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जलकुम्भी - मधु कांकरिया की कहानी | Madhu Kankariya Ki Kahani - Jalkumbhi @kathasahityaprovsn2000
मधु कांकरिया
जन्म : 23 मार्च, 1957
शिक्षा : कोलकाता यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एम.ए.
डिप्लोमा ( कंप्यूटर साइंस)
प्रकाशित कृतियाँ :
‘खुले गगन के लाल सितारे’, ‘सलाम आख़िरी’, ‘पत्ताखोर’, ‘सेज पर संस्कृत’, ‘सूखते चिनार’, ‘हम यहाँ थे’ ; ‘बीतते हुए’, ‘..और अन्त में ईशु’, ‘चिड़िया ऐसे मरती है’, ‘पाँच बेहतरीन कहानियाँ’, ‘भरी दोपहरी के अँधेरे’, ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘युद्ध और बुद्ध’, ‘स्त्री मन की कहानियाँ’, ‘जलकुम्भी’, ‘नंदीग्राम के चूहे’ आदि ।
सामाजिक विमर्श :‘अपनी धरती अपने लोग’ ; ‘बादलों में बारूद’ (यात्रा-वृत्तान्त) , समय के तेवर, 2021 आदि ।
सम्मान/ पुरस्कार
'बिहारी सम्मान' 2021
'कर्तृत्व समग्र सम्मान’ भारतीय भाषा परिषद् ,2019 ‘प्रेमचन्द स्मृति कथा सम्मान’ (2018), ‘शरत चन्द्र साहित्य सम्मान’ (2020), ‘रत्नीदेवी गोयनका वाग्देवी सम्मान’ (2018), ‘कथा क्रम सम्मान’ (2008), ‘विजय वर्मा कथा सम्मान’ (2012), ‘शिवकुमार मिश्र स्मृति कथा सम्मान’ (2015), ‘हेमचन्द्राचार्य साहित्य सम्मान‘ (2009), ‘मीरा स्मृति सम्मान’ (2019), ‘समाज गौरव सम्मान’ (2009) आदि कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हैं।
तेलुगू, मराठी आदि कई भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
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