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Laghu Rudra (Maha Rudrabhishek Puja) at Haridwar
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भगवान शिव को दुखों का नाश करने वाला #देवता भी बताया गया है. लघु रूद्र पूजा का सामान्य सा अर्थ यही होता है कि शिव की ऐसी पूजा जो व्यक्ति के सभी दुखों का नाश कर देती है. आपको बता दें कि यजुर्वेद में कई बार इस शब्द का उल्लेख किया गया है. भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है ऐसा शास्त्रों में बताया गया है. #शिव के इस रूप की पूजा से इंसान के कई जन्मों के कर्म भी साफ हो जाते हैं.
#भगवान #शिव का एक नाम रुद्र भी है। रुद्र शब्द की महिमा का गुणगान धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यजुर्वेद में कई बार इस शब्द का उल्लेख हुआ है। रुद्राष्टाध्यायी को तो यजुर्वेद का अंग ही माना जाता है। रुद्र अर्थात रुत् और रुत् का अर्थ होता है दुखों को नष्ट करने वाला यानि जो दुखों को नष्ट करे वही रुद्र है अर्थात भगवान शिव क्योंकि वहीं समस्त जगत के दुखों का नाश कर जगत का कल्याण करते हैं।
शिव रुद्राष्टाध्यायी (रुद्री पाठ) - शास्त्रानुसार, जिसके बिना हर शिव पूजा अपूर्ण है …
रुद्रार्चन और #रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र #सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। #रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि-
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:
अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं। वैसे तो रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है परन्तु त्रियोदशी तिथि,प्रदोष काल और सोमवार को इसको करना परम कल्याण कारी है | श्रावण मास में किसी भी दिन किया गया रुद्राभिषेक अद्भुत व् शीघ्र फल प्रदान करने वाला होता है |
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