अद्भुत ! संगीत,ध्वनि ,वाचन,शब्द और दृश्यों का मिलन ! आत्म मुग्धता प्रदान करता हुआ ।
@AshishShrivastava-hg1hp22 күн бұрын
बहुत ही सुंदर🎉
@meenusingh495922 күн бұрын
शब्द, दृश्य, ध्वनि सब भावपूर्ण। पार्श्व संगीत भी कविता को गहराई देता है।एक सुंदर और अर्थपूर्ण संयोजन।
@HindiKavita27123 күн бұрын
❤
@SATYA_RAHI75022 күн бұрын
❤vagarth, भविष्य में अपने अलग और सच्चे व्याख्यान के जाना जाएगा। और मुक्तिबोध जी की कविता हो तो बात ही और है, कहीं न कहीं मुझे उनमें अपना ९०% रूप दिखाई नहीं आभास होता है। मेरे प्रिय नहीं हैं वे, क्यूंकि मैं भी उनके जैसा लगती हूं, और मैं स्वयं को प्यारी कैसे लग सकती हूं इस दौर में। असंगत हूं मैं अपने ही भीड़ और अपने ही गली में।😢