21 күн бұрын
Ma twa Rudra chakrudhama namobhi: ... For rudra
@surendrasinghkush295316 күн бұрын
Brahmanwad ka prasar Pushyamitra Shung ke hi shasan kal se shuru hua.Shung se lekar Gupta kal tak Shasak Brahman the.Inhi logo ne Brahmanwad phailaya hai.Adi Shankarara Charya sabse bade doshi hain.Kuchh matra me Rajpoot bhi doshi hain ki inhone Brahmano par Ankush na laga kar Buddh Biharon ko todane me Brahmano ki madad ki.Jab Shasak barg sath dega to wahi dharm aage barhega.
@dandyayan21 күн бұрын
I think Vishu was there in Rigveda. Also Shiva was mentioned as Rudra in Rigveda. Vishnu - Ya:purvya vedhase na viyase Sumajjjanaye vishnave dadasathi....
@sudeshkumariya718813 күн бұрын
SAR to kya Brahman hi Hindu hai baki sab sanatani hai baki sabhi jatiyan Sanatan Dharm mein aati hai baki brahmanvadi hi Hindu hai
@shurabhchaudhary88652 күн бұрын
Vohra sir bhramin vaad per na bole nahi tuo aapke liye khatra ho sakta hai
@dilipagrawal746221 күн бұрын
वेदों में कही जातिवाद नहीं है।
@aslamimagyar630321 күн бұрын
पढले बेटा लिखा है। सुनी सुनाई बातोमे बिश्वास नहि करनेका।
@123xyzabccba21 күн бұрын
Saarey jaatiwadi vedonko maantey hai aur jaatiwaad ki prerna ved upanishad aur anya granthonse letey hai ….vedic hinduism duniya ke liye ek kalank hai
@jorawar00721 күн бұрын
Lol 😂
@jagdeepsandhu965921 күн бұрын
ऋग्वेद के दसवें मंडल में वर्ण व्यवस्था का पूरा वर्णन है ।
@dilipagrawal746220 күн бұрын
@jagdeepsandhu9659 इस।की संस्कृत अलग है यह बाद में।पुराण।काल।में अलग से बाद में।जोड़ा गया है।
@raghunathbarotia829718 сағат бұрын
ओम सैनी की आवाज में गूंज ज्यादा है, शब्द स्पष्ट सुनाई नहीं देते हैं।
@AnilKumar-go1tz2 күн бұрын
Buddhism is ancient than Jainism Sir, Buddhism was also existing before Gautam Buddha.. Names of 27 Buddhas before Gautam buddha mentioned in inscriptions..
@nirmalsinghsandhu62895 күн бұрын
The definition Brahmnical is different then what was Old model & There is new class category mix upper middle class caste category. The ultimate target crises in Indian states may lead and trigger Have & Have not..... the Rich & upper class middle and middle class working may also face music of crises and their Silence may turn out destructive to them and others?
@PRASHANTKUMAR-qe8or2 күн бұрын
Buddhism to vedo se bhi phle ka he Sindhu ghati sabhyata ke. samay to dipankar Budh ka time tha . budhism me Gautam Budh sahit 28 Budh hue hei
@rajmangal3099Күн бұрын
वोहरा साहब आप चूंकि बुद्धिजीवी हैं इसलिए मैं कह रहा हूं वरना मैं सामान्यतः कमेंट नही करता । करीब 40-45 साल पहले मैं रेडियो सुन रहा था। इस क्रम में एक अफ्रीकन गीत आया जिसकी ट्यून हूबहू पूर्वी उ प्र में गाई जाने वाले एक लोकगीत जैसी थी। मैं सुनकर दंग रह गया। तब यह बात याद आई कि इंडियन कांटिनेंट अफ्रीका से ही लाखों साल पहले टूट कर बना था।
@vikassamarth7 күн бұрын
Money power to this discrimination are vaishyas the bussinessmen, and the major position occupied this businessmen, some people work for nation growth, and some people find different ways to stop others growth,
वोहरा साहब आप टापिक तो अच्छा लेते हैं लेकिन आजकल Introduction आप बहुत जल्दी जल्दी बोल जाते हैं। यह उचित नहीं है। आप कृपया अकेले ही अपनी बात कहें। हमें अच्छा लगेगा। यह बात चर्चा में स्पष्ट होती है कि जितना आप पढ़ते हैं उतना भाग लेने वाले नहीं पढ़ते।
@PramodKumar-ho6pv22 сағат бұрын
1500BCE and 900BEc ke pahale brahman dharm tha shrimanji uska koi balid sabut hai kayo ki bramahan dharm me koi murti pooja nhi hai .
@ijparekh220320 күн бұрын
hinduism is not a religion, its a british invention created in 1816 after a brahmanists ram mohan roy requested britishers to categorize all the pagan religions of subcontinent under the law of manusmiriti and the tag of hindu dharam
@niladridas13737 күн бұрын
Brambhan ko vi parichalita korti hay rajniti . Raja apna dosh chupanay ki Lia Bramhan ko use karti thi ehi Shavavic satya ?
@radherambharshiv64683 күн бұрын
Sir lipi to a d ke bad bani hai to ved kaise b c me likhi gaye hai
@vishalsharmassp21 күн бұрын
Sir hum bhi to hain.. retirement tak to chup rahna hoga ... Par ab bhi rang dikhate hain sarkari Naukri mein...I am athise ...If won't ...than would be Buddhist, jain (unlike Amit shah) or follow Sarna Dharm ...
@danishjamalmeerafzaldaulat181121 күн бұрын
Hello sir. The book revealed to David ,is song of David. This is also similar to Rig Ved.
@rpsingh769721 күн бұрын
Dharam. Ki nai paribhasha " "bhrm" ( shakk shubha ) hai ,Sir.
@niladridas13735 күн бұрын
Destructive unlimited expectation chupanay key Lia ur isko maintain kornay ke Lia apni taraf anebala bidroho somaj ki lutera log dusri taraf morne ki lea prochesta korti hay, ehi hay otit-bartoman- bhabisat ki sachai hai,Har bagabat. Ki piche visible-indivisible destructive unlimited expectation creating by the rajniti .
@ganeshtalvekar964821 күн бұрын
Aap ke pass kya proof hai jain dharm oldest hai sub continent mein?
@123xyzabccba21 күн бұрын
Mahaveer was the senior contemporary of Gautam Buddha and both Jainism & Buddhism predate christ and vedic bammanism ….Ramayan was written 1000 years after the death of Christ. There is mention of Buddha in the Ramayan
@mradulshrivastava160421 күн бұрын
Jain nahi Buddha ke samay me ajivak the
@mradulshrivastava160421 күн бұрын
Sir aapka history ka approach purana hai bahut excavations ho chuke hain ab tak
@123xyzabccba21 күн бұрын
@@mradulshrivastava1604 : jahaa bhi khodo gey Buddha hi milega
@vishalsharmassp21 күн бұрын
Sir please give the link for comparison for rig veda and Parsi
@Amarblr200421 күн бұрын
Om ka audio issue hai .... nothing is clearly audible
@1215mohan9 күн бұрын
brahmanone Brahma aur saraswati ka charactors Jew dharm ke Ibrahim sara se liya hai. Bharat ke brahman bhi Euresian aur west iran ki taraf se bharat aye hai jo pehle ke Jews hone ka praman dete hai. Mumbai ke bene israeli log bhi hamesha brahmanoko apne vanshaj mante hai jo bene israeli ke pehle bharat aye aur brahma vishnu saraswati ki rachna karke bharat ke buddhist logon ko khatm Kiya aur jati aur Varna me batke brahma ke sath jodke bharatke mulnivasi ka shoshan karte aye hai.
@arshandguri859417 күн бұрын
Dinesh ji aj desh mey bhagwa pakhand wad sadhu sant chal raha hey desh aj 100 sal piche chala gaya hey
@BSGbharti___21 күн бұрын
Sir ye episode aap khud hi kar lata to acha hota
@suryaprakashdixit998817 күн бұрын
चार धाम का उल्लेख महाभारत, रामायण, पुराणों में किस प्रकार मिलता है? ------------- चार धाम का उल्लेख महाभारत, रामायण और पुराणों में पौराणिक घटनाओं, धर्म, और मोक्ष प्राप्ति से जुड़े विभिन्न संदर्भों में मिलता है। चार धाम के चारों स्थलों-बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारका और पुरी-का वर्णन अलग-अलग ग्रंथों में विस्तृत रूप में किया गया है। --- 1. बद्रीनाथ धाम (महाभारत, पुराणों में उल्लेख) महाभारत में उल्लेख पांडवों की यात्रा: महाभारत के अनुसार, पांडव अपने स्वर्गारोहण की यात्रा के दौरान बद्रीनाथ क्षेत्र से होकर गए थे। माना जाता है कि यह क्षेत्र स्वर्गारोहण के लिए उपयुक्त स्थान है। विष्णु पुराण में उल्लेख बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का निवास स्थान बताया गया है। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि बद्रीनाथ में भगवान विष्णु नर-नारायण के रूप में तपस्या करते हैं। स्कंद पुराण में उल्लेख बद्रीनाथ का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसे "मोक्ष प्राप्ति का क्षेत्र" कहा गया है। बद्रीनाथ में स्थित "तप्त कुंड" और "अलकनंदा नदी" का धार्मिक महत्व बताया गया है। --- 2. रामेश्वरम धाम (रामायण, पुराणों में उल्लेख) रामायण में उल्लेख वाल्मीकि रामायण: रामेश्वरम वह स्थान है जहां भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान शिव की पूजा की थी। राम ने शिवलिंग की स्थापना की, जिसे रामलिंगम कहा जाता है। रामेश्वरम से "रामसेतु" के निर्माण की कथा भी रामायण में विस्तार से वर्णित है। स्कंद पुराण और शिव पुराण में उल्लेख रामेश्वरम को "पंच तीर्थ" और "मोक्ष प्राप्ति के द्वार" के रूप में वर्णित किया गया है। शिव पुराण में राम द्वारा भगवान शिव की उपासना और यहां स्थित कुंडों के पवित्र महत्व का वर्णन है। --- 3. द्वारका धाम (महाभारत, पुराणों में उल्लेख) महाभारत में उल्लेख हरिवंश पर्व: द्वारका को भगवान कृष्ण की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है। महाभारत के अनुसार, मथुरा छोड़ने के बाद भगवान कृष्ण ने द्वारका नगरी की स्थापना की। कृष्ण लीला: द्वारका वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने अपने जीवन का बड़ा भाग बिताया और कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुईं। अर्जुन और कृष्ण के संवाद और महाभारत युद्ध की रणनीति के लिए द्वारका का उल्लेख होता है। विष्णु पुराण और भागवत पुराण में उल्लेख द्वारका को "गोलोक धाम" और भगवान विष्णु के कृष्ण रूप का निवास स्थान माना गया है। भागवत पुराण में द्वारका के समुद्र में डूबने की कथा का वर्णन है। --- 4. पुरी धाम (महाभारत, पुराणों में उल्लेख) महाभारत में उल्लेख वन पर्व: महाभारत के वन पर्व में जगन्नाथ पुरी क्षेत्र का उल्लेख "पुरुषोत्तम क्षेत्र" के रूप में मिलता है। इसे भगवान विष्णु का पवित्र स्थान बताया गया है। स्कंद पुराण में उल्लेख जगन्नाथ पुरी का विस्तार से वर्णन है। इसे "श्रीक्षेत्र" और "निलांचल पर्वत" के रूप में वर्णित किया गया है। जगन्नाथ के विग्रह की स्थापना की कथा और रथयात्रा का महत्व बताया गया है। ब्रह्म पुराण में उल्लेख पुरी के मंदिर और यहां की पूजा पद्धतियों का वर्णन है। भगवान जगन्नाथ को विष्णु के "कला अवतार" के रूप में पूजा जाता है। --- चार धाम का सामूहिक महत्व (ग्रंथों में) महाभारत, रामायण और पुराणों में चार धामों को मोक्ष प्राप्ति और पवित्रता का द्वार बताया गया है। ये स्थान ईश्वर की भक्ति, तपस्या, और धर्म के पालन के प्रतीक माने गए हैं। आदि शंकराचार्य ने इन स्थलों को "चार धाम यात्रा" के रूप में स्थापित किया, लेकिन इनके पौराणिक महत्व का आधार प्राचीन समय से मौजूद था। --- निष्कर्ष चार धाम का उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराणों में पौराणिक कथाओं और धर्मशास्त्र के संदर्भ में मिलता है। इन स्थलों का महत्व ईश्वर की लीला, धर्म के पालन और मोक्ष प्राप्ति से जुड़ा हुआ है। यह दर्शाता है कि चार धाम भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
@vinodshardul217416 күн бұрын
ये चारों धाम बुद्ध धरम के है,जिसे ब्राह्मणों ने कब्जा कर लिया,,,रामायण महाभारत के कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं मिलते है,
@vinodshardul217416 күн бұрын
हिंदू धर्म के सभी ग्रन्थ 1200 के आस पास लिखे गए है,
@sitaramsahani454117 сағат бұрын
Sir RSS ki bichardhara kya hai ,unki Mansha kya hai wey sabhi jante hai jo athentic social media ko follow karte hai, hamare desh ka durbhagyahai ki present me BJP sarkar koi bhi karya RSS se Bina puchhe nahi Kar sakta hai. Sabse jyada garibi SCSTOBC, minority me hai isilie insb ke uper IS BJP sarkar me atyadhik shoshan atyachar badh gayee hai, bahujan bhai se nivedan hai ki BJP ko vote mat do
@Hemant500BCE22 сағат бұрын
Dear sir, Your sense of history is unscientific. You can't provide evidence for these claims.
@shekharjoshi729221 күн бұрын
जातिवाद तो वर्तमान संविधान और कानून में है। भारत की जनता की समझ कभी भी विद्वानों की समझ की तरह भ्रमित नहीं रही।
@alsingh64821 күн бұрын
पंडित जी ,सुधर जाओ तो फायदे में रहोगे । धूर्तता अब चलेगी नहीं।
@arpana163921 күн бұрын
''jatiwad vartman samvidhaan mein hai'' aisa koi Joshi ji hi keh sakte hain
@SafediDevi-zy3sf17 күн бұрын
संविधान ने सवको समान अधिकार दिया है ❤
@subhashsalve694512 күн бұрын
563 bc is earlier than 540 bc
@thinker256415 күн бұрын
Sorry mahodai aap ki claim sabsey purana dharm Jainism aur rigved ka timeline jo diya uska koi thos praman hai to prastut karey. bina praman key sirf claim karna bhram failana hai. Sahi itihas ko bataye. Durbhagya hai aap ki sahi itihas ko gapod katha sey pramanit karney ki kuchesta hai. Sahi itihas padhe phir claim karey. thos praman key sath bataye na ki brahm failaye.