How To Durga puja Start|| दुर्गा पूजा की शुरुआत कैसे हुई |'जानिए इस महाकाव्य की अद्भुत कहानी!'

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How To Durga puja Begins|| दुर्गा पूजा की शुरुआत कैसे हुई |'जानिए इस महाकाव्य की अद्भुत कहानी!'
दुर्गा पूजा की शुरुआत कैसे हुई जानिया इसका rahasey 🤔
**Description**:
This video explores the educational aspects of Durga Puja, covering its origins, mythology, and cultural significance. Learn about how this festival celebrates the victory of good over evil, the traditions involved, and how it unites people across various regions of India.
My original script: -
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आप सबका हमारे इस खास एपिसोड में। आज हम बात करेंगे एक ऐसे पर्व के बारे में जो पूरी भारतीय संस्कृति के दिल में बसा है-'दुर्गा पूजा'। आखिर ये त्योहार शुरू कैसे हुआ, क्यों मनाया जाता है, और इसके पीछे का प्राचीन इतिहास क्या है? चलिए, इस यात्रा को शुरू करते हैं।"
"दुर्गा पूजा की शुरुआत काफी प्राचीन है और इसका संबंध भारत की प्राचीन धार्मिक कथाओं और पुराणों से है। वेदों और पुराणों के अनुसार, दुर्गा माँ को महिषासुर नामक एक प्रचंड राक्षस को मारने के लिए अवतरित किया गया था। इस कहानी के अनुसार, महिषासुर को भगवान ब्रह्मा से एक आशीर्वाद मिला था कि कोई भी पुरुष उसका विनाश नहीं कर सकता। अपने इस वरदान का गलत फायदा उठाते हुए, महिषासुर ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अपना कब्जा कर लिया।"
"तब देवताओं ने भगवान विष्णु और भगवान शिव से प्रार्थना की, और उनकी शक्तियों से देवी दुर्गा का जन्म हुआ। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ 9 दिन तक युद्ध किया और 10वें दिन उसका विनाश किया। इसी लिए यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।"
"दुर्गा पूजा का महत्व केवल एक कहानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह त्योहार हिंदू धार्मिक संस्कृति का एक अटूट हिस्सा बन गया है। देवी दुर्गा को 'शक्ति' के रूप में पूजा जाता है, जो साक्षात नारी शक्ति का प्रतीक है। दुर्गा माँ को एक ऐसी देवी के रूप में देखा जाता है जो समस्त संसार की रक्षा करती हैं और अपने भक्तों को ताकत और साहस देती हैं।"
"यह त्योहार भी इस बात को दिखाता है कि जब कोई कठिन समस्या आती है, तब एक 'माँ' के रूप में शक्ति ही उसका समाधान करती है।"
"दुर्गा पूजा का सामाजिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह पूजा देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को एक साथ लाने का काम करती है। हर साल, लोग अपने घरों से निकल कर पंडालों में देवी माँ के दर्शन करने जाते हैं। खासकर बंगाल, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश में दुर्गा पूजा काफी धूमधाम से मनाई जाती है।"
"इस त्योहार का एक सामाजिक पहलू यह है कि लोग अपने दोस्तों, परिवारों के साथ इस उत्सव को मिलकर मनाते हैं, एक-दूसरे से प्रेम और अपनापन बढ़ाते हैं।"
"दुर्गा पूजा का एक दूसरा महत्वपूर्ण पहलू प्रकृति के साथ इसका संबंध है। देवी दुर्गा को प्रकृति के तत्वों का अधिपति माना गया है-वायु, अग्नि, जल, धरती और आकाश। यह प्रकृति के तत्वों का संगम है और यह पूजा हमें याद दिलाती है कि हम प्रकृति के कितने करीब हैं।"
"दुर्गा माँ प्रकृति की देवी के रूप में देखी जाती हैं, जो हमारे जीवन में संतुलन और शक्ति का प्रभाव रखती हैं। इसलिए, दुर्गा पूजा एक ऐसे समय पर मनाई जाती है जब हम प्रकृति के प्रति अपना समर्पण दिखाते हैं।"
"दुर्गा पूजा का महत्व कहानियों से लेकर हमारे जीवन के कई रूपों तक फैला है। यह त्योहार मनाया जाता है:
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
नारी शक्ति और प्रकृति का सम्मान
धर्म और संस्कृति के मूल्यों को जीवंत रखने के लिए।"
"यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि जब हम एक साथ मिलकर पूजा करते हैं, तब हमारी आत्माएं और मजबूत होती हैं। ओडिशा, बंगाल और पूरे भारत के लोगों के लिए दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगम है।"
"दुर्गा पूजा का इतिहास भी काफी रोचक है। पुराणों के अनुसार, पहली बार राजा सुरथ ने दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी, जो एक प्राचीन राज्य के राजा थे। ऐसा कहा जाता है कि जब उनका राज्य छीन लिया गया, तब उन्होंने देवी दुर्गा की पूजा की, और देवी ने उन्हें वापस शक्ति और समृद्धि दी।"
"इस परंपरा को बाद में ज़मींदारों और राज परिवारों ने अपनाया, और धीरे-धीरे यह पूजा समाज के हर तबके तक फैल गई।"
"ओडिशा में दुर्गा पूजा की एक अलग ही रौनक है। यहां के लोग दुर्गा माँ को 'शक्ति' के रूप में पूजा करते हैं और कई प्राचीन परंपराएँ निभाते हैं। कटक का 'चांदी मेधा' बहुत मशहूर है, जहाँ देवी माँ को चांदी के गहनों से सजाया जाता है।"
"यह परंपरा हमें ओडिशा की विरासत और संस्कृति से जुड़े होने का अहसास दिलाती है, जिसमें प्रकृति, धर्म और कला का अनोखा संगम है।"
"आज के डिजिटल युग में दुर्गा पूजा के रूप और आडंबर भी बदल गए हैं। लोग अपने घर से भी ऑनलाइन दर्शन कर सकते हैं, और हर पंडाल का अपना एक डिजिटल प्रेजेंस बन गया है। लेकिन इस सब के बीच, दुर्गा माँ के प्रति जो श्रद्धा है, वो आज भी उतनी ही गहरी है जितनी पहले थी।"
"हर साल, हम नए तरीके से इस त्योहार को मनाते हैं, लेकिन उसकी असली भावना और अस्तित्व कभी नहीं बदलता।"
"तो दोस्तों, दुर्गा पूजा के महत्व को समझना और अपनी संस्कृति का सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है। देवी दुर्गा हमें सिखाती हैं कि जीवन में कोई भी कठिनाई हो, हम अपनी शक्ति के बल पर उसका सामना कर सकते हैं। जय माता दी!"
"अगर आपको हमारा एपिसोड पसंद आया हो, तो लाइक करें, कमेंट करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें। जय दुर्गा माँ!"
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