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मूलाधार चक्र की जानकारी और इसका बीज मंत्र (लं) और ध्यान
मूलाधार चक्र योग साधना का पहला चक्र है, इसका संबंध अचेतन मन से है जिसमें पिछले जन्म के कर्म और अनुभव संचित होते रहते हैं। कर्म के सिद्धांत के अनुसार यह चक्र प्राणी के भावी (आने) वाले जीवन के प्रारब्ध को निर्धारित करता है।
मानव शरीर के भीतर एक रहस्यमयी शक्ति निवास करती है जोकि गहरे आवरण में घूम रही है मनुष्य मनुष्य ने इस शक्ति का पता खोज निकाला यह शक्ति मूलाधार से लेकर जुड़ी हुई है सारे चक्र सहस्रार चक्र से जुड़े हुए हैं अगर साधक इसे जाग्रत कर ले तो उसका जीवन चमत्कारी रूप से बदलने लगता है, सातों चक्रों में मूलाधार चक्र एक दिव्य चक्र है।
मूलाधार चक्र हमें शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है और बेहद मजबूती प्रदान करता है।मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
कामवासना को नियंत्रित करता है।
हमारी भावनाओं को भी नियंत्रित करता है।
हमारे जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं।
व्यक्ती का जीवन संयमित हो जाता है।
अपने जीवन में कायाकल्प का मार्ग योग है, प्रतिदिन मूलाधार चक्र के इस बीज मंत्र लं(लम)का उच्चारण कम से कम 10 से 15 मिनट तक करना चाहिए जिससे हमारा जीवन साधक की तरह हो सके।
मेरे बोलने या मेरे द्वारा कहे गए शब्दों में यदि कोई त्रुटि रही हो तो दोस्तों मुझे माफ़ कीजिएगा 🙏🙇🏻♀️
धन्यवाद