🚩रामायण-चौपाई🚩 छत्रिय तनु धरि समर सकाना। कुल कलंकु तेहिं पावँर आना॥ कहउँ सुभाउ न कुलहि प्रसंसी। कालहु डरहिं न रन रघुबंसी॥ 👉भावार्थ-क्षत्रिय का शरीर धरकर जो युद्ध में डर गया, उस नीच ने अपने कुल पर कलंक लगा दिया। मैं स्वभाव से ही कहता हूँ, कुल की प्रशंसा करके नहीं, कि रघुवंशी (राजपूत) रण में काल से भी नहीं डरते। जय राजपूताना, जय माँ करणी