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इंद्रचंदजी महाराज द्वारा गाया हुआ सब से पुराना भजन है जो पुरानी टेप से मिला है।
Lyrics
माया का एक सिंह बनाकर, घालके उसमे ज्यान चले,
लेने परीक्षा मोरध्वज की,अर्जुन और भगवान चले ॥
तीनो पहुँच गए रजधानी,द्वारे अलख जगाते है,
तीन रोज के भुखे है,दरबारी को बात बताते है,
इतनी बात सुनी साधु की,कहने को दरबार चले ॥1॥
जय होवे महाराज राज की, साधु द्वारे आए ह,
तीन रोज के भुखे है और, साथ में सिंह को लाए है,
इतनी बात सुनी राजा ने, ले थाली महाराज चले ॥2॥
हमको भोजन देने से पहले, बात सुनो एक महाराजा,
नरभक्षी है सिंह हमारा, इनको मास अब दे राजा ,
दूसरे का सूत न मरने पाए, अपने पर किरपाण चले॥3॥
सूत को मारण से पहले तुम, बात सुनो एक महादानी,
एक तरफ पकड़ो आरा तुम,एक तरफ पकड़े राणी,
आँखों में आँसू आण न पाये,आरा सिर धर म्यान चले॥4॥
इतनी बात सुनी साधु की,आरा सिर पर फेर दिया,
अपने सूत का टुकड़ा करके, सिंह के आगे गेर दिया,
जाहिर होने नहीं दिया,दिल में जो तूफान चले॥5॥
अब हम भोजन जीमे राजा, तीन थाल तुम पुरसाओ,
देकर के आवाज राजा तुम, अपने सुत को बुलवाओ,
इतनी बात सुनी साधु की,राजा हो हैरान चले॥6॥
नाम रहेगा रोशन तेरा, जब तक चाँद सितारे है,
हम सेवक है श्री बाबा के,वे गुरु देव हमारे है,
देकर के वरदान राजा को,तीनो अपने धाम चले॥7॥
॥समाप्त॥