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स. काहलों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूप गायब होने के बारे में सरना बंधुओं ने किस प्रकार से स्पष्टीकरण दिया कि यह क्लेरिकल गलती हुई है जबकि उन्होंने पहले दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी चुनावों में इस मामले को मुद्दे के रूप में उभारा था। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पूर्व जब जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ने यह कहा था कि यह क्लेरिकल गलती है तो उस समय सरना भाई नहीं माने। सरना बंधुओं को इस बात के लिए संगत से माफी मांगनी चाहिए कि उन्होंने हमेशा पंथ को गुमराह किया।
सरना बंधुओं द्वारा बादल पार्टी के साथ किए करार के चलते दिल्ली कमेटी सदस्यों में बहुत रोष है।
इस मौके पर स. कालका व स. काहलों ने सरना बंधुओं द्वारा कोई भी लाभ न लेने के दावे को रद्द करते हुए बताया कि कैसे संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के समय से लेकर बादल सरकार तक और फिर कांग्रेस सरकार द्वारा सरना बंधुओं ने निजी ठेके व लाभ लिए जिसके बदले में कांग्रेस के 1984 के कातिलों को निर्दोष करार देते रहे और स्टेजों से सम्मानित करते रहे।
उन्होंने सरना बंधुओं को सवाल करते हुए पूछा कि 2017 के चुनावों के बाद स. सुखदेव सिंह ढींडसा शिरोमणि अकाली दल से अलग हो गए पांच वर्ष से ज्यादा समय से अलग हैं इन पांच वर्षों में सरना बंधुओं ने यह बात क्यों नहीं की कि स. ढींडसा उस पार्टी में नहीं और अब मैं क्यों नहीं पार्टी में वापिस जाउं।
स. कालका व स. काहलों ने बताया कि कैसे इन दो परिवारों के लोग आपस में मिल कर संगत को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि स. हरविंदर सिंह सरना को अध्यक्ष बनाया जाएगा और जब यह बात सार्वजनिक हो गई तो स. सुखबीर सिंह बादल को मजबूरन स. परमजीत सिंह सरना को अध्यक्ष बनाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सरना बंधुओं को चाहिए कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के स्थान पर आकर अपने गुनाहों के लिए पंथ से माफी मांगे और जो भी भूल हुई है परमात्मा के समक्ष भूल सुधार के लिए अरदास करें।