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सहज भाव से मन के उदगार करवा चौथ के प्रति चार पंक्तियां लिखी की है जिसमें दो चांद का वर्णन विशेषता से किया गया है एक चांद जो अपने मन के भावों में बसता है वह दूसरा चांद संपूर्ण सृष्टि को अपनी चांदनी से मन मुक्त करता है सुने आनंद ले ,धन्यवाद
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