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गुप्त नवरात्रि में करें ये साधना, जो चाहोगे वो मिलेगा
जय माता दी भक्जनो आशा करती हूँ की आप सभी कुशल मंगल होंगे और भगवान की कृपा आप सभी पर बनी रहे, इस विडिओ में हम आपको माघ गुप्त नवरात्री की जानकारी देँगे।
जैसा की हम जानते है की साल में ४ नवरात्री पड़ती है जिनमें से २ गुप्त और २ प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि पर सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाए जाते हैं।
जबकि गुप्त नवरात्री पूरी तरह से गुप्त साधना की जाती है गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक अनुष्ठान, शव साधना , श्मशान साधना, महाकाल साधना और गणिकाओं के अलावा भूत-पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, बैताल आदि की साधना होती है। यह साधना जितनी गोपनीय की जाती है उतनी ही सफल होती है इस नवरात्री का प्रचार प्रसार नहीं किया जाता है जिससे उन्हें दुर्लभ सिद्धियाँ और अन्य शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
आइए जानते हैं माघ गुप्त नवरात्रि की सही तिथि, कलश स्थापना मुहूर्त और कलश स्थापित करने के विधि ...
माघ गुप्त नवरात्रि शुरू हो रहे हैं 30 जनवरी 2025 से प्रारम्भ हो रही है जिसका समापन 7 फरवरी 2025 को होगा।
30 जनवरी को घटस्थापना के दो शुभ मुहूर्त
पहला मुहुर्त सुबह 9:25 से सुबह 10:46 तक है।
इसके बाद दोपहर 12:13 से दोपहर 12:56 तक कलश स्थापित करने का अभिजित मुहूर्त रहेगा।
३० जनवरी से आरम्भ
पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। पूजा घर को अच्छे से साफ करने के बाद देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें। ऐसे करें घट स्थापना |
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया करे ध्यान रहे की घड़ा कही से टूटा न हो
घट में पहले थोड़ी मिट्टी डालकर जौ डालें और परत दर परत मिट्टी और जौ डालते रहें।
मिट्टी भरने के बाद जल का छिड़काव करें।
घट स्थापना के लिए एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर घट रखें।
घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं और मौली बांधें।
तांबे के कलश में जल भरकर नाड़ा बांधें और उसे घट के ऊपर रखें।
कलश पर पत्ते रखें और उनके बीच लाल कपड़े में लपेटा नारियल रखें।
घट और कलश की पूजा करें, फल, मिठाई और प्रसाद अर्पित करें।
गणेश वंदना के बाद देवी-देवताओं का आह्वान करें और उन्हें कलश में विराजित मानकर पूजा करें।
कलश को टीका करें, अक्षत, फूल, माला, इत्र और नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद देवी भगवती के सामने अखंड ज्योति जलाई जाती है, जिसके बाद गणेश पूजा, वरुण देव और विष्णु देव की पूजा होती है । पूजा में शिव, सूर्य, चंद्रमा और नौ नवग्रहों की भी पूजा की अति है।
उसके बाद सुनहरे फीते की चुनरी और लाल सिंदूर चढ़ाया जाता है। इसके बाद पूजा सामग्री देवी के चरणों में अर्पित की जाती है। देवी दुर्गा को लाल फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है। और देवी को पंचामृत और नारियल का भोग लगाएं। और देवी माँ के मंत्रो का उच्चारण करे।
आईये अब हम जान लेते है की कौनसी तिथि को कौनसी देवी की पूजा की जाती है और उनके नाम और उनको कौनसा भोग लगाया जाता है है
गुप्त नवरात्री के पहले दिन 30 जनवरी , गुरुवार के दिन है इस दिन प्रतिपदा तिथि पड़ेगी जिसमें माँ कालि की साधना होगी माँ काली को भोग में गुड़, हलवा, खीर, और दूध से बनी मिठाइयां अर्पित करे
दूसरे दिन यानि की 31 जनवरी , शुक्रवार के दिन माँ तारा देवी की साधना की जाएगी माता को भोग में नारियल, सूखे मेवे और रेवड़ियों का भोग लगाया जाता है परन्तु माता को भोग लगाने से पहले बामा को भोजन दिया जाता है.
तीसरे दिन 1 फरवरी शनिवार को माँ त्रिपुर सुंदरी की साधना की जाती है मां त्रिपुर सुंदरी को भोग में दूध से बनी मिठाई या खीर चढ़ाई जाती है.
चौथा दिन 2 फरवरी , रविवार के दिन माँ भुवनेश्वरी की साधना की जाएगी जिको भोग में मावे का भोग लगाया जाता है
पांचवा दिन 3 फरवरी , सोमवार को मां छिन्नमस्ता और मां त्रिपुर भैरवी की साधना होगी जिन्हे लौंग, इलायची, बतासा, नारियल, मिठाई और फल का भोग लगाएं। और मां त्रिपुर भैरवी को फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
छटवे दिन 4 फरवरी , मंगलवार को माँ धूमावती की साधना होगी जिन्हे भोग में तीखे मिर्च-मसालों वाले नमकीन व्यंजन चढ़ाए जाते हैं.
सातवे दिन 5 फरवरी , बुधवार को माँ बगलामुखी की साधना की जाएगी माता को पीले रंग की कोइसा भी भी फल, और मिठाई भोग लगाया जाता है.
अथवा दिन 6 फरवरी , गुरुवार को माँ मातंगी जूठन का भोग लगाया जाता है।
नौवे दिन 7 फरवरी , शुक्रवार को मां कमला देवी की साधना की जाती है जिन्हे भोग में फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
इन साधनाओ को किसी सिद्ध तांत्रिक के अंतर्गत ही करना चाहिए क्योंकि इनमें भूल-चूक होने पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.
और इसी के साथ यह विडिओ यही सम्पत होता है इसी तरह की जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहे और हमारा चैनल सब्सक्राइब करे .