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आज की इस वीडियो की कहानी शुरू होती है फिल्म फेयर के अवार्ड से जहां पर एक गाने के लिए आशा जी को अवार्ड देने की घोषणा होती है लेकिन यह घोषणा एक दो बार होती है आशा जी उस हाल में मौजूद नहीं थी लिहाजा इस जीत के म्यूजिक डायरेक्टर को यह अवार्ड दिया गया म्यूजिक डायरेक्टर थे इसलिए ओ पी नैयर साहब उन्होंने बड़े ही आदर से मंच पर जाकर उसे वोट को ग्रहण किया दर्शक दीर्घा में जितने भी लोग बैठे थे तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया उसके बाद ओ पी नैयर साहब के साथ एक गीतकार थे शमशुल हिबा बिहारी जो समारोह में ओपिनियन साहब के साथ गए थे और साथ निकले थे अवार्ड लेकर ओ पी नैयर साहब और शमशुल हुदा बिहारी गाड़ी में बैठकर घर जाने लगी गाड़ी सरपंच दौड़ने लगी और एक सुनसान जगह पर वह गाड़ी रूकती है ओ पी नैयर साहब वह फिल्म फेयर अवार्ड जो आशा जी को मिला था उसे मोड को अपनी गाड़ी के खिड़की से जोरदार तरीके से बाहर फेंकते हैं वह वार्ड लैंपोस्ट पर जाकर टकराकर चकनाचूर हो जाती है और उस चकनाचूर हुए अवार्ड कर देखकर ओ पी नैयर साहब कहते हैं इसी तरीके से उसने मेरा दिल तोड़ा अब वह मेरे लाइफ में नहीं है आउट ऑफ माय लाइफ
ओ पी नैयर साहब की जिंदगी में अंधेरा बढ़ने लगा और ओ पी नैयर साहब इसी तरीके से एक गुमनामी की जिंदगी गुजरते हुए 81 साल के उम्र में ओपी नय्यर साहब गुजर गए तारीख थी 28 जनवरी 2007
ओपी नैयर साहब की पूरी जर्नी आपने इस वीडियो में देखा इस जर्नी ने किसका दोष है और कौन निर्दोष है यह तय करने वाले हम तो नहीं होते जिस तरीके से उपर नैयर साहब के संगीत संगीत को समझा उसी तरीके से आप इस जर्नी को समझकर खुद ही तय कर लेंगे कौन दोषी था कौन निर्दोष इस वीडियो के माध्यम से हम किसी को डीपी नहीं करना चाहते दोनों हमारे लिए संगीत प्रेमियों के लिए लीजेंड है और लीजेंड रहेंगे वह उन दोनों का आपसी मामला था यहां पर हम तो उस स्वार्थी की तरह है जिसे सिर्फ संगीत से मतलब है अगर इन दोनों में वह रिश्ते बने रहते तो शायद संगीत प्रेमियों को कुछ और नायाब नगमे सुनने को मिलते हैं लेकिन किस्मत में जितना मिलना होता है उतना ही मिलता है हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में खुशनसीब है वो जिनको है मिली यह बहार जिंदगी में अब अपने दोस्त होस्ट विजय पांडे को दीजिए विदा अगले वीडियो में हम फिर बात करेंगे ऐसे ही किसी से के लिए नमस्कार धन्यवाद शुक्रिया
उनका अंतिम संस्कार थाने में ही किया गया और उनके अंतिम इच्छा का भी पूरा सम्मान किया गया उनके मृत शरीर उनकी पत्नी और बच्चों को अंतिम दर्शन के लिए भी इजाजत नहीं दी गई ओपी नैयर साहब जिस परिवार के साथ पेइंग गेस्ट के रुप में रहते थे उस परिवार में एक लड़की थी जिसे ओ पी नैयर साहब अपनी मुंह पर मुंह बोली बेटी कहते थे और उन्होंने अपने तमाम रॉयल्टी अपनी मुंह वाली बेटी के नाम कर दिया था
ओ पी नैयर साहब ने हमेशा अपनी शर्तों पर जिंदगी जी और जब तक जी अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया ना ही किसी के सामने झुके नहीं साहब तो इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन जाते-जाते भी ओ पी नैयर साहब ने संगीत प्रेमियों के तिजोरी में अपने संगीत का वो खजाना छोड़ गए जिस खजाने को पाकर संगीत प्रेमी आज भी अपने आप को मालामाल समझते हैं
इस रिश्ते में एक सबसे खास बात यह थी कि अपने इस रिश्ते को कभी भी इन दोनों ने दुनिया के सामने छुपाया नहीं अक्सर इन दोनों सार्वजनिक जगहों पर साथ देखा जाने लगा नतीजा यह हुआ कि हर गली हर मोहल्ले से होता हुआ ओपी नैयर साहब के घर पर यह बात पहुंच गई बहुत ही हंगामे हुए लेकिन इसके बावजूद भी ओ पी नैयर साहब आशा जी का दामन छोड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं थे ओपी नैयर साहब आशा जी के इश्क में अपने डूब चुके थे कि उन्होंने अपने पर्सनल लाइफ को भी प्रोफेशनल लाइफ में घुसा दिया अगर ओ पी नैयर साहब 8 गाने कंपोज करते तो उसमें से साथ जाने तो आशा जी के लिए होते थे हर वक्त उपन्यास आपके दिमाग में एक ही चीज चलता रहता है कि किस तरीके से आशा जी की गायकी को और तारा छा जाए और बेहतर बनाया जाए भारत ने इस लगातार कोशिश की वजह से ओपी नय्यर साहब जी के लिए वह मकान तैयार कर दिया कि आशा जी को एक वर्सेटाइल सिंगर के रूप में जाना जाने लगा अब आशा जी के पास कभी काम था आशा जी अपने काम में बहुत ही बहुत ही मशगूल हो गई लेकिन हर बॉल पर सचिन तेंदुलकर की तरह छक्का नहीं माना जा सकता सचिन तेंदुलकर कभी-कभी जीरो पर आउट भी हो जाते हैं ओपी नैयर साहब कब प्रोफेशनल जीवन थोड़ा डगमगा गया इसी बीच हिंदी सिनेमा संगीत में एक नए सूरज का उदय
जिसकी रोशनी बहुत ही तेज थी जमाना बदल रहा था संगीत का टेस्ट भी बदल रहा था और आर डी बर्मन का संगीत सिने प्रेमियों के संगीत के लिए बिल्कुल लग रहा था आर डी बर्मन और आशा की जोड़ी हिंदी सिनेमा के संगीत में ऐसे ऐसे नया नगमे जोड़ने लगे जिसको संगीत प्रेमियों में पहले कभी नहीं सुना था आप ऐसा समझ लीजिए कि जिस तरीके से ओ पी नैयर साहब और आशा जी के जुगलबंदी ने हिंदी सिनेमा के संगीत में एक जादू सा कर लिया था
आशा जी की मसरूफियत
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SPECIAL THANKS TO
SHISHIR KRISHAN SHARMA JI (BEETE HUE DIN KZbin CHANNEL )
/ @shishirkrishnasharma
DHEERAJ BHARDWAJ JEE (DRAMA SERIES INDIAN),
THANKS FOR WATCHIN GOLDEN MOMENTS WITH VIJAY PANDEY