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नाटक में राजा अग्निमित्र के अनुप से जुडे प्रेम प्रसंग तथा क्रिडा विलास केन्द्र में है। अधेड राजा अपनी रानी धारिणी की नृत्यांगना सहचरी मालनिका पर मुग्ध हो जाता है। उन दोनो के बीच उपजे प्रेम में राजा की दूसरी पत्नी शावती बाधक बनती है। रानी धारिणी के आदेश पर मालनिका के कारागार में डाल दिया जाता है। तब राजा का मित्र विदूषक उसे योजनापूर्वक मुक्त करवा लेता है। अन्ततः मालनिका की पहचान विदर्भराज की बहन के रूप में होती है। इधर कुमार वायुमित्र की विजय से प्रसन्न रानी धारिणी अग्निमित्र और मालनिका की परिचय सूत्र में बांध देती है अैर नाटक अपने सुखान्त को प्राप्त करता है।
मंच पर
सूत्रधार - शुभम वर्मा
माषि - शुभम भासिया
बकलावालिका - गरिमा/हेमा भाटिया
कुमुदनी - प्रियक्षी नीमा
गणदास - सचिन वर्मा
हरदत - रविन्द्र सिंह
अग्निमित्र - शरद शर्मा
विदुषक - वीरेन्द्र
वसुमित्र - कुणाल उपाध्याय
मंत्री - पीयुष
प्रतिहारी - पवन मंगरोलिया
धारिणी - संध्या कैथवास
कौशिकी - मोनिका शर्मा
मालविका - डिम्पल जोशी
इरावती - हेमा भाटिया/ गरिमा
निपुणिका - संचिता
उर्वशी - संचिता
पूरूवा - कुणाल उपाध्याय
सैनिक - दीप तिवारी/ उत्तम चैधरी
मंच से परे
मंच प्रबन्धक - वीरेन्द्र नथानियल
प्रस्तुति संयोजन - दीपक श्रावसा
मंच निर्माण - अजय गौस्वामी/शुभम वर्मा
मंच सामग्री - शुभम/पवन
वेशभूषा - सुधा शर्मा/ कामना भट्ट
आलोकन - अजय गौस्वामी
हारमोनियम - जगदीश उपाध्याय
तालवाद्य - विशाल सिंह कुशवाह
स्वर - मिलिन्द करकरे
रूपसज्जा पुरूषपात्र - पंकज आचार्य