जब सरकारी संस्थाओं में छुट्टी हो जाए तो दुकान वाली यूनिवर्सिटी में naukari करो बच्चो को अच्छा अच्छा बताओ, इसी बात की सैलरी मिलती है. कमाल है DU से जुड़ने की बात होनी चाहिए थी परंतु यहाँ पढ़ाई की दुकानों का collaboration हो रहा है. आज कल का धंधा है साहब समाज को क्या फर्क़ पड़ता है.