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Ma Narmada Bhajan 2021
माँ पतितपावनी हे माँ जगतारिणी नर्मदे नर्मदे
माँ पतितपावनी,
तेरे बगैर ना सजदे, किये कभी मैंने,
बसा के दिल में तुझे, की है बंदगी मैंने,
वो और होंगे जिन्हे, मौत आ गई होगी,
मेरी माँ से पाई है, जिंदगी मैंने,
मेरी रेवा से पाई है, जिंदगी मैंने।
माँ पतितपावनी, हे माँ जगतारिणी,
माँ मगरवाहिनी, नर्मदे नर्मदे नर्मदे,
माँ नमो नर्मदे नर्मदे।।
माँ तू ही तू माये तू ही तू।
कोई बस्ती न थी, और नगर भी न था,
कोई घर भी न था, और मंदिर न था,
लाखो बरसो था पहले, समंदर यहाँ,
थी प्रलयकाल में, थी प्रलयकाल में,
भी मगर नर्मदे, नर्मदे नर्मदे नर्मदे,
माँ नमो नर्मदे नर्मदे।।
पाप कट जाते है एक स्नान से,
मुक्ति मिल जाती है, तेरे गुणगान से,
लोग होते तपी माँ,तेरे ध्यान से,
तू है भवतारिणी, तू है भवतारिणी,
रेवा माँ नर्मदे, नर्मदे नर्मदे नर्मदे,
माँ नमो नर्मदे नर्मदे।।
तन को शीतल करे, मन को निर्मल करे,
दीन दुखियों के माँ,रेवा संकट हरे,
जिनकी है गोद खाली, माँ गोदी भरे,
है चमत्कारी माँ, है चमत्कारी माँ,
माँ मेरी नर्मदे, नर्मदे नर्मदे नर्मदे,
माँ नमो नर्मदे नर्मदे।।
मां पतितपावनी, हे माँ जगतारिणी,
माँ मगरवाहिनी,नर्मदे नर्मदे नर्मदे,
माँ नमो नर्मदे नर्मदे।।
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