कबीर पन्थ के बारे में दयानन्द सरस्वती के विचार। सत्यार्थ प्रकाश, ग्यारहवाँ समुल्लास। आचार्य प्रभाकर

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Prahari

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Күн бұрын

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Пікірлер: 341
@Cartoonvideos282
@Cartoonvideos282 10 ай бұрын
कबीर दास के उल्टा वाणी हर किसी को समझना मुश्किल है।
@ramsaran7963
@ramsaran7963 10 ай бұрын
साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप स्वभाव। सार सार को गहि रहे, थोथा दिये उड़ाय।।
@suryana789
@suryana789 10 ай бұрын
सादर नमस्ते अचार्य जी 🙏🙏🙏
@DilipbhaiChauhan-j7q
@DilipbhaiChauhan-j7q 10 ай бұрын
Ram
@mahipalsharma6235
@mahipalsharma6235 10 ай бұрын
आचार्य जी पौराणिक कथाओं में तो समुद्र मंथन के बारे में पढ़ा और सुना भी है! लेकिन कबीर दास जी के बारे में जानकारी जो आप ने दी, शायद कोई दूसरा नहीं दे सकते हैं। मै भी यही मानता था कि कबीर दास जी के दोहे बिल्कुल एक दम सही है लेकिन जो दोहे आपने हमारे समक्ष पेश कर रहे हैं उससे तो मुझे लगता है कि कबीर दास जी की बाणी भी तुलसी दास जी जैसी प्रतीत मालूम पड़ रहीं हैं।
@kamleshdindor9549
@kamleshdindor9549 10 ай бұрын
आप किधर बहुत अच्छे हैं ऐसे चलता रहे
@lakhanlalsenarya6294
@lakhanlalsenarya6294 10 ай бұрын
लखन लाल आर्य की ओर से आपको हार्दिक बधाई उत्तम व्याख्यान हेतु
@PrabhakarSharma-qg4ov
@PrabhakarSharma-qg4ov 11 ай бұрын
साच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप जाके हिरदेए......... ताकये....... हिरदे आप सभी को सादर नमस्कार दोस्तों परिवार सत्य सनातन धर्म राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि मानते हुए जय हो देख पराई चुपड़ी मत लालचावे मन रूखी सूखी खाई के ठंडा पानी पीऊ.. कबीर दास जी के दोहे में बहुत अच्छी बातों की सिख धर्म कर्म धैर्य आस्था विश्वास अनुसरण करें जात पात को लेकर वेंगा!
@ramprakashsherma3301
@ramprakashsherma3301 10 ай бұрын
आचार्य अंकित जी नमस्ते! आपका उपदेश बहुत ही सराहनीय है। महर्षि दयानन्द जी की जय, आर्यसमाज अमर रहे।
@sumanbhanot4947
@sumanbhanot4947 7 ай бұрын
🙏👍
@MadanLAL-wr5dh
@MadanLAL-wr5dh 10 ай бұрын
कबीर को समझना और उनके सिद्धांत पर चलना खांडे की धार पर चलने के समान है। और उनका प्रमाणिक ग्रंथ बीजक है।
@hematchavda2701
@hematchavda2701 10 ай бұрын
😂😢😅
@RanjitPatel-jr6ms
@RanjitPatel-jr6ms 10 ай бұрын
आपकी बात सही है,,बीजक की सिवा कुछ नहीं है,,
@spyadav2244
@spyadav2244 10 ай бұрын
Nijam ko uska shish bhagu chitkar le gaya.aisa nijam me Kuchh nahi hai jo vedo me hain. Nijam aur chura kar.nijam Beejak hai nijam nahi.
@spyadav2244
@spyadav2244 10 ай бұрын
Beejak likha hai nijam nahi.
@mohitvishwakarma1514
@mohitvishwakarma1514 6 сағат бұрын
कबीर पंत किस देश की समस्या का समाधान नहीं कर सकता
@DayaramSindrame
@DayaramSindrame 2 ай бұрын
Pativrata maili Bhali sab sakhiya mein Yon Deepai jio Suraj ki Jeet ise bhi nahin sunaya
@krishnasharmaabudhabi
@krishnasharmaabudhabi 10 ай бұрын
बहुत बहुत सुंदर व्याख्यान किया आचार्य जी आपने
@rajesharya8048
@rajesharya8048 11 ай бұрын
❤❤❤🎉🎉
@karambirsharma8435
@karambirsharma8435 10 ай бұрын
आचार्य जी राम राम जी आपके विचार बहुत अच्छे हैं जो आपने कबीर पंथियों के बारे मे कहा है भाई साहब जी वे कबीर जी के बारे मे कुछ नही जानते क्योंकि उनको अनुभव ज्ञान नहीं है कबीर जी की वाणी देखो और विवेक लगाओ पानी से पैदा नही श्वाशा नही शरीर अन्न आहार करता नहीं वाको नाम कबीर कबीर कबीर क्या करे खोज आपन शरीर दसों इंद्रियां बस में कर तु आपे आप कबीर तीन गुनी की भक्ति में भूल पड़ा ये संसार कहे कबीर निज नाम बिन कैसे उत्तरे पार बचना चाहो काल जाल से चिह्नो शब्द हमारा कहे कबीर अमर कर राखू जो निज होए हमारा आत्म चीनेः परमात्मा चिनेह संत कहावे सोए ये भेद काया से बाहर बुझे बिरला कोए भाई साहब जी हम शरीर नही है हम तो आत्म स्वरूपी है ब्राह्मण गुरु है तीन लोक का ,संतो का नाहि उलझ पुलझ के मर गया चारो वेदो के माहि हम और तुम एक है कहन सुनन में दो दो वे ही करके जानते हैं जिन्हे सतगुरू मिला ना हो भाई साहब जी आपका भाई फिर मिलेंगे बिल्कुल सत्य ज्ञान है
@bhagwandass1070
@bhagwandass1070 4 ай бұрын
Kaash ki hamare desh ke log ,Swami Dayanand Jee keeAvdharna ko vastav mein samajh sakte.
@verma0123
@verma0123 10 ай бұрын
Jaise oushidhi koi khana nahi chahta hai prantu oushadhi ke bina hamara jivan adhura hai isi tarah àarya smaaj sanatan dharm ki oushadhi hai Jai shree Ram
@HaridevSharma-rc1jv
@HaridevSharma-rc1jv 19 күн бұрын
सत्य देशी घी के समान है और डालडा झूठ का प्रतीक है डालडा की अनेक किस्म है ऐसे ही कबीर पंथी है सत्य सनातन रूपी देशी घी किसी मत समप्रदाय महजब आदि के वश की बात नहीं है। सत्य बोलेंगे तो पाखण्डी यौ की दुकान बंद हो सकती है। आर्य पुत्र।।
@honeyarya302
@honeyarya302 10 ай бұрын
धर्म को इतनी हानी अधर्मीयो से नही होती , जितनी धर्म को जानने वालो की निष्क्रियता से होता है । ओ३म् स्वस्ति 🚩
@asusingh4311
@asusingh4311 10 ай бұрын
मोक्ष के लिए किस भगवान की भक्ति करनी चाहिए
@rajendrapandey3598
@rajendrapandey3598 10 ай бұрын
किसी भगवान की भक्ति करो मोक्ष जैसी कोई स्थिति नही है। हां भक्ति से मन और दिल सरल, निर्मल और शांत हो जाता है। स्वर्ग, नरक आदि कोई जगह नही है। अंतर्मन अंतकरण स्व का ही उच्च स्तर पर ले जाना ही लक्ष्य होना चाहिए।
@sunderlalchaudhary9597
@sunderlalchaudhary9597 10 ай бұрын
Kisi pooran santsatguru Ko khozo. Usakay hukam ke anusaar bhajan Simran Karo. Sabkuchh hansil ho Jayega. Satsang Jaya Karo.
@netumehta5000
@netumehta5000 10 ай бұрын
गुरु ग्रंथ साहिब में भी आप अगर उनको युटुब पर सुनते हैं हरि नाम सदा सुखदाई
@sunderlalchaudhary9597
@sunderlalchaudhary9597 10 ай бұрын
Vaahayguru 🙏🙏🙏 Satnam Shri Vaahayguru bole.
@pawankumarsingh9501
@pawankumarsingh9501 10 ай бұрын
Very good
@rajendrapandey3598
@rajendrapandey3598 10 ай бұрын
जिन स्त्री विरोधी दोहों का उल्लेख कर रहे है वो कबीर के लिखे नही भी हो सकते। अगर कबीर ने वो लिखा है तो उसमे कुछ रहस्य जरूर होगा। स्पष्ट कर दूं कि मैं कबीर भक्त या कबीर पंथी नही हूं।
@RajKumarVishwakarma-rv6rf
@RajKumarVishwakarma-rv6rf 10 ай бұрын
Kabir anpadh the
@sultanlimba4366
@sultanlimba4366 10 ай бұрын
संत की कोई भी बात ग़लत नहीं हो सकती। चाहे वह कबीर साहब हो या तुलसी दास जी। बात यह है कि हमारी ओच्छी बुद्धि उनके गूढ़ ज्ञान को समझ नहीं पाती है। संत की बात समझने के लिए संत बनना होगा। जो कि हमारे बस की बात नहीं है।सारी दुनिया कबीर व तुलसी पर विचार व्यक्त करती है चाहे कबीर पंथी हो या आर्य पंथी या कोई और पंथी । कोई उनकी निन्दा करता है और कोई प्रशंसा पर असल भेद उनका समझ नहीं आता क्योंकि हम उस स्तर तक नहीं जा सके जिस मुकाम पर वे पहुंचे थे।
@Cartoonvideos282
@Cartoonvideos282 10 ай бұрын
इस दुनिया में विद्वानों ने सबकुछ सही बनाया था, लेकिन हमलोग विदेशी बहुरुपियों के बहकावे में आकर परम्पराओं का रुप डिजाइन बदल रहे हैं।
@sultanlimba4366
@sultanlimba4366 10 ай бұрын
​@@Cartoonvideos282बहरुपिए कौन?
@Anurag_Jangra_HR
@Anurag_Jangra_HR 10 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@JiyanandMudgal
@JiyanandMudgal 10 ай бұрын
सही मायने में जो खुद को महान और दूसरो को छोटा बताते है वो खुद छोटे होते है तुम लोग दूसरो की निंदा करते हो जो बहुत बुरी बात है
@bhaleram7704
@bhaleram7704 10 ай бұрын
Very good
@bholaprasadgupta7559
@bholaprasadgupta7559 19 күн бұрын
ताड़ना और प्रताड़ना में अंतर समझाइए श्रीमान जी
@Babu-l7u
@Babu-l7u 2 ай бұрын
मेंने अब ये जान लिया है कि किसी को कुछ नहीं पता l सच किसी के भी पास नहीं है और वो कभी भी किसी के पास नहीं हो सकता है l ये दुनिया मायावी है और इसके अनुभव भी बस सपने और माया के मानिंद ही होते हैं l इंसानी दिमाग सच का कम और फितूर का अनुभव ज्यादा कराता है - सबकुछ इस रहस्यमयी तत्व जो दुनिया को चलाता है उस पर ही छोड़ दो l
@surenderdatt2908
@surenderdatt2908 10 ай бұрын
एक पाखंडी संत अमृतानंद सत्यार्थ प्रकाश और ऋषि दयानंद के विषय में बहुत असभ्य बोल रहे हैं कृपया उसका उत्तर भी दीजिए।
@rajeshwarkaushik8030
@rajeshwarkaushik8030 10 ай бұрын
@manoharbairagi5969
@manoharbairagi5969 10 ай бұрын
acharyaji. sadar namastey.. .kya ap andhvishwasi nahi ? andhvishwas ke bare kripaya vyakhya kijiye🙏
@Rajatkumar-lc7ig
@Rajatkumar-lc7ig 10 ай бұрын
ये सब आपकी कहानियां हैं सत्यार्थ प्रकाश में इतना सब तो नहीं लिखा है । फिर भी आर्यसमाज का काम ही है दूसरों का खंडन और अपना मंडन ।
@mohanlalarypushp5886
@mohanlalarypushp5886 10 ай бұрын
आचार्य जी आपके सारे वीडियो बहुत अच्छे सुविचार स्पष्ट हैं! किंतु कबीर पंथ की समीक्षा का तो आपने कमाल ही कर दिया, आपके स्वाध्याय ,चिंतन व प्रस्तुतीकरण के पुरुषार्थ को नमन! ऐसे ही हम सब के समेकित प्रयास सत्य के प्रकाश को आलोकित करते हुए महर्षि दयानंद को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे! बहुत बहुत साधुवाद, प्रणाम 🌹🙏
@ramsuratojha9275
@ramsuratojha9275 10 ай бұрын
Ved me to kaha hai ki ishwar neti neti kaha hai.
@ओमप्रकाश-श7ष
@ओमप्रकाश-श7ष 10 ай бұрын
​जेएछभभभैजजझेतंऊएजत😅य😅क 30:51 ऐज 😅उऊएए😊एऊ
@o.p.singham782
@o.p.singham782 10 ай бұрын
कबीर साहेब को समझना सबके बस की बात नहीं है।
@UdayVeer-mn9sw
@UdayVeer-mn9sw 10 ай бұрын
कबीर पथ सब के लिए है लेकिन सबको कबीर पंथ समझ में नहीं आ सकता
@satishsrivastava9933
@satishsrivastava9933 10 ай бұрын
Kabir Das is Excellent Person
@kebythakor8637
@kebythakor8637 10 ай бұрын
kabir ko samajana bahut kathin hai. murkh log nahi samaj sakate
@ushanair2266
@ushanair2266 10 ай бұрын
Jo purush nari ko tuch samjte hai un se mera ek sawal hai kya unke ma nari nahi hai? Kya beena nari ke ye thakathit purush utpann ho sakta hai kya? Phir keseko bhi adhikar nahi nari ko spnanit karne ka hár har Mahadev 🕉️👏👏👏🕉️
@ashwinikumar9061
@ashwinikumar9061 10 ай бұрын
बहुत सशक्त तर्क। किसी को भी selective नहीं होना चाहिए।
@brijmohan3420
@brijmohan3420 10 ай бұрын
वेद बाइबल गुरु ग्रंथ गीता और कुरान सब ग्रंथो का सार सत्यम शिवम सुंदरम जान सत्य ही धर्म है हर ग्रंथ समझाता है शिवम परोपकार दान मजहब सिखाता है केवल सत्यम शिवम से जीवन सुन्दर बने सबके सुन्दर जीवन से धरती स्वर्ग बने
@stock.92
@stock.92 10 ай бұрын
लेकिन समाज में इसके उलट ग्रंथो में वर्णित वर्णव्यस्था के आधार पर ऊंच नीच और छुआछूत जैसे सिद्धांत देखने को ज्यादा मिलता है शायद ये ग्रंथ इतना जहर न घोलते तो सारा भारत जरूर सत्यमय हो जाता
@aparyan9992
@aparyan9992 10 ай бұрын
Sahi kaha, aise SHABD Bramhagyaani ke ho hi nahin sakte.
@awarenessworld40
@awarenessworld40 10 ай бұрын
दयानंद सरस्वती तो महान पाखंडी थे फिर किस तरह कबीर जी पर कटकछ किया करते रहे स्तार्थ प्रकाश में तो इस तरह के पाखड़ भरा पड़ा है कि शर्म को भी शर्म आ जय
@SiyaRamMaurya-h4e
@SiyaRamMaurya-h4e 10 ай бұрын
कबीर जी की आलोचना करनेवाले आत्म निरीक्षण करें
@SonaDaa-q5u
@SonaDaa-q5u 10 ай бұрын
परमेश्वर कबीरजी के बारे में कितना जानते हैं आपने कहा कि फूल से पैदा हुए, फूल बन गए नहीं फूल पे प्रगट हुए फूल छोड़ गए ऐसा कबीर साहेब हि कर सकते हैं ओ खुद सतलोक से अपनी प्यारी आत्माओं को उपदेश देने के लिए आते हैं लेकिन आप जैसे मुर्ख लोगों को प्रेम के ढाई अक्षर भी नहीं मालूम वेद-पुराणो को पढ़ कर समझते तो पूजने योग्य अविनाशी एक ईश्वर वाद हो जाते।
@RajendraPandey-hy2sx
@RajendraPandey-hy2sx 10 ай бұрын
आचार्य जी :- आप शुद्ध बकवास कर रहे हो।आप तो पर निन्दा मे क्यो लगे हुए हैं? पर निन्दा करने से किसका भला होने जा रहा है।पर निन्दा करके आप परोक्ष रूप से अपने आप को अच्छा बताने का प्रयास कर रहे है। कबीर दास नही सद्गुरु कबीर कहो , कबीर किसके दास थे? संत कबीर कहो ।कुछ तो आदर देना सीखो , संतों को। अपनी बकवास बंद करो। शब्दों का पोस्ट मार्टम न करो ।संत मार्ग को समझने के लिए साधनाओं मे जाना पडता है। साधना में जाने से सिद्धांत का बोध होता है ।जात पात से कोई मतलब नही।कितनी बकवास करोगे? पानी पी पी कर लगे हो। जिसकी जिसमे निष्ठा है उसमे उन्हे लगे रहने दो।कोई कोई तो साधना की ओर धर्म की ओर उन्मुख होता है और उन्ही को पलीता लगाने मे लगे हो।अपने मार्ग का प्रचार करो।अपने सिद्धांत को बताओ दूसरे की निन्दा बंद करो।
@surenderdatt2908
@surenderdatt2908 10 ай бұрын
संस्कृत पहले किस लिपि में लिखी जाती थी? देवनागरी तो 1200 साल पुरानी ही है फिर वेद पहले किस लिपि में थे?
@rajaramkesharwani3360
@rajaramkesharwani3360 10 ай бұрын
तुलसी दास कभी नारी के विरूद्ध नही थे। नही तो वो सिया राम मय सब जुग जानी करहु प्रणाम जोर जुग पानी।में माता सीता का नाम राम जी से पहले जोड़ा है।
@RajKumarVishwakarma-rv6rf
@RajKumarVishwakarma-rv6rf 10 ай бұрын
Jis Granth me Parashuram virodhi bate ho use nhi pathname chahie
@vijayshankaryadav5252
@vijayshankaryadav5252 10 ай бұрын
आचार्य जी आपने जो विश्लेषण किया है उसमे बहुत कुछ सही भी लेकिन कुछ पर आपति है मेरे हिसाब से किसी का विरोध किया जाता हैं क्यों किया जाता जब किसी की बिल्कुल नहीं सुनी जाती हैं तब उसका पुरजोर विरोध होता है हा हर पंथ मे शुरुआत में तो बढ़िया होता है लेकिन धीरे धीरे आगे चल कर उसमे खामिया आनी शुरू हो जाती हैं और उस खामियों को दूर करने का मार्ग उसका विरोध ही होता है सत्य की खोज में कुछ भी अंतिम सत्य नहीं होता
@sevakentertainment
@sevakentertainment 10 ай бұрын
कबीर समुन्द्र है, जिसको जितना समझ मे आता है, उतना तैरता है, वैसे कबीर जी के आड़ मे जिसको जो दोहा बनाकर बोलना हो बोल देता है,कबीर कुछ भी बोले है, तो परमात्मा के तरफ लखाना चाहते है,,,,,, कबीर समाजिक नहीं है, ओ अपने शिष्य को हरकीमत पर परमात्मा से मिलाना चाहते है,हरचीज को बेकार बताते हुए,जिस चीज को जानते है उसे बताना चाहते है,,,,, जैसे आप अपनी बात बता रहे है,,,,,
@stock.92
@stock.92 10 ай бұрын
बिलकुल कबीर का गहरा दर्शन है वो ये नहीं कहे नारी को नीच व दंड देने योग्य है वो ये कहे की नारी के वासना में हमेशा संलिप्त नही होने एवम नारी की वासना में हमेशा के लिए न फसने की बात की है
@RanjitPatel-jr6ms
@RanjitPatel-jr6ms 10 ай бұрын
बाह्यमन धर्म, मुशलमान घर्म, मिशनरी धर्म,सब विदेशी है,,, आंबेडकर ने2000सालो के गुलामी से मुक्त हो गया,,, अभी भी पूर्ण रूप से नहीं हवा है,, आज का युग आंबेडकर का है,, पुरानी बात भूलाना होगा,,, इसमें भारत का भला होगा,
@Urja_754
@Urja_754 10 ай бұрын
आज का समाज एक नया मुहावरा नही बना पाया । पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहि ते नर न घनेरे।। आप जैसे कोई ग्रन्थ रचना करिये कोई भी नही मानेगा क्योंकि महापुरुष दूसरों के लिए जीवन हवन कर देता है उसकी वाणी ओजपूर्ण और अनुकरणीय होती है
@ushamalik6229
@ushamalik6229 10 ай бұрын
सुप्रभातम् शुभकामनाएं हार्दिक धन्यवाद आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो ‌विश्वार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् ......🇮🇳
@surendrakumar-rp8ww
@surendrakumar-rp8ww 10 ай бұрын
नारी के दर्शन से जहां तक भुजंग के अंधा होने की जो बात कही जाती है तो वह गर्भवती नारी के विषय में कही गयी है न कि प्रत्येक नारी के विषय में।
@parbhakarprasad153
@parbhakarprasad153 10 ай бұрын
एवमेव अनार्याणाम् ऋषिदयानन्दानाम् चरित्रेपि एतादृशी अघटितघटना प्रतिपाद्यते तदीयै: तथाकथितशिष्यै:
@stock.92
@stock.92 10 ай бұрын
भगवान का अवतार मानना ही अंधविश्वास है मैं किसी को भी भगवान नही मानता केवल महापुरुष मानता हु अच्छी बात ये नही की किसका जन्म कहा हुआ है अच्छी बात ये है की उन्होंने क्या कहा है और किस तरह के समाज की बात की है
@omprakashdewangan9200
@omprakashdewangan9200 10 ай бұрын
महोदय जी,उस दोहे को तुलसी दास जी ने नहीं बल्कि अपने आप को भगवान् राम की तुलना में जड़ बुद्धि बताने वाले समुद्र ने ऐसा कहा है। इसलिए जो लोग गोस्वामी तुलसीदास जी के लिए नकारात्मक टिप्पणी कर रहे हैं वो गलत है। और कुछ लोग एजेण्डे के तहत अंट संट बोल रहे है, उनको न राम चरित मानस से कोई लेना देना है और ना ही तुलसी दास जी से।
@parbhakarprasad153
@parbhakarprasad153 10 ай бұрын
आचार्योयमनाचारी वेदवादस्य दूषक:। सर्वथा निनदनीय: स्यात्सदार्यैर्वैदिकैर्मुदा।।
@surajmalkalson7980
@surajmalkalson7980 10 ай бұрын
Tumari baato main jaati ki bu aarhi hai
@user-rr5qy2hh5h
@user-rr5qy2hh5h 10 ай бұрын
Harek granthon me swarthi panditon ne mangarhe jhuthi baten Mila die haen isme sansay nahi un sab ka sudhar jaruri hae joy hind
@jinendrajain3728
@jinendrajain3728 10 ай бұрын
Talk about jain Dharam also
@SAURABHKUMAR-qd8id
@SAURABHKUMAR-qd8id 10 ай бұрын
🙏ओ३म नमस्ते जी 🙏
@kksircreation
@kksircreation 10 ай бұрын
मनुस्मृति पर कटाक्ष कभी नही किए
@Prahari
@Prahari 10 ай бұрын
मैं मनुस्मृति में लिखी कुछ बातों का विरोधी हूं, पर समस्या यह है कि आपको एक ही वीडियो में सब कुछ चाहिये।
@MohanSinghgod
@MohanSinghgod 10 ай бұрын
है आचारीय आप भी पाखंड ही कर रहे हो कबीर को समझाना आप के बस की बात नहीं है
@hrdeshpremi3535
@hrdeshpremi3535 10 ай бұрын
मान्यवर स्वामी दयानंद जी ने वेदों में अश्लीलता,कामुकता को व्यभिचार पर चुप क्यों जो महा अनैतिक कुकर्म है,महा अधर्म है।
@rajendrapandey3598
@rajendrapandey3598 10 ай бұрын
वेदों में कामुकता अश्लीलता कही हो तो साक्ष्य दें। अनर्गल प्रलाप न करें।
@Ravidas_guru_558
@Ravidas_guru_558 10 ай бұрын
ढोर ग्वारक्षूदर। पशु नारीवौ सब ताडनकेअधिकारी। यैकोइपरमाणीत वचन नही है,मानवताकेपरति। अपराधहै, साहेब। बनदगी। रविदास
@lilaramsahu3447
@lilaramsahu3447 10 ай бұрын
Kabir is suprim God of the universe
@anandpsparihar
@anandpsparihar 10 ай бұрын
कबीर को ईश्वर नहीं था वह केवल हिंदू समाज का एक निंदक था। मुसलमान की तो उसने कभी निंदा नहीं किया। मुसलमान की हलाला प्रथा का उसने निंदा किया क्या?
@aparyan9992
@aparyan9992 10 ай бұрын
Kabir Das ne Prabhu ki RAH DIKHAI kabhi apne aap ko BHAGWAAN nahin jatlayaa.
@anandpsparihar
@anandpsparihar 10 ай бұрын
कबीर दास तो एक साधारण जुलाहा था। वह हिंदुओं का निन्दा करने वाला था। वह मुसलमान था तो मुसलमान की निंदा क्यों नहीं किया
@anandpsparihar
@anandpsparihar 10 ай бұрын
कभी कबीर दास बकरी का बाल था
@DharmendraKumar-xm8wh
@DharmendraKumar-xm8wh 10 ай бұрын
@@anandpsparihar कंकर पत्थर जोड़ के मस्जिद लेई चुनाय टापर मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाए।
@netumehta5000
@netumehta5000 10 ай бұрын
कबीर जी ब्राह्मण का खंडन कर रहे हैं साथ में हरी नाम का भी कह रहे हैं उनकी सारी जिंदगी आधार हरिराम का रहा वह ब्राह्मण को बीच में से निकाल कर सीधा हरिराम का नाम लेने को कह रहे हैं
@stock.92
@stock.92 10 ай бұрын
भाई आप भी बीजक अच्छे से नही पढ़े है कबीर ने हरिराम का नाम लेने को भी अंधविश्वास बताया है उन्होंने अपने अंदर के चेतना रूपी ईश्वर को जानने को कहा है चेतना को ईश्वर कहा गया है और चेतना को केवल जाना जा सकता है अनुभव किया जा सकता है देखा नही जा सकता और चेतना को किसी नाम के रूप में जपना भी मूर्खता है
@ganpatraikabir1919
@ganpatraikabir1919 10 ай бұрын
आपको कम से कम बीजक ग्रंथ पढ़ लेना चाहिए तो आप को बहुत सी भ्रांतियां दूर हो जाएंगी।
@Prahari
@Prahari 10 ай бұрын
मैंने पूरे बीजक को गलत बताया ही नहीं, पर जो गलत है, उसके बारे में कुछ कहिये
@ganpatraikabir1919
@ganpatraikabir1919 10 ай бұрын
@@Prahari कबीर साहेब को मानने वाले यदि अंधविश्वासी हो जाते है या गुमराह हो जाते है तो इसमें कबीर साहेब जी का या उनकी विचारधारा का क्या दोष है। कबीरपंथियों की तुलना करनी है तो स्वामी जी से मत करो उनके अनुयायियों से करो । यदि विचारधार की तुलनात्मक स्टडी करनी है तो फिर कबीर साहेब और स्वामी जी की करो।
@LRBhagat-pf1dn
@LRBhagat-pf1dn 10 ай бұрын
दयानंद जी भांग/सुल्फा का सेवन भी करते थे,😂और उपदेश देते थे।कभी कभी नग्न भी विचरण करते थे और सूट बूट में भी रहते थे। विधवा विवाह के स्थान पर ग्यारह पुरुषों तक से नियोग की सलाह भी देते थे।अगर पति लंबे समय तक विदेश गया हो तो पर पुरुष से संतान प्राप्त करने की भी सलाह देते थे। ऐसे व्यक्ति को ऋषि कहना चाहिए या समाज सुधारक या अमली ?
@avinashdassaheb7788
@avinashdassaheb7788 10 ай бұрын
तर्कशील लोग वैदिक हिन्दू धर्म पर थूंक रहे थे इसलिए दयानंद जातिवाद और पुराण आदि का शर्म से खण्डन किया था न कि अन्य वजह से।
@g.krishan6696
@g.krishan6696 10 ай бұрын
Kya aap bta sakte hain ki vedo me indra dev kon hai. Kya vo badal bijli aadi ka swami hai..
@avdheshmistry6494
@avdheshmistry6494 10 ай бұрын
बंधु आपका प्रयास सराहनीय है परंतु आप तुलसी और कबीर को कितना समझते हैं उनकी जो भी बातें आपको ठीक लगी वो सही और जो नहीं समझे वह गलत आप कबीर या तुलसी की अवस्था प्राप्त कर लें पहले तब आप उनके विचार को समझ सकते हैं बंधु नारी वाली बात में जो चौपाई आपने पढ़ा उसमें मैं एक ही बात आपको पूछ रहा हूं ताड़ना यदि पीटना है तो मैं एक गाय देता हूं आपको पिटकर उससे दूध निकाल कर दिखा दो और ढोल को पीटो तो फूटेगी अवश्य लेकिन सुर में बजेगी नहीं बंधू मुझे इन बातों का समाधान करदेना बाकी आप चैनल चलाओ पैसा कमाने के लिए कमाते रहो कोई दिक्कत नहीं धन्यवाद
@richagera4170
@richagera4170 10 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@Shree_shru.since_19.01
@Shree_shru.since_19.01 10 ай бұрын
Bahut achcha sabka virodh karte the Kabir panthi aapka video bahut bahut achcha masjid mein ajaan Dene ka matlab bahar ka aadami ko pata naak ki Allah bahra hai Jo bhai nahin a paye unko pata lagna samay Ho Gaya hai yah to sochne ka najriya hai apna apna mind hai Khair jinko jaisa
@dr.s.stomar6708
@dr.s.stomar6708 10 күн бұрын
You are requested to stop speaking on politics. Because no one has fallen as much as the BJP. For nation building, privatization of education, health, security and justice should be stopped. BJP has privatized it and Aam Aadmi Party has made it free for the public.
@RamnevasGurjar-of2ie
@RamnevasGurjar-of2ie 10 ай бұрын
कबीर के दोहे समझने की आपकी हिम्मत नहीं है
@dr.narotamkumarkaushal2065
@dr.narotamkumarkaushal2065 10 ай бұрын
Jissko shavdon ke arth nahin pata woh bhavarth kya samjhega
@KumarNaveen2711
@KumarNaveen2711 10 ай бұрын
Bhai saheb you and all Arya samaji cannot understand Kabir...... Kabir was not a body rather a truth so scholars by their bookish knowledge can never know Kabir........ Kabir and Ravidas were gurubhai and of same time..... Mira was disciple of Sant Raidas. Do you think about it what Mira would have seen in a cobbler Raidas. And a number of great kings and scholars were disciple of Sant Kabir......
@avinashdassaheb7788
@avinashdassaheb7788 10 ай бұрын
अवश्य देखें दयानंद सरस्वती जी का ज्ञान kzbin.info/www/bejne/qHOzhJiIf6-nerMsi=PAVc1IjEBki2DXr7
@pardeepsharma-vq7oh
@pardeepsharma-vq7oh 10 ай бұрын
मूलशंकर तिवारी स्वामी दयानंद बन गया। केवल एक चूहें के शिव रात्रि जागरण में उसे पिंडी पर चढ़कर लड्डू खाते देखकर। आर्य समाज ने जितनी हानि सनितन धर्म की हैं उतनी तो ईसाई और इस्लाम ने भी नहीं की। एक व्यक्ति अगर किसी मान्यता को मानकर या टोटके को मानकर अपना जीवन जी रहा हैं तो आपको क्या पड़ी है कि उसको जाकर आप समझाए। मैने ऐसे हज़ारों आर्यसमाजी देखे हैं जो रात गए शनिवार को चौराहों पर अंडा फोड़ते हैं या खुली झाडू फेंक कर आते हैं। प्रहरी जी, एक सनातन धर्म ही हैं। जिसमें अपने में आए संक्रमण को बाहर कर ने की क्षमता हैं।
@ompahuja5049
@ompahuja5049 10 ай бұрын
Many Thanks. Sh. Days and Sarsvti was a True Reformar ,& a v. Brave Fighter against Hindus Blind wrong rites n cast system , and for Rightful women’s place in the society plus AGAINST FOREIGN RULE. HE was a Torch in the dark age of his time. No wonder he was poisoned under the Guidance of an English Dr. Care so called Saviour!! Dhanyavad. Om (91 yr. youngman)
@MhantishvardasSahibe
@MhantishvardasSahibe 10 ай бұрын
आप यह बताइए कि ब्रह्मा विष्णु महेश और रामकृष्ण आदि शक्तियां है या नॉर्मल इंसान है अथवा भगवान है बताइए जिस की शंका का समाधान हो सके हम क्या मां ने उनको।
@dayal1580
@dayal1580 10 ай бұрын
भाई साहब तुलसीदास जी ने वौ चौपाई लिखी है ,बौली तो समुन्द्र ने है तो वो विचार समुन्दर के है ..रावन के सम्वाद भी तुलसी जी ने ही लिखे है इसका मतलब ये नही कि तुलसी जी नारी विरोधी है..🙏
@ManveerSingh-yz6ve
@ManveerSingh-yz6ve 10 ай бұрын
Par istri se sambandh .garbha istri se .or brahammchary majbuti ko nari se dur rehne ko hi jor diya gaya he.
@ZEE45816
@ZEE45816 10 ай бұрын
यही हाल आर्य समाज का भी हो चुका l
@surendrakumar-rp8ww
@surendrakumar-rp8ww 10 ай бұрын
हमारे समाज में वर्तमान में पिछले साढ़े छः सहस्र वर्षों के कालखंड में कुछ काल ऐसा आया जिसमें वेदविद्या लुप्तप्राय हो चली थी। ऐसे काल में कुछ संत यथा नानक कबीर सरीखे ऐसे हुए जिनके चिंतन तत्कालीन समाज में आदर्श रहे किन्तु उनके शिष्यों ने उन्हें ब्रह्म से भी ऊंचा बना दिया। अंकित जी अपने प्रभावित प्रवचन देते हैं। साधुवाद।
@PremSuman-sk2fz
@PremSuman-sk2fz 10 ай бұрын
Budhha aur unke anuyai bhi isi sreni me hai
@jitudesai3702
@jitudesai3702 10 ай бұрын
*और ज्ञान सब ज्ञानडी,कबीर ज्ञान सो ज्ञान* *जैसे गोला तोब का कतरा चले मैदान* हमारे पवित्र चारो वेद में ब्रह्म (ओह्म) भगवान तक भी भक्ति विधि है ,,पूर्ण परमात्मा तो उससे भी भिन्न है जो वेद की भक्ति से नही मिलेगा ,, और आप आर्य समाजी स्वामी दयानंद सरस्वती को समाज सुधारक और वेदों के ज्ञानी मानते हो पर वेदों में पूर्ण परमात्मा को साकार बताया है और उस परमात्मा को कष्ट नाशक बताया है ,, आपके दयानंद सरस्वती जी परमात्मा को निराकार बताते है ,,, *सत्यार्श प्रकाश* में भी उन्हों ने नियोग के बारे में जो बाते कही है वो बहुत शर्मनाक है ,,शादी की उमर में लड़की की उमर 24 साल और पुरुष की उमर 48 साल कहा है तो आप अपने फैमिली में भी कोई एक्सपेक्ट नही करेगा ,, ऐसे , ऐसे कई लड़कियों के नाम गिनाए है जिस नाम की लड़की से शादी करने को मना किया गया है ,,, वो खुद हुक्का पिया करते थे तो उनको आप लोग कैसे समाज सुधारक कह सकते हो ? *वेद मेरा भेद है , में वेदन में नाही* *जो वेद से में मिलू, वो वेद जानते नाही* ।।
@MOHIT.आर्यवीर
@MOHIT.आर्यवीर 10 ай бұрын
नियोग कोई गलत प्रथा नही है, ये तो महाभारत में भी हुआ था, जब महाराज पांडू रोगग्रस्त थे, तब उन्होंने नियोग की इजाजत दी थीं, ये भोग विलास वाली बातें नही है, ऋषि दयानंद का कोई अपना मत नही था, उन्होंने जो भी कहा, वो प्रमाणों के साथ कहा।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 10 ай бұрын
तुम्हारा कबीर का अवतार रामपाल, जिसे तुम पूर्ण परमात्मा कहते हो, अभी तो वह महिलाओं से व्यभिचार और अनेक निर्दोषों की हत्या करने के कारण जेल की हवा खा रहा है, ऐसा व्यभिचारी वेद की भक्ति से नहीं मिलता, वेद की भक्ति से तो निर्विकार परमात्मा ही मिलता है। तुम्हारे रामपाल ने वेदों का अनर्थ करके ही ईश्वर को साकार सिद्ध किया है, जो की कोई भी कर सकता है। वेद में तो निराकार परमात्मा ही है। नियोग स्वामी दयानंद की अपनी कल्पना नहीं है, परंतु वेद, महाभारत, रामायण और मनुस्मृति आदि में पति के अयोग्य होने पर अथवा पति के देहांत पर स्त्री के लिए संतान की प्राप्ति हेतु आपातकालीन व्यवस्था है, इसलिए इसमें शर्म की कोई बात नहीं है, परंतु ऐसी व्यवस्था से अनैतिक व्यभिचार ही रूकता है, जो रामपाल चोरी-छिपे अपने आश्रम में करता था। महाभारत के अनुसार पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर नियोग से ही उत्पन्न हुए। यहां तक पांचो पांडवों की उत्पत्ति भी नियोग से हुई। रामायण में हनुमान् नियोग से उत्पन्न हुए। आज तक इन पर कोई आक्षेप नहीं हुआ, तब फिर स्वामी दयानंद पर ही आक्षेप क्यों? 24 वर्ष की ब्रह्मचारिणी कन्या का विवाह 48 वर्ष के अखंड ब्रह्मचारी से करवाने का अपने परिवार में आप आशा करना भी मत, क्योंकि आजकल कोई भी अखंड ब्रह्मचारी नहीं है। यह स्वामी दयानंद ने उपनिषदों के प्रमाण से प्राचीनकाल कि वैवाहिक अवस्था को बताया है, जहां बालक गुरुकुल में अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करके उसके पश्चात् विवाह करते थे। यह तुम्हारे रामपाल आदि व्यभिचारियों के लिए नहीं है, जो आश्रमों में महिलाओं के साथ व्यभिचार करके अपने वीर्य को नष्ट करते हैं, और बड़ी आयु से पहले ही वृद्ध हो जाते हैं। जिन लड़कियों और उनके परिवार वालों को नाम रखने की ही बुद्धि नहीं है, वह विवाह के योग्य कैसे होंगे? इसीलिए यह स्वामी दयानंद ने मनुस्मृति के प्रमाण से उनको विवाह के अयोग्य किया है, न कि अपनी कल्पना से। लेखराम द्वारा लिखे गए महर्षि दयानंद के जीवन चरित्र में सम्पादक ने टिप्पणी लिखकर स्वामी दयानंद के हुक्का पीने की बात को स्वीकार नहीं किया है। और हुक्का पीने की कथा को झूठा बताया है। फिर उस कथा में यही लिखा है कि हुक्का पीने पर किसी के आक्षेप करने पर स्वामी दयानंद ने हुक्के को फेंककर आजीवन त्याग कर दिया। फिर जब फेंक दिया, फिर सूत से लठा-लठी क्यों करनी? आपकी यह बात बिल्कुल ठीक है कि वेद से कबीर मिलेगा नहीं, क्योंकि वेद में परमात्मा के लिए कविः शब्द है, कबीर नहीं। तुम लोगों को कविः और कबीर में अंतर ही नहीं पता, तो फिर वेद को कैसे जानोगे, क्योंकि उसके लिए संस्कृत पढ़नी पड़ेगी, जो तुम लोगों को आती नहीं। 😂 ऐसे ही तुम्हारा मूर्ख, गँवार रामपाल था। और यही नहीं वह महादुष्ट और व्यभिचारी भी था और इसलिए अपने किए हुए दुष्ट कर्मों का फल जेल में भोग रहा है।
@jitudesai3702
@jitudesai3702 10 ай бұрын
​​​​@@veda-vaani_aacharya-vijayएक भाषा विशेष का ज्ञान होने से कोई पंडित या विद्वान नही बन जाता ,, रही बात आपके दयानंदजी की तो मेने जैसे उन्होंने कहा है वैसा लिखा है तो आप शिष्टाचार से बात करे ,,, लिखने में तो हम भी लिख सकते है पर हमारे संस्कार नही है ,,, हमारे सतगुरु रामपालजी महराज पे महिला से शोषण का आरोप नही लगा आप कही पे जाकर चेक कर सकते हो , तो इतने बड़े सार्वजनिक प्लेटफार्म पे आकर ऐसे मनघड़ंत आरोप ना लगाए ,, आप की I.D में आपने आचार्य लिखा है तो उसकी गरिमा को समझते हुवे शिष्टाचार से बात करे । *कांड no।4 अनुवाल नो, 1 मंत्र 7* *योदाथवार्ण पितर देव बंधु बृहस्पति नमसाव च गच्छात । त्व विश्वेशा जनिता यथाश : कविरदेवों न दभयत स्वधावानन *।। *जो अविनाशी जगत पिता , आत्मा का आधार , जगतगुरु विधिवत साधक को सुरक्षा के साथ सतलोक गए हुवो को सतलोक ले जाने वाला सर्व ब्रह्मांडो की रचना करने वाला माता वाले गुणों से भी युक्त काल (ओह्म) की तरह न धोखा देने वाले , स्वभाव अर्थात गुणों वाला ज्यों का त्यों (वैसा ही) वह आप *कवीरदेव* है* । *ऋग्वेद मंडल no, 9 सूक्त 96 मंत्र 17* शिशु जज्ञान हरयंत मृजन्ति शुभांति वही मरूतो गणेन । कवि गिर्भी: कव्येना कवि: संत सोम: पवित्रमत्येति रेभन।। पूर्ण परमात्मा विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में जान बूझकर प्रकट होता है , तथा अपने तत्वज्ञान को उस समय निर्मलता के साथ उच्चारण करता है ,प्रभु प्राप्ति की लगी विरह अग्नि वाले भक्त समूह के लिए कविताओं द्वारा कवित्व से आध्यतिक वाणी निर्मलता के साथ कबीर वाणी द्वारा ऊंचे स्वर से संभोधन करके बोलता है वह अमर पुरुष अर्थात सत पुरुष ही संतरूप में स्वयं कवीरदेव होता है । परंतु उस परमात्मा को ना पहचानकर कवि कहने लग जाते है । परंतु वह पूर्ण परमात्मा ही होता है । उसका वास्तविक नाम कवीर देव है । *ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मंत्र 18* ऋषिमना च ऋषिकृत् वर्षा: सहस्त्रनीथ: पदवी: कविनाम । तृतीय धाम महिष: सीशास संतसोमो विराज मनु राजति स्टुप।। *वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है की जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर प्रसिद्ध कवियों कि उपाधी प्राप्त करके अर्थात एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची हजारों वाणी संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य आनंद दायक होती है । वह अमर पुरुष तीसरे धाम की सुदध पृथ्वी को स्थापित करके पश्यात मानव संत रूप में होता हूवा गुबंद अर्थात ऊंचे टीले रूपी सिंहाशन पर उज्जवल स्थुल आकार में अर्थात मानव सदृष्य तेजोमय शरीर में विराजमान है* । ऐसे ऐसे कई श्लोक मौजूद है वेदों में जो परमात्मा को साकार बताते है ,, सिर्फ एक श्लोक *शुक्रम अकायम* जिसमे परमात्मा के शरीर के विषय में बताया है की उस परमात्मा का शरीर उस परमधाम में बीना नाडीओ का बना हुआ है ,, निराकार नही बताया पर ज्ञान के अभाव से ना समझ अनुवादकों ने गलत कर दिया ।।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 10 ай бұрын
@@jitudesai3702 वेद संस्कृत में है, इसलिए वेदों को समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। संस्कृत जानने के अभाव में तुमने रामपाल के किए हुए जो वेद मंत्रों के गलत अर्थ भेजे हैं, उनके सही अर्थ मैं बाद में भेजूंगा। फिलहाल, अब तुम्हारे शिष्टाचार की बात करते हैं। तुम्हारे रामपाल और तुमने महर्षि दयानंद के विषय में आधी-अधूरी जानकारी देकर और उन्हें गलत रूप से दिखाकर, लोगों को उनके प्रति भ्रमित किया है, इसलिए तुम लोग शिष्टाचार के पात्र नहीं हो। तुम्हारे रामपाल पर अनेक महिलाओं को बंधक बनाकर उनकी हत्या का आरोप है, जिसके कारण उसको उम्रकैद हुई है। महिलाओं को बंधक बनाने के पीछे व्यभिचार के अतिरिक्त और क्या कारण हो सकता है? इंटरनेट मीडिया पर रामपाल के विषय में खोजा जाए, तो अनेक समाचार पत्रों के माध्यम से पता लगता है कि सतलोक आश्रम में शराब, कंडोम और अश्लील साहित्य मिले थे। महिलाओं के बाथरूम में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिसको तुम्हारा बाबा रामपाल देखता था। यूट्यूब के कमेंट में बाहरी लिंक नहीं दिए जा सकते, इसलिए मैं यहां उनको दिखा नहीं सकता, परंतु गूगल पर सर्च करने पर रामपाल को उम्रकैद की सजा मिलने के पीछे के सारे राज खुल जाते हैं कि रामपाल आश्रम में कितनी अय्याशी, गुंडागर्दी और हत्याएं करता था। भारत का न्यायालय कोई मूर्ख नहीं है, जो बिना बात उसको उम्रकैद की सजा देता। सब कुछ सबूत और प्रमाणों के आधार पर हुआ है। और तुम्हारा रामपाल महाझूठा है। कबीर को परमात्मा कहता है, परंतु कबीर ने अपने पुस्तकों में कभी अपने को परमेश्वर नहीं माना, परंतु उसने अपनी साखी में यही लिखा है कि गुरुओं की कृपा से उसने परमेश्वर को प्राप्त किया। रामपाल ईश्वर को साकार बताता है, जबकि कबीर ने अपनी साखी में ईश्वर को अनेक बार निराकार और रूप-रंग से रहित बताया है। रामपाल ईश्वर को सर्वव्यापक नहीं मानता, परंतु कबीर ने अपनी साखी में ईश्वर को घट-घट व्यापी अथवा सर्वव्यापी राम बताया है, जो मनुष्य के शरीर के भीतर उसके हृदय में विद्यमान है और वही मिलता है। तुम लोगों ने रामपाल के पुस्तक तो पढ़े, परंतु कभी कबीर के साखी और बीजक टीका पुस्तक नहीं देखे, इसलिए भ्रम में हो। इसमें से किसी के भी प्रमाण चाहिए, तो मैं भेज दूंगा, जिससे तुम्हें सत्य का पता लगे। अच्छा होगा कि कबीर की साखी और बीजक टीका पुस्तक खरीदकर स्वयं पढ़ लो, जिससे तुम्हारे भ्रम का स्वयं ही निवारण हो जाए। फिलहाल हमारे एक आर्य बंधु द्वारा बनाई गई यह यूट्यूब वीडियो देख लो, जिसमें उसने कबीर के कुछ वचनों का प्रमाण दिया है - kzbin.info/www/bejne/nafRqZl_j56hrMUsi=0fxzNrszu2EBRz-7 यह तो कुछ ही प्रमाण वीडियो में दिए है, मेरे पास कबीर के वचनों की बहुत बड़ी सूची है, जिसमें उसने ईश्वर को निराकार, सर्वव्यापी, हृदय में विद्यमान बताया है। यहां तक गुरु की कृपा से उसने अपने द्वारा सर्वव्यापी राम की शरीर के भीतर हृदय में प्राप्ति के विषय में भी बहुत से दोहे दिये हैं। और मैं कभी गपोड़े नहीं हांकता, परंतु ग्रंथ के नाम, साखी अथवा दोहे की संख्या सहित सारे प्रमाण भेजता हूं, जिसमें कबीर ने ईश्वर को निराकार, सर्वव्यापी, घट-घट रमा बताया है, जो हृदय रूपी मंदिर में मिलता है। यही बात स्वामी दयानंद ने भी बताई थी। अभी आराम से दिवाली मना लो, फिर उसके बाद सारे प्रमाण दिखाऊंगा।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 10 ай бұрын
@@jitudesai3702 "संत विवेकदास आचार्य" द्वारा सम्पादित पुस्तक *कबीर साखी* में कबीर ने अपने को कहीं भी परमेश्वर नहीं माना। इसके विपरीत इस पुस्तक में अनेक दोहे हैं, जिससे पता लगता है कि कबीर स्वयं परमेश्वर नहीं, परंतु परमेश्वर का भक्त और दास था। यह पुस्तक "रूपेश ठाकुर प्रसाद प्रकाशन, वाराणसी" द्वारा प्रकाशित है और इसमें ८४ अंग हैं। देखो, इसमें से कबीर के लिखे हुए वास्तविक दोहे - *👉 कबीर द्वारा ईश्वर-प्राप्ति* इस पुस्तक के "गुरु-शिष्य हेरा अंग" में कबीर बताता है कि सद्गुरु ने उसको परमेश्वर तत्व का उपदेश दिया और उससे वह परमेश्वर को प्राप्त करके भवसागर रूपी संसार से पार उतर गया। इस परमेश्वर का आदि और अंत नहीं है और वह उसका दास है। यह परमेश्वर मनुष्य के भीतर हृदय में बसता है और वहीं प्राप्त होता है, बाहर नहीं। प्रमाण के लिए इस अंग से ५ दोहे निम्नलिखित हैं - *अथ गुरु-शिष्य हेरा को अंग ॥४॥* *सतगुरु हमसों रीझि के, एक दिया उपदेस । भौ सागर में बूड़ता, कर गहि काढ़े केस ॥ २० ॥* - सद्गुरु ने हम पर प्रसन्न होकर हमें एक तत्व का उपदेश दिया। मैं भवसागर रूपी संसार में डूबा हुआ था। इस उपदेश से, इस ज्ञान से, मैं उस पार उतर गया, ये गुरुदेव की ही कृपा है। *आदि अंत अब को नहीं, निज बाने का दास । सब संतन मिलि यौं रमै, ज्यों पुहुपन में बास ।। २१ ।।* - जिसका न आदि है, न अंत है, मैं उसी परमपिता परमेश्वर का दास हूँ, सभी संत उस परमेश्वर में इस प्रकार समा गये, जैसे फूलों में सुगंध। *पुहुपन केरी बास ज्यौं, ब्यापि रहा सब ठाँहि । बाहर कबहु न पाइये, पावै संतों माँहि ।। २२ ।।* - जिस प्रकार फूलों में सुगंध बसी रहती है, उसी प्रकार परमेश्वर सब मनुष्यों के हृदय में बसता है। उसे बाहर कभी नहीं पा सकते, वह तो संत महात्मा के द्वारा ही अन्दर प्राप्त होगा। *मूल कबीरा गहि चढ़ै, फल खाये भरि पेट । चौरासी की भय नहीं, ज्यों चाहै त्यौं लेट ।। २७ ।।* - संसारी लोग संसारिक मोह माया में लगे रहते हैं, पर कबीर दास जी कहते हैं, मैंने तो मूल स्वरूप प्राप्त कर लिया और मैं तृप्त हो गया। अब मुझे चौरासी लाख योनियों का भय समाप्त हो गया, क्योंकि मुझे मुक्ति मिल गयी। अब आनंद निद्रा में सोता हूँ। *हेरत हेरत हे सखी, रहा कबीर हिराय। समुँद समाना बूँद में, सो कित हेरा जाय ॥ ३० ॥* - सदगुरु कबीर दास जी कहते हैं, खोजते खोजते में खुद भी उसी में खो गया, लीन हो गया। जिस प्रकार आत्मा रूप बूंद समुद्र रूपी परमात्मा में समा जाने पर खोजने से भी नहीं दिखाई देती है। 👉 यह थोड़े से ही दोहे दिए हैं, इस पुस्तक में तो अनेक दोहे हैं, जिसमें बताया गया कि कबीर ने ईश्वर को प्राप्त किया और वह उसकी भक्ति में लीन रहता था। यदि और दोहे चाहिए, तो वह भी दे देंगे। आपसे नम्र निवेदन है कि रामपाल के पुस्तकों को छोड़कर, स्वयं कबीर के पुस्तक पढ़े, जिससे आपके भ्रम का निवारण हो। रामपाल ने तुम्हें धोखे में रखा हुआ है, तुम वास्तविक परमात्मा जिसका आदि और अंत नहीं है और जो सबके हृदय में विद्यमान है और वहीं प्राप्त होता है, बाहर नहीं, उसको भूलकर बाहरी रामपाल के पीछे पड़े हो।
@dr.s.stomar6708
@dr.s.stomar6708 10 күн бұрын
आप से निवेदन है कि राजनीति पर बोलना बंद करो। क्यों कि भाजपा जितना पतन किसी का नहीं हुआ है। राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्छा, स्वस्थ्य, सुरच्छा एवं न्याय का निजीकरण नागि होना चाहिए। भाजपा ने निजीकरण किया है ओर आम आदमी पार्टी ने जनता के लिए स्वतंत्र किया है।
@umashankarkalmodiya2371
@umashankarkalmodiya2371 10 ай бұрын
आचार्य जी मैं आज ही आपका चैनल सब्सक्राइब किया है आपकी बोलने की शैली बहुत अच्छी है बहुत बहुत धन्यवाद सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए
@dhanadasmanikpuri2042
@dhanadasmanikpuri2042 6 күн бұрын
Aap Science journey se. Ek. Bar. Debate. Kariye. Dayanand. Ke. Bare. Me. Batayega
@KAJORMALDHEBANA
@KAJORMALDHEBANA 10 ай бұрын
X आचारियाजी आपने महर्षि दयानंद को भी शायद पूरा नहीं पढ़ा है उन्होंने भी छुआ छूत का समर्थन किया है केवल मनुस्मृति के पाठक थे महर्षिजी l भावपक्ष को नही समझा वेदों में कई जगह गलत लिखा है आंखें बंद करदी ,सत्यार्थ कहां है कृपया सत्यार्थ प्रकाश को पुनः पढ़ें
@HaridevSharma-rc1jv
@HaridevSharma-rc1jv 19 күн бұрын
कबीर पंथी यौ विवाह शादी नहीं करना चाहिए क्योकि परनारी की छांह से अंधे होत भुजंग । कबिरा उन की क्या गति जो नित्य नारी के संग।। छोटी बडी कामनी सबहीं विष की बेल। बैरी मारै दाव से ये मारै हंस खेल।। नागिन के एक मुख नारी के मुख बीस। एक बार जो डस लिया तो मारै विश्वाबीस।। अरै कबीर पंथी तो परिवार के साथ रहते हैं तो फिर क्या उपरोक्त दोहे का अर्थ नहीं जानते।
@maganbhaisakariya6425
@maganbhaisakariya6425 10 ай бұрын
साहेब सद्गुरु कबीर जी ख़ुद नहीं कहते हैं कि मैं परमात्मा हुं मै भगवान हुं ओर-इसका जो दोहा है वो नारी की बात है वो ऐ मनुष्य नारी की बात नहीं की है ऐ माया नारी के संबंध में कहा है आप इसका ग़लत अर्थ लगाया है साहेब सद्गुरु कबीर जी जो सबको समान समझता है सबको समान समझते वो कभी नारी पुरुष का भेद नहीं करते थे सबके घट मैं परमात्मा का निवास है ऐसा कहते थे वो कभी नारी को पुरुष से नीचा नहीं दिखाते आपकी बड़ी ग़लती है सर,,आप साहेब कबीर जी का दोहा समझ नहीं पा रहे हैं सब,घट,मोरा साईयां सुनी सेज न कोई ऐ साहेब कबीर जी ने कहा है वो कभी नारी को जहरीली नहीं बताते नारी रतन की ख़ान ऐसा कहने वाला महापुरुष संत कभी नारी के बारे मैं ऐसा नहीं कहते आप बड़ी ग़लती मैं है कुछ विचार विवेक करके कहें साहेब सद्गुरु कबीर जी ने कभी ऐसा नहीं कहां है की मै भगवान परमात्मा हुं उसने तो ऐसा कहा है सबकी आत्मा भगवान परमात्मा है,, शरीर से नहीं आत्मा से चेतन जीव,सब भगवान परमात्मा है,, जन्म लेने वाले कोई शरीर धारण करने वाले कोई भगवान नहीं है लेकिन चेतन जीव, आत्मा भगवान परमात्मा है सब घट मोरा साईयां सुनी सेज न कोई,, साहेब सद्गुरु कबीर जी ने जो भी कुछ कहा है वो ऐ देह धारी नर नारी की बात है ही नहीं,, उसने,,मन: माया,के संबंधित उसको ध्यान में रखते हुए जो भी कुछ कहा है ऐ ईसके बारे में कहा गया है तत्व, इन्द्रियां मन, गौ नाम इन्द्रियों को उसके बारे मैं बात कही है आप सही अर्थ नही कर सकते हैं ग़लत अर्थ लगाते हैं सही सोच- विचार विवेक करके हौंश मैं रहे कर कहें तब असली अर्थ कर सकते हैं ग़लत समझते हैं
@mangilalbunkar1816
@mangilalbunkar1816 2 ай бұрын
यदि तुम असली आर्य समाजी हो तो डॉक्टर श्रीराम आर्य की पुस्तक शिवलिंग पूजा क्यों पढ़ कर सुनाओ।
@balidasmanikpuri4155
@balidasmanikpuri4155 10 ай бұрын
ओ अंकित तुम अपने आपको आचार्य लिखता है और सद्गुरू कबीर साहब को बार बार कबीरदास- कबीरदास बोलकर कबीर साहब का अपमान करने का अधिकार तुमको किसने दिया है ।तुम अपने आपको बहुत बड़ा विद्वान समझते हो। सद्गुरू कबीर कहते है मसि कागज छुआ नहीं कलम गहूं नहीं हाथ। तीन लोक की वार्ता कहे कबीर मुख बात।
@MhantishvardasSahibe
@MhantishvardasSahibe 10 ай бұрын
कबीर अवतारी नहीं है अथवा परमात्मा और वहां निम्न जाति के हैं तथा उन्होंने शादी भी की है कुछ लोग मानते हैं तो आप यह बताइए श्रीमान जी की उन्होंने किस जाति में शादी की थी उनके ससुराल ससुर का नाम बताइए गांव गांव और शहर भी बताइए कि कहां शादी की थी कब की थी। और यह भी बताएं कि परमात्मा कहां रहते हैं कैसे प्रकट होते हैं या नहीं
@PardeepSingh-xx2ev
@PardeepSingh-xx2ev 10 ай бұрын
Lekin unhon ne aik naye dukaan chalani thi aur usne chalaye bhi.
@santoshjigupta3978
@santoshjigupta3978 10 ай бұрын
महा मूर्ख पहले कबीर जी के सारे ग्रंथतो को पड़ो फिर बोलो परम संत गरीबददासजी का अमर ग्रन्थ पड़ो परम संत दर्मदास जी के ग्रंथ पड़ो फिर बोलो आज सभी लोग शिक्षित है सब जानते है अपनी दुकान बंद करो वेद पड़े पर भेद ना जाने पड़े पुराण आथरा पत्थर की पूजा करवाके भूले सिरजनहारा तीन गुणों की भक्ति में डूब पड़ा संसार कहे कबीर निज नाम बीन कैसे उतरे पार
@Cartoonvideos282
@Cartoonvideos282 10 ай бұрын
इस दुनिया में विद्वानों ने सबकुछ सही बनाया था, लेकिन हमलोग विदेशी बहुरुपियों के बहकावे में आकर परम्पराओं का रुप डिजाइन बदल रहे हैं। बचपन में मनोहर पोथी पढ़ रहे हैं।
@janaknimavat2988
@janaknimavat2988 10 ай бұрын
Tulsidadji ने सभी नारी यो के लिए नही कहा अमुक नारी ओ एसी होती है इसके बारे मे कहा है कुछ एसी नारी भी है की अपनी काम वासना के लिए अपने पति और संतान का खून कर शकती है ऐसी नारी ओ के बारे मे कहा है
@sushmapandeypandey9383
@sushmapandeypandey9383 10 ай бұрын
Kabirdas ke dohe kuchh nariyo ko chhd kar banki ke liye sshi hai
@awadheshkushwaha7691
@awadheshkushwaha7691 3 ай бұрын
किसी महापुरुष की.आलोचना करने से अच्छा होता आप. अपने अच्छाई को खोज े
@p.b.panchal8475
@p.b.panchal8475 10 ай бұрын
अनुमान और् अनुभव् से बताई गयी बात संपूर्ण सत्य नही हो सकती।सिर्फ अनुभूति ( Realization)से बताई गयी बात् सत्य हो सकती है।इस लिए पहले अनुभूति करो और सत्य बताओ।संका अच्छा है पर कुशंका अच्छा नहीं।भीतर गोता मारकर देखो तो पता चलेगा ।वो चीजे स्वयं अनुभूति की बात है।फिर मौन आजाएगा ।आग का अनुमान किया जा सकता है देखने से अनुभव होता है ,मात्र छूनेसे हि अनुभूति होती है।इस लिए भीतर की अनुभूति के बिना सब बकवास है। माहिती है।संपादित बाते सब सत्य नहीं हो सकती।
@p.b.panchal8475
@p.b.panchal8475 10 ай бұрын
Sorry.
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