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70 लाख साल पहले से इंसान के चलने के प्रमाण मिलते हैं। और कोई 40 हजार साल पहले इंसान ने जूते की आरम्भिक कृतियाँ बनाईं। आज के समय में आपके पाँव तक पहुँचने से पहले जूता काफ़ी लम्बा सफ़र तय करता है। कई तरह की प्रक्रियाओं और टेस्ट के बाद जूतों को डिज़ाइन किया जाता है। कम्पनियाँ और सरकारें भी इसकी रिसर्च में पैसा लगाती हैं। जूते के इस सफ़र के अनेक यात्रियों में से एक हैं अली यावर हुसैन। हार्वर्ड में एवोलूशनेरी बायोलॉजी के लेक्चरर हैं जो जूतों की इस दुनिया के जानकार हैं। कई सालों से इंसान के पैरों और जूतों के रिश्ते पर काम कर रहे हैं। जूतों की बनावट, अर्थशास्त्र, हमारी शारीरिक संरचना और समाज पर जूतों के प्रभाव जैसे बहुत से सवालों पर अली से बात हुई। हमें भी उन्होंने अपनी ट्रेडमिल पर दौड़ाया। अमरीका के बॉस्टन शहर की मैराथन मशहूर है, जिस समय हम बॉस्टन में थे उस समय भी यहाँ पर मैराथन हो रही थी। सोचा कि इसी बहाने आपको जूतों की इस दुनिया की सैर कराई जाए। इस कार्यक्रम को पूरा देखिएगा, ऐसी नायाब जानकारी आपको और कहीं नहीं मिलेगी।
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/ @ravishkumar.official
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