अतुल्य ईश्वर को छोड़ किसी कब्रजड़पोथीजीवितमृतकगुरु को कभी मत पूजो वेदनिन्दकनास्तिक। धर्माधर्म धर्मसम्प्रदाय सज्जनदुर्जन आस्तिकनास्तिक अच्छेबुरे अपनेपराए मित्रशत्रु स्वदेशीयविदेशीय स्वधर्मिविधर्मी मेँ अन्तर करना सीखो अन्यथा सत्यप्राप्ति असम्भव है भ्रान्तबुद्धे।।