Rajya sabha news is the best. It provides very accurate n truthful information about all the issues without being prejudiced. Thank you RS tv.
@bhargavkamal54296 жыл бұрын
category quota for sc/st and other deprived classes most of time compared with caste which leads to conflicts and communal riots. which is a big hurdle in growth and development of our country. This serious concern should be address. Reforms are important for both a healthy democracy and good governance.
@nilukumari64696 жыл бұрын
BHARGAV KAMAL 100% right
@ravinderkandhi79476 жыл бұрын
Nice report.
@Anonymous-xn2xh5 жыл бұрын
I wanted to be a Dalit when I was a teenager desperately. The so called dalits had more cars and houses than grains of sand at a beach.
@Vinodpanwar946 жыл бұрын
One of the my favorite program.... Thanks RStv... #in_depth
@anilr12424 жыл бұрын
Great job thanks to RSTv
@maheshjadhav70406 жыл бұрын
Rajya Sabha TV I salute u bcz of providing important information to the public which every citizen has to know plz provide pdf if possible this may help students those who are preparing for competitive s
@imBST6 жыл бұрын
In this country, Dalit can only say himself a Dalit, Not anyone else. And That word is specially highlighted when they need some benefit/reservation from that word. else from benefit, they feel shame to be call them Dalits. WOW. In my way, It will give arise to a new low class group in society in near future by going to achieve a classless society. Because they themselves not want to accept the classless nature of our constitution. Because when society will become educated, then these type of things will definitely going to end automatically in future. Be Educated and be become @ the line where nobody can treat you down. Not by the Dalit tag, but by constitution which also provide you the Right to Education. Education is the only tool, to be live respectfully in today's society. Be Educated, not Reserved.
@birendravasudevan78316 жыл бұрын
Rstv is the sole of information. It give very very authentic data about any topic
@jyotiprakshsahoo62736 жыл бұрын
I felt only favourable point of the SC ST act has been put forward in the analysis and the other side is not bought into the picture. The social in balance caused by the law is not discussed.
@RahulMishra-nz3qk2 жыл бұрын
बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी जिन्दाबाद ❤️
@chinnababunallipogu23746 жыл бұрын
Exllent information on Sc st Act
@RahulMishra-nz3qk2 жыл бұрын
हम आरक्षण ,sc st act का समर्थन करते हैं आरक्षण,sc st act गरीब का अधिकार है
@Nik12326 жыл бұрын
Thanks for gave us valuable knowledge
@prashiksiddharth73326 жыл бұрын
Best information
@ravinderkandhi79476 жыл бұрын
Nice report.
@vivekdubey49996 жыл бұрын
rstv is only the source to get excellent news
@rjnitin6 жыл бұрын
yes
@amitm11575 жыл бұрын
It is something people in india didn't expect as a outcome of reservations. Women, SC/ST and BC's and government are scratching each other's back and covering up their fraud and crimes which they do overtly or covertly.
@raaa-j6b4 жыл бұрын
Misuse of the act, just for 1000.00 rs. Worst law system in country.
@arunrrr88526 жыл бұрын
Request to reinforce
@shivamtiwari66486 жыл бұрын
Best channel
@raaa-j6b4 жыл бұрын
Inka bas chale to puri open catogery ko jail main dal de
@adityaaman80185 жыл бұрын
5127 inocent people were scentencet for 2 months without proofs
@asshvingosavii29855 жыл бұрын
If the govt is fare enough to treat all individual equal then they should have made a stringent law for misusing of this law, where the dalit would think many times before making a false case. But modi didn't do this he wish the dalits continue misuse this law, hope this was his clear intention to amend this law. Dirty appeasement politics, we vote you to stop appeasement in politics but you also proved to the same dirty pond duct, Shame Shame, we shouldn't have voted you modi.
@raaa-j6b4 жыл бұрын
Absolutely misuse
@MerajAhmadengg0126 жыл бұрын
Nice report../
@virajkrishna45796 жыл бұрын
Meraj Ahmad
@anjuvishwakarma75476 жыл бұрын
Here is a lot of people face a lot of the problem, why ? Because of they are SC/ST.
@jedibarca53716 жыл бұрын
If this is a English Channel make it purely English. Listen to the flow of mix language is inconvenient..
@RahulMishra-nz3qk2 жыл бұрын
जय भीम जय संविधान
@ujjwalakumarijhala28576 жыл бұрын
The reason behind killing of dalit in bhavnagar is not owning a horse.... Go into in depth and correct reason.... It was some kind of land dispute among family itself....
@vijaykumarvadlamudi15705 жыл бұрын
We are in 21st century and still people are talking about SC/ST. I am from remote village from Andhra Pradesh. This is the most misused ACT. It is very easy to talk in the show from New Delhi , without understanding the ground reality. This is been used for blackmailing people. Cast based reservations should end in india. Do we have situations like 1950 now? definitely no right? then why we should follow same reservation law written on 1950 in 2019?
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
@@achalsedmake9423 आजकल जहाँ भी दो चार जनरल केटेगरी वाले इक्कठे बैठते हैं वहाँ एक ही चर्चा होती है कि इस आरक्षण ने देश को बर्बाद कर दिया है, अब तो सभी बराबर हो गए हैं कोई जातिवाद नहीं है इसलिए अब इस आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। अफशोस की बात यह की हमारे कई नेता भी बोलने लगे हैं कि आरक्षण की समीक्षा होती है तो क्या बुरा है। जिन लोगों को सब कुछ ठीक ठाक लग रहा है और कहीं भी जातिवाद नजर नहीं आता है उनको आह्वान किया जाता है कि आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जातिवाद दिखाता हूँ। आओ चलें ईंट भट्ठों पर और देखो वहाँ जो ईंट पाथ रहें हैं या पक्की हुई ईंटों की निकासी कर रहे हैं जिनमें पुरुषों के साथ साथ उतनी ही संख्या में महिलाएं भी दिखाई दे रही हैं उनमें ब्राह्मण, राजपूत और बणिया कितने हैं ? इसका जवाब यही होगा कि इनमें तो उन समाजों का एक भी व्यक्ति नहीं है तो फिर यह जातिवाद नहीं है तो फिर क्या है ? अब आगे चलो मेरे साथ शहरों की गलियों में और ध्यान से देखो जो महिलाएं सड़कों पर झाड़ू लगा रही हैं और गंदी नालियाँ साफ कर रही हैं उनमें कितनी ब्राह्मणी, ठुकराईंन और सेठाणी जी दिखाई दे रही हैं ? यहाँ भी वही जवाब की इनमे तो ब्राह्मणी, ठुकराएंन और सेठाणी एक भी नहीं है तो यह जातिवाद नहीं है क्या ? अब आओ चलते हैं रेलवे स्टेशन, हमारे देश में कई हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन बने हुए हैं वहाँ जो रेलवे लाइनो पर शौच के ढेर के ढेर लगे हुए रहते हैं उनको रातों रात साफ करने के लिए पंडित जी आता है या सिंह साहब या फिर शाहूकार जी सेवा देते हैं। इसका भी वही जवाब मिलेगा की उनमे से तो एक भी नहीं आता है तो फिर क्या यह जातिवाद नहीं है ? अब रूख करते हैं भवन निर्माण कार्य करने वाले मिस्त्री और मजदूरों की ओर, जो पूरे दिन अपना हाथ चलाते रहते हैं जिन्हें मिस्त्री कहते हैं और जो पूरे दिन सिर पर काठड़ी ढोने में लगे रहते हैं उन्हें मजदूर कहा जाता है वैसे वे मजदूर नहीं बल्कि मजबूर हैं क्योंकि 50 डिग्री तापमान में कोई कूलर की हवा खा रहा होता है तो कोई ऐ सी में मौज कर रहा होता है उस वक्त भी ये लोग तेज गर्मी और लू के थपेड़े खा रहे होते हैं, अब इनमे भी नजर दौड़ाते हैं तो उनकी संख्या नदारद मिलती है तो क्या यह जातिवाद नहीं है क्या ? अब अपना ध्यान जगह जगह बोरी बिछाकर बैठे हुए उन लोगों की ओर लेकर जाओ जो जूता पॉलिश करते हैं या जूतों की मरमत करते हैं उनमें पंडित जी और उनके साथियों की भागीदारी कितनी है, जवाब मिलेगा बिलकुल शून्य, तो पूरा का पूरा तो जातिवाद भरा पड़ा है । अब आजाओ बाजारों की ओर चारों ओर जो बड़े बड़े मॉल और बड़ी बड़ी दुकाने दिखाई दे रही है उनका मालिक कोई एस सी समाज वाला भी है या नहीं ? यहाँ एकदम से ही पासा पलट गया है अब यहां एस सी का एक भी बन्दा नजर नहीं आएगा और सभी पर ब्राह्मण और बनिया व राजपूत का कब्जा मिलेगा। अब सभी मिलकर सोचो कि क्या यह जातिवाद नही है ? बिलकुल यह खुलं खुला जातिवाद हैं। अब मंदिरों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहना चाहता हूँ कि मंदिरों में कितने पुजारी ब्राह्मण के अलावा देखने को मिलते हैं, शायद एक भी नहीं । क्या इसे आप जातिवाद नहीँ समझते हो। आज भी हर कदम पर जातिवाद का जहर भरा हुआ है और लोग कहते हैं कि अब कोई जातिवाद नहीं है अब आरक्षण खत्म कर दिया जाना चाहिए। आरक्षण होते हुए भी उच्च पदों पर हमारे समाज के लोगों को पहुंचने से रोका जाता है यदि जिस दिन आरक्षण खत्म हो जायेगा उस दिन से तो जातिवाद और अधिक पढ़ जायेगा । इसलिये जो ऐसी बात करता है उसे कहो कि आओ मेरे साथ तुम्हेँ जातिवाद दिखाता हूँ ।
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
@@achalsedmake9423 भेदभाव करते hai जाति के आधार पर और आरक्षण चाहते hai आर्थिक आधार पर क्या गरीब होने के कारण सवर्ण बेइज़्ज़त होते हैं ? ज़रा एक नज़र डालते हैं प्र० (1)*क्या किसी सवर्ण दूल्हे को "गरीब होने के कारण" *घोड़ी से उतारकर पीटने की घटना सुनी है ? प्र० (2)*क्या "गरीब होने के कारण" ब्राह्मण ठाकुर बनिया को *मन्दिर जाने से रोका गया ? प्र० (3)*क्या कोई सवर्ण "गरीब होने के कारण" स्कूल कॉलेज में *छुआछूत का शिकार हुआ ? प्र० (4)*क्या किसी सवर्ण शिक्षक को "गरीब होने के कारण" स्कूल कॉलेज में *नियुक्ति प्रदान करने से रोका गया ? प्र० (5)*क्या किसी सवर्ण को सार्वजनिक कुंएं से "गरीब होने के कारण" *पानी पीने से रोका गया ? प्र० (6)*क्या किसी सवर्ण ब्राह्मण ठाकुर बनिया को "गरीब होने के कारण" *शमशान में शव दफनाने से रोका गया हो ? प्र० (7)*क्या किसी सवर्ण सरपंच-प्रधान को "गरीब होने के कारण" राष्ट्रीय पर्व पर *तिरंगा फहराने से रोका गया ? प्र० (8)*क्या किसी सवर्ण मजदूर को "गरीब होने के कारण" मजदूरी के पैसे मांगने पर *मौत के घाट उतारा गया ? प्र० (9)*क्या किसी सवर्ण को "गरीब होने के कारण" सामूहिक भोज में से *दावत खाने से रोका गया ? प्र० (10)*क्या किसी सवर्ण महिला को "गरीब होने के कारण" *नंगा करके गाँव में घुमाया गया ? प्र० (11)*क्या किसी सवर्ण लड़के को "गरीब होने के कारण" अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी लड़की से प्रेम करने पर *मार डाला और सवर्णों की *बस्तियां फूंकी गयी ? प्र० (12)*इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सवर्ण जज ने अछूत जज के जाने के बाद *कुर्सी को गंगाजल से धोया था, क्या यह गरीबी के कारण हुआ था ? प्र० (13)*आप एक उदाहरण बता दें कि फलां ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया का केवल "गरीब होने के कारण" एस सी , एसटी, ओबीसी की तरह उत्पीड़न किया गया हो , अछुत की तरह *रौंदा गया हो और घिनौने तरीके से जलील किया गया हो। प्र० (14)*फलां ब्राह्मण ठाकुर बनिया महिलाओं के साथ बदले की भावना से *सामूहिक बलात्कार किये हों। अगर आप भारतीय समाज के चरित्र से अच्छी तरह परिचित होंगे तो आपको मालूम होगा कि कोई ऐसा गरीब ब्राह्मण ठाकुर बनिया नहीं मिलेगा जिसको केवल जाति के आधार पर बेइज्जत होना पड़ा हो , जबकि अछूतो-पिछड़ो के लिए आम बात है। तो आरक्षण का आधार गरीबी कैसे हो सकता हैं ? सुप्रीम कोर्ट पर कब्जा किये हुए ब्राह्मण जजों ने मिलकर आर्थिक आधार पर आरक्षण की माँग की है । सवर्णों द्वारा गरीबी अर्थात् आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग एक मनुवादी झांसा है ताकि दलितों - पिछड़ों को फिर से गुलाम बनाया जा सके। गरीबी के आधार पर आरक्षण का मतलब स्वर्ण गरीबी का फर्जी सर्टिफिकेट बनाएगा और दलितों-पिछड़ों का हक मारा जायेगा। आपको क्या लगता है अगर जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होता तो क्या सरकारी दफ्तरों, कॉलेजो, स्कूलों में दलित-पिछड़े दिखतें ? अरे उन्हें तो गेट से ही मारकर भगा दिया जाता ।
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
रवीश कुमार द्वारा "जाति" पूछने के सवाल पर अक्सर कइयों को आपत्ति जताते हुए देखा है। कइयों लोग इसी आधार पर रवीश को जातिवादी भी कहते हैं। एक घटना बताता हूँ मैं एक दिन रवीश की "फूलपुर चुनाव की रिपोर्ट" देख रहा था। एक कथित ऊंची जाति के एक बुजुर्ग की चारपाई पर रवीश बैठे हुए थे। रवीश की बगल में दो चारपाई बिछी हुईं थीं। जिनपर 15 से लेकर 20-25 की उमर वाले लड़के बैठे हुए थे। चुनावों में कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसपर बातचीत हो ही रही थी, तभी बीच बातचीत में एक अलसाये से बुजुर्ग चले आते हैं, जैसे कि बहुत ही थके हुए हों। चारपाई खाली होने के बावजूद वे चारपाई के सामने नीचे धरती पर ही बैठ जाते हैं। खाली चारपाई और नीचे जमीन पर बैठे बुजुर्ग जो देखकर रवीश असहज हो जाते हैं। रवीश उन बुजुर्ग को बार बार ऊपर चारपाई पर बैठने के लिए कहते हैं। लाख कहने के बावजूद बुजुर्ग चारपाई पर नहीं बैठते है. इसपर रवीश कुछ नाखुश होते हैं, और चारपाई पर बैठे ऊंची जाति के बुजुर्ग से कहते हैं कि या तो आप इनसे कहकर इन्हें ऊपर चारपाई पर बिठाइए या मैं अभी यहां से उठकर जाता हूँ। थके हुए से बुजुर्ग असहज होते हैं फिर चारपाई के एक कौनें पर आकर बैठ जाते हैं। चारपाई का वह कौना ही आधे हिंदुस्तान का नक्शा था. रवीश उस बुजुर्ग से पूछते हैं "कौन जात हो बाबा" इतना कौन नहीं जान पा रहा होगा कि बुजुर्ग किस जाति होंगे. रवीश भी जानते ही होंगे कि किस जाति, किस वर्ग से वह बुजुर्ग आते होंगे। लेकिन इक्कीसवी सदी के भारत की वह मध्यकालीन तस्वीर देश को दिख सके इसलिए जाति का सवाल रवीश ने पूछा। एक ऐसे समाज में जहाँ 100 वर्गगज के एक मकान में एक छोटा सा कमरा देने से पहले लोग कास्ट पूछते हों। एक ऐसे देश में जहां नौकरी देते समय सरनेमों को प्रिविलेज दिया जाता हो। एक ऐसे लोकतंत्र में जहां केस दर्ज करने से लेकर धाराएं लगाने तक में जाति का ध्यान रखा जाता हो तो वहां एक पत्रकार जाति के अर्थों को दिखाना चाहता है तो इसबात पर कोई आपत्ति कैसे हो सकती है? शतुरमुर्ग की तरह जमीन में सर घुसाकर मानवीय संकटों से मुक्त नहीं हुआ जा सकता. इस देश में घरों और बस्तियों की संरचनाएं तक जाति के आधार पर रखी गई हैं कभी सोचा? कथित निम्न जातियों के घर गांव के कौनें में ही क्यों मिलते हैं? कभी सोचा है जब अपनी फसल कटवाने के मजदूर चाहिए होते हैं तो आप किस मोहल्ले में जाते हैं? कभी सोचा है किसी पशु के मरने के बाद आप किस जाति के लोगों के पास जाते हैं? किस जाति की औरत हाथ में लोहे की टीन की दो परते लेकर आपकी गलियों में सफाई के लिए आती हैं? आपको नहीं पता? क्या आपने कभी पूछा? नहीं न...! तो इन्हीं सवालों का जबाव आपको रवीश के सवालों में मिल जाता है कि "कौन जात हो" जो दूरी चारपाई पर बैठे बुजुर्ग और नीचे धरती पर बैठे इस बुजुर्ग के बीच में दिखाई दे रही है वह 3 हजार से अधिक वर्षों की दूरी है. इस दूरी का कोई भूगोल नहीं है, इतिहास है।
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
SC/ST को शुद्र पिछड़ा दलित आदिवासी किसने बनाया????किसने नीचा दिखाया किसका फायदा होता है इससे????मनुवादियोने SC/ST जात पर घटिया कर्म लगाया ग्रंथो मे लिखा प्रचार किया इसलिए जहाँ मनुवादी हो भी नही SC/ST पिछड़ा ही रहता है इसलिए SC/ST के असली दुश्मन मनुवादी है इनका खात्मा जरूरी है 🗡️⚔️. . .. . .
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
हम अंबेडकरवादी हैं संघर्षों के आदी हैं निकलो बाहर मकानों से जंग लड़ो बेईमानो से अभी तो ली अंगड़ाई है आगे और लड़ाई हे जय भीम जय भारत !!!!!
@Myworld-sz7vj6 жыл бұрын
Whay straic? If you stop this heinous think then first change your mind because SC ST discrimination don't completely stoup any law . Now more people join in to straic if peoples think and activity properly used in good way for SC ST and protest against tocebility and others.... Then it definitely completely stop ..
@ajithm69116 жыл бұрын
first govt has to give nuber code to every cast and this leads to eliminates cast name and also tails of name should be removed or permit to all men and govt has to create one new cast and give reservation to that cast who are anti castists or developed federal men can join
@bonditasaikia61016 жыл бұрын
Remove the reservation system
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
आजकल जहाँ भी दो चार जनरल केटेगरी वाले इक्कठे बैठते हैं वहाँ एक ही चर्चा होती है कि इस आरक्षण ने देश को बर्बाद कर दिया है, अब तो सभी बराबर हो गए हैं कोई जातिवाद नहीं है इसलिए अब इस आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। अफशोस की बात यह की हमारे कई नेता भी बोलने लगे हैं कि आरक्षण की समीक्षा होती है तो क्या बुरा है। जिन लोगों को सब कुछ ठीक ठाक लग रहा है और कहीं भी जातिवाद नजर नहीं आता है उनको आह्वान किया जाता है कि आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जातिवाद दिखाता हूँ। आओ चलें ईंट भट्ठों पर और देखो वहाँ जो ईंट पाथ रहें हैं या पक्की हुई ईंटों की निकासी कर रहे हैं जिनमें पुरुषों के साथ साथ उतनी ही संख्या में महिलाएं भी दिखाई दे रही हैं उनमें ब्राह्मण, राजपूत और बणिया कितने हैं ? इसका जवाब यही होगा कि इनमें तो उन समाजों का एक भी व्यक्ति नहीं है तो फिर यह जातिवाद नहीं है तो फिर क्या है ? अब आगे चलो मेरे साथ शहरों की गलियों में और ध्यान से देखो जो महिलाएं सड़कों पर झाड़ू लगा रही हैं और गंदी नालियाँ साफ कर रही हैं उनमें कितनी ब्राह्मणी, ठुकराईंन और सेठाणी जी दिखाई दे रही हैं ? यहाँ भी वही जवाब की इनमे तो ब्राह्मणी, ठुकराएंन और सेठाणी एक भी नहीं है तो यह जातिवाद नहीं है क्या ? अब आओ चलते हैं रेलवे स्टेशन, हमारे देश में कई हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन बने हुए हैं वहाँ जो रेलवे लाइनो पर शौच के ढेर के ढेर लगे हुए रहते हैं उनको रातों रात साफ करने के लिए पंडित जी आता है या सिंह साहब या फिर शाहूकार जी सेवा देते हैं। इसका भी वही जवाब मिलेगा की उनमे से तो एक भी नहीं आता है तो फिर क्या यह जातिवाद नहीं है ? अब रूख करते हैं भवन निर्माण कार्य करने वाले मिस्त्री और मजदूरों की ओर, जो पूरे दिन अपना हाथ चलाते रहते हैं जिन्हें मिस्त्री कहते हैं और जो पूरे दिन सिर पर काठड़ी ढोने में लगे रहते हैं उन्हें मजदूर कहा जाता है वैसे वे मजदूर नहीं बल्कि मजबूर हैं क्योंकि 50 डिग्री तापमान में कोई कूलर की हवा खा रहा होता है तो कोई ऐ सी में मौज कर रहा होता है उस वक्त भी ये लोग तेज गर्मी और लू के थपेड़े खा रहे होते हैं, अब इनमे भी नजर दौड़ाते हैं तो उनकी संख्या नदारद मिलती है तो क्या यह जातिवाद नहीं है क्या ? अब अपना ध्यान जगह जगह बोरी बिछाकर बैठे हुए उन लोगों की ओर लेकर जाओ जो जूता पॉलिश करते हैं या जूतों की मरमत करते हैं उनमें पंडित जी और उनके साथियों की भागीदारी कितनी है, जवाब मिलेगा बिलकुल शून्य, तो पूरा का पूरा तो जातिवाद भरा पड़ा है । अब आजाओ बाजारों की ओर चारों ओर जो बड़े बड़े मॉल और बड़ी बड़ी दुकाने दिखाई दे रही है उनका मालिक कोई एस सी समाज वाला भी है या नहीं ? यहाँ एकदम से ही पासा पलट गया है अब यहां एस सी का एक भी बन्दा नजर नहीं आएगा और सभी पर ब्राह्मण और बनिया व राजपूत का कब्जा मिलेगा। अब सभी मिलकर सोचो कि क्या यह जातिवाद नही है ? बिलकुल यह खुलं खुला जातिवाद हैं। अब मंदिरों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहना चाहता हूँ कि मंदिरों में कितने पुजारी ब्राह्मण के अलावा देखने को मिलते हैं, शायद एक भी नहीं । क्या इसे आप जातिवाद नहीँ समझते हो। आज भी हर कदम पर जातिवाद का जहर भरा हुआ है और लोग कहते हैं कि अब कोई जातिवाद नहीं है अब आरक्षण खत्म कर दिया जाना चाहिए। आरक्षण होते हुए भी उच्च पदों पर हमारे समाज के लोगों को पहुंचने से रोका जाता है यदि जिस दिन आरक्षण खत्म हो जायेगा उस दिन से तो जातिवाद और अधिक पढ़ जायेगा । इसलिये जो ऐसी बात करता है उसे कहो कि आओ मेरे साथ तुम्हेँ जातिवाद दिखाता हूँ ।
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
भेदभाव करते हो जाति के आधार पर और आरक्षण चाहते हो आर्थिक आधार पर क्या गरीब होने के कारण सवर्ण बेइज़्ज़त होते हैं ? ज़रा एक नज़र डालते हैं प्र० (1)*क्या किसी सवर्ण दूल्हे को "गरीब होने के कारण" *घोड़ी से उतारकर पीटने की घटना सुनी है ? प्र० (2)*क्या "गरीब होने के कारण" ब्राह्मण ठाकुर बनिया को *मन्दिर जाने से रोका गया ? प्र० (3)*क्या कोई सवर्ण "गरीब होने के कारण" स्कूल कॉलेज में *छुआछूत का शिकार हुआ ? प्र० (4)*क्या किसी सवर्ण शिक्षक को "गरीब होने के कारण" स्कूल कॉलेज में *नियुक्ति प्रदान करने से रोका गया ? प्र० (5)*क्या किसी सवर्ण को सार्वजनिक कुंएं से "गरीब होने के कारण" *पानी पीने से रोका गया ? प्र० (6)*क्या किसी सवर्ण ब्राह्मण ठाकुर बनिया को "गरीब होने के कारण" *शमशान में शव दफनाने से रोका गया हो ? प्र० (7)*क्या किसी सवर्ण सरपंच-प्रधान को "गरीब होने के कारण" राष्ट्रीय पर्व पर *तिरंगा फहराने से रोका गया ? प्र० (8)*क्या किसी सवर्ण मजदूर को "गरीब होने के कारण" मजदूरी के पैसे मांगने पर *मौत के घाट उतारा गया ? प्र० (9)*क्या किसी सवर्ण को "गरीब होने के कारण" सामूहिक भोज में से *दावत खाने से रोका गया ? प्र० (10)*क्या किसी सवर्ण महिला को "गरीब होने के कारण" *नंगा करके गाँव में घुमाया गया ? प्र० (11)*क्या किसी सवर्ण लड़के को "गरीब होने के कारण" अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी लड़की से प्रेम करने पर *मार डाला और सवर्णों की *बस्तियां फूंकी गयी ? प्र० (12)*इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सवर्ण जज ने अछूत जज के जाने के बाद *कुर्सी को गंगाजल से धोया था, क्या यह गरीबी के कारण हुआ था ? प्र० (13)*आप एक उदाहरण बता दें कि फलां ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया का केवल "गरीब होने के कारण" एस सी , एसटी, ओबीसी की तरह उत्पीड़न किया गया हो , अछुत की तरह *रौंदा गया हो और घिनौने तरीके से जलील किया गया हो। प्र० (14)*फलां ब्राह्मण ठाकुर बनिया महिलाओं के साथ बदले की भावना से *सामूहिक बलात्कार किये हों। अगर आप भारतीय समाज के चरित्र से अच्छी तरह परिचित होंगे तो आपको मालूम होगा कि कोई ऐसा गरीब ब्राह्मण ठाकुर बनिया नहीं मिलेगा जिसको केवल जाति के आधार पर बेइज्जत होना पड़ा हो , जबकि अछूतो-पिछड़ो के लिए आम बात है। तो आरक्षण का आधार गरीबी कैसे हो सकता हैं ? सुप्रीम कोर्ट पर कब्जा किये हुए ब्राह्मण जजों ने मिलकर आर्थिक आधार पर आरक्षण की माँग की है । सवर्णों द्वारा गरीबी अर्थात् आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग एक मनुवादी झांसा है ताकि दलितों - पिछड़ों को फिर से गुलाम बनाया जा सके। गरीबी के आधार पर आरक्षण का मतलब स्वर्ण गरीबी का फर्जी सर्टिफिकेट बनाएगा और दलितों-पिछड़ों का हक मारा जायेगा। आपको क्या लगता है अगर जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होता तो क्या सरकारी दफ्तरों, कॉलेजो, स्कूलों में दलित-पिछड़े दिखतें ? अरे उन्हें तो गेट से ही मारकर भगा दिया जाता । अपने हक़ और अधिकारों के लिए इस मैसेज को हर SC, ST तक पहुँचाने के लिए अधिक से अधिक शेयर करें.
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
रवीश कुमार द्वारा "जाति" पूछने के सवाल पर अक्सर कइयों को आपत्ति जताते हुए देखा है। कइयों लोग इसी आधार पर रवीश को जातिवादी भी कहते हैं। एक घटना बताता हूँ मैं एक दिन रवीश की "फूलपुर चुनाव की रिपोर्ट" देख रहा था। एक कथित ऊंची जाति के एक बुजुर्ग की चारपाई पर रवीश बैठे हुए थे। रवीश की बगल में दो चारपाई बिछी हुईं थीं। जिनपर 15 से लेकर 20-25 की उमर वाले लड़के बैठे हुए थे। चुनावों में कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसपर बातचीत हो ही रही थी, तभी बीच बातचीत में एक अलसाये से बुजुर्ग चले आते हैं, जैसे कि बहुत ही थके हुए हों। चारपाई खाली होने के बावजूद वे चारपाई के सामने नीचे धरती पर ही बैठ जाते हैं। खाली चारपाई और नीचे जमीन पर बैठे बुजुर्ग जो देखकर रवीश असहज हो जाते हैं। रवीश उन बुजुर्ग को बार बार ऊपर चारपाई पर बैठने के लिए कहते हैं। लाख कहने के बावजूद बुजुर्ग चारपाई पर नहीं बैठते है. इसपर रवीश कुछ नाखुश होते हैं, और चारपाई पर बैठे ऊंची जाति के बुजुर्ग से कहते हैं कि या तो आप इनसे कहकर इन्हें ऊपर चारपाई पर बिठाइए या मैं अभी यहां से उठकर जाता हूँ। थके हुए से बुजुर्ग असहज होते हैं फिर चारपाई के एक कौनें पर आकर बैठ जाते हैं। चारपाई का वह कौना ही आधे हिंदुस्तान का नक्शा था. रवीश उस बुजुर्ग से पूछते हैं "कौन जात हो बाबा" इतना कौन नहीं जान पा रहा होगा कि बुजुर्ग किस जाति होंगे. रवीश भी जानते ही होंगे कि किस जाति, किस वर्ग से वह बुजुर्ग आते होंगे। लेकिन इक्कीसवी सदी के भारत की वह मध्यकालीन तस्वीर देश को दिख सके इसलिए जाति का सवाल रवीश ने पूछा। एक ऐसे समाज में जहाँ 100 वर्गगज के एक मकान में एक छोटा सा कमरा देने से पहले लोग कास्ट पूछते हों। एक ऐसे देश में जहां नौकरी देते समय सरनेमों को प्रिविलेज दिया जाता हो। एक ऐसे लोकतंत्र में जहां केस दर्ज करने से लेकर धाराएं लगाने तक में जाति का ध्यान रखा जाता हो तो वहां एक पत्रकार जाति के अर्थों को दिखाना चाहता है तो इसबात पर कोई आपत्ति कैसे हो सकती है? शतुरमुर्ग की तरह जमीन में सर घुसाकर मानवीय संकटों से मुक्त नहीं हुआ जा सकता. इस देश में घरों और बस्तियों की संरचनाएं तक जाति के आधार पर रखी गई हैं कभी सोचा? कथित निम्न जातियों के घर गांव के कौनें में ही क्यों मिलते हैं? कभी सोचा है जब अपनी फसल कटवाने के मजदूर चाहिए होते हैं तो आप किस मोहल्ले में जाते हैं? कभी सोचा है किसी पशु के मरने के बाद आप किस जाति के लोगों के पास जाते हैं? किस जाति की औरत हाथ में लोहे की टीन की दो परते लेकर आपकी गलियों में सफाई के लिए आती हैं? आपको नहीं पता? क्या आपने कभी पूछा? नहीं न...! तो इन्हीं सवालों का जबाव आपको रवीश के सवालों में मिल जाता है कि "कौन जात हो" जो दूरी चारपाई पर बैठे बुजुर्ग और नीचे धरती पर बैठे इस बुजुर्ग के बीच में दिखाई दे रही है वह 3 हजार से अधिक वर्षों की दूरी है. इस दूरी का कोई भूगोल नहीं है, इतिहास है।
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
SC/ST को शुद्र पिछड़ा दलित आदिवासी किसने बनाया????किसने नीचा दिखाया किसका फायदा होता है इससे????मनुवादियोने SC/ST जात पर घटिया कर्म लगाया ग्रंथो मे लिखा प्रचार किया इसलिए जहाँ मनुवादी हो भी नही SC/ST पिछड़ा ही रहता है इसलिए SC/ST के असली दुश्मन मनुवादी है इनका खात्मा जरूरी है 🗡️⚔️. . .. . .
@chandrashekharchamar1114 жыл бұрын
हम अंबेडकरवादी हैं संघर्षों के आदी हैं निकलो बाहर मकानों से जंग लड़ो बेईमानो से अभी तो ली अंगड़ाई है आगे और लड़ाई हे जय भीम जय भारत !!!!!
@rnshukla36309 ай бұрын
SC St act व्यापार का धंधा है
@raghavendrandream87986 жыл бұрын
What to do if member of SC/ST community does a crime against other people? Personal experience is that nobody wants to deal with them. As they will say that we are doing this because they are dalit. No justice given to us. Even when we approached police and gram panchayat also. Remove atrocity act. Treat every citizen equal.
@drabhijeetb46166 жыл бұрын
Raghavendra Nasare speak something sensible bro
@malhargore78055 жыл бұрын
@@drabhijeetb4616 What's wrong in what he said????
@rishabhrockstar57395 жыл бұрын
Ht gya sc St🤣🤣
@kamrajbisoi64166 жыл бұрын
The reservation of the dalits will be abolished if all Brahmin girl will marry the dalits boys