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Once, Shrenik, the king of Magadh while riding the horse happened to turn up in the midst of a jungle. There he saw a young, handsome and divine ascetic, deep in penance. The ascetic was named Anathi muni.
The king asked the reason of renouncing the world to the monk. To which he replied, I am an orphan and therefore I have renounced the world. Hearing this the king said, “I will offer you shelter and take care of you, turn back to the world”
The Monk said, ओ, मगध देश के राजा क्या मौत भी तेरे हाथ है, मेरी क्या करेगा पालना, राजन तू ख़ुद ही अनाथ है।
Presenting you the story of Anathi Muni and his thought provoking conversations with Raja Shrenik that let him to become a Shravak.
Lyrics :
ओ मगध देश के राजन, क्या मौत भी तेरे हाथ है मेरी क्या करेगा पालना, राजन तू खुद ही अनाथ है।
माना कि तेरे हाथी हैं घोड़े, रंभा सी है पटरानियां लक्ष्मी का लाल है राज्य विशाल है, वैभव में बीते जवानियां पर एक सुनाऊं तुझे बात है, जरा सुनना तूं ध्यान के साथ है।
धन का भण्डार था, मेरे परिवार था, सेठ का लाल कहाता था, भाई बहिन थे, सब सुख चैन थे, पत्नी का प्यार भी पाता था, बीते आनंद में दिन रात है रहते मित्र भी हरदम साथ है ।
एक दिवस हुई वेदना भारी, रोग ने आकर घेर लिया, भाग दौड़ मच गई कतारे लग गई वेद्यों ने आ उपचार किया, कोई अंग दबाते दिन रात है, कोई देवो को जोड़ते हाथ है ।
धन भी धरा रहा है, घर भी भरा रहा, मिटा सका नहीं रोग कोई, हाजर हजार थे, पर सब बेकार थे, दुर खड़ा रहा आया जोई, हुई चला चली की अब बात है, छोड़ी आसा सभी ने एक साथ है ।
इतने में इक भावना जागी, प्रभु को मैने याद किया, रोग को निवार दे बिगड़ी सुधार दे साथ में प्रण ये धार लिया, छोडू सब जगत का साथ है, अब तूंही प्रभु मम नाथ है ।
बिजली सी चमकी, रोग पे दमकी, वेदना सारी भाग गई, उसी क्षण छोड़ा जग नेह तोड़ा आत्मा मेरी जाग गई, जरा समझ भेद भरी बात है, बोल कौन अनाथ सनाथ है।
ज्ञान ज्योति जागी, श्रेणिक सौभागी समकित व्रत आराध लिया, जीवों की दया धर धर्म दलाली कर गौत्र तीर्थंकर बांध लिया, मिले अनाथी जैसे गुरुनाथ है, "जीत" जागना तेरे हाथ है ।