ये सँसार ...... ये संसार साहित्य संगीत श्वर संगत सतसंग और सृष्टी के सतरंगी शरबती रंग से ही रंगीन है वर्ना यूं देखे तो इस फानी दूनिया में रखा ही क्या है? इसलिऐ संगीत व साहित्य को लौकीक के साथ अलौकिक ऐसे आध्यात्मिक व धार्मिक प्रसंगो व प्रक्रियाओं के साथ भी जोडा गया है ताकी उसमें इँसान का जीवन रस बना रहे । वर्ना धार्मिक क्रियाऐं भी शुष्क लगने लगती है!! इसलिऐ हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई और तो और वैराग्यमय जैन धर्म में भी संगीत साहीत्य और नृत्य द्वारा भग्ती साधना भावना व धर्म प्रभावना होते देखी जा सकती है । भारत में लौकीक व्यवहार जैसे शादी सगाई गोद भराई जन्म मूंडन नामकरण यग्योपवीत सँस्कारआदि अवसरों या होली धूलेटी गणगौर व अन्य तीज त्यौहारों में गीत संगीत व नृत्य द्वारा लोकरंजन होता है और उसका बडा महत्व भी होता है!! और तो और किसी के अवसान पर रूदन करते हूऐ महिलाओं द्वारा जो विलाप किये जाते है उन शब्दों को कभी ध्यान से सुने तो उसमें भी आलाप और भरपुर गीत साहीत्यसभर शब्द व उनके अर्थ छुपे हुऐ रहते है !! संगीत व साहीत्य अपने आप में ऐक अनुपम साधना है साधन है जीवन का अभीन्न अंग है वे भाग्यवान है जिनके ये सँग है ! वर्ना तो हम सब को मालूम ही है कि ये दुनिया कितनी बदरंग है ! इस दुनीया में जीना हो तो अन्तरमन में सरलता और स्वभाव में तरलता बनाये सामने वाले के अनुसार ढलने का प्रयास करें और प्यार से अपने पँसद के लोगों से गुफ्तगू करें मिलते रहे हो सके तो राहो में फूल बिछाऐं काँटो से परहेज करें और महोब्बत बाँटते रहे!जो आपको न भाये उनसे दु:श्मनी नहीं रखें बल्की असहज महसूस करो तो थोडी दूरी बनाऐं रखें!! शेष तो यह संसार मायाजाल है जिसमें कई समस्याओं का सामना करना पडता है!!मसलन: काम क्रोध मोह मान माया लोभ राग द्वेष क्लेश आदि कषाय व नाना प्रकार के रोग -शोक आदि से भरी पडी है ये इँसानी जिन्दगीयाँ !! देखे तो दिल दहल ऊठे दारूण दीनता व अभाव ग्रस्त गृहस्थियाँ!! आदमी के ही आगे आदमी की पसरती हूई खाली हथेलियाँ!! नत मस्तक हो के खडा है कहीं इँसान के आगे इँसान फैलाके अपनी झोलीयाँ! कहीं चल रहे भिषण युद्द और कहीं चल रही है गोलीयाँ ! धर्म क्षैत्र देख कर भी कोई द्वन्द्व में पड जाये वहाँ भावनाऐं नही चलती चलती है केवल बोलीयाँ!!! कहीं बहन दो वक्त की रोटी के झुगाड में है तो भाई करता है अटखेलियाँ! माँ बाप करते है महेनत जोडते पाई पाई और बेटा मनाता रंगरेलीयाँ ! जन्मते ही छूप करा दी जाती है कई मासूम बेटीयों को और न सुन पाती है लोरियाँ !! बहुत बार सोचने पर मजबूर करती है मुझे जीवन की सारी ये अनुत्तर पहेलीयाँ !! Cre by Ashok doshi 7331109258