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कुत्ते की कहानी
Chapter 7: कुत्ते की कहानी -7
Author: मुंशी प्रेमचंद
Narrator: निधी सहगल
Duration: 00:09:02
Sound: Sangeeta
Language: हिंदी
Novel/Short Stories: बाल कथा
Categories: Hindi, Hindi General Fiction, Hindi Kids & Young Adult
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कुत्ते की कहानी
मैं आज अपनी कथा सुनाने बैठा हूं। जिस तरह तुम कुत्तों को दुत्कार दिया करते हो, उसी भांति मेरी इस कथा को ठुकरा न देना। इसमें तुम्हें कितनी ही बातें मिलेंगी और अच्छी बातें जहां मिलें, तुरंत ले लेनी चाहिए। जब मेरा जन्म हुआ तो मेरी आंखें और कान बंद थे। इसलिए नहीं कह सकता कि बाजे-गाजे बजे या नहीं, गाना-बजाना हुआ या नहीं। मुझे तो कुछ सुनाई नहीं दिया। हां, जिस बिछावन पर मैं लेटा था, वह रुई की भांति नर्म था। सर्दी जरा भी न लगती थी। मैं दिल में समझ रहा था कि किसी बड़े घर में मेरा जन्म हुआ है, लेकिन जब आंखें खुलीं तो मैंने देखा कि एक भाड़ की राख में अपनी माता की छाती से चिपटा हुआ पड़ा हूं। हम चार भाई थे। तीन लाल थे। मैं काला था, उस पर सबसे छोटा और सबसे कमजोर।
मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880-8 अक्तूबर 1936) - हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिंदी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। प्रेमचंद निश्चित रूप से हिंदी के पहले प्रगतिशील लेखक कहे जा सकते हैं।उनकी मृत्यु के बाद उनकी कहानियाँ ‘मानसरोवर’ शीर्षक से ८ भागों में प्रकाशित हुई। - मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
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