Panchalas as Brahmin पाँचाल ब्राह्मण परंपरा | Ramsharan Yuyutsu | The Quest

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Пікірлер
@SourabhPanchal-ys8wi
@SourabhPanchal-ys8wi 9 ай бұрын
Thanks sir apne panchal samaj ( vishvakarma brahman ) ko jagrukta milegi 🙏🙏🙏Jay shree vishvakarma
@sandeepverma-yg7wl
@sandeepverma-yg7wl Ай бұрын
Kya asli Brahmin apko Brahmin mante hain?
@GoyarSaab
@GoyarSaab 11 ай бұрын
Valmiki samaj ki traf se Panchal samaj ko parnaam🙏🙏
@TheQuestURL
@TheQuestURL 11 ай бұрын
🌹🌹🙏
@NaveenKumar-bs6fj
@NaveenKumar-bs6fj 9 ай бұрын
प्रणाम भाई जी
@raviduttdhiman6493
@raviduttdhiman6493 4 ай бұрын
भारत में इस्लामी शासन काल से पहले कोई भी मैला उठाने का काम नही करता था सभी लोग अपने-अपने घरों की सफाई खुद ही करते थे लेकिन मुस्लिम शासकों ने जिन हिन्दुओं ने इस्लामी गुलामी कबुल नही की उनको भंगी बना दिया था ये राजपूत थे
@rakeshburadkar9914
@rakeshburadkar9914 3 ай бұрын
वाल्मिकी समाज को शत शत प्रणाम
@shubhamchandane0415
@shubhamchandane0415 11 ай бұрын
मला गर्व आहे मी पांचाळ सुतार (हिंदू ब्राह्मण सुतार) आहे..... धन्यवाद ❤️🥀 विश्वकर्मा समाजाचा इतिहास समोर आणल्याबद्दल 🥀☺️🙏
@omduttpanchal1248
@omduttpanchal1248 Жыл бұрын
पांचाल साहिब जी इतनी गहराई तक बताने के लिए आपका धन्यवाद ओम दत्त पांचाल घरौंदा
@nalinpanchal7918
@nalinpanchal7918 11 ай бұрын
Thankyou
@BawraPradeep
@BawraPradeep 3 жыл бұрын
श्री रामशरण युयुत्सु जी का देहवासन आज 16/5/2021 को हो गया है। इतिहासजगत कि अपूर्णीय क्षति। ॐ शांति।
@hankwilliams7717
@hankwilliams7717 3 жыл бұрын
Om Shanti 🙏
@satnarayansharma5756
@satnarayansharma5756 3 жыл бұрын
Om santi santi santi
@user-rm6jp7st5q
@user-rm6jp7st5q 3 жыл бұрын
om shanti
@sureshvishwakarma7051
@sureshvishwakarma7051 3 жыл бұрын
Om shanti
@जयहिन्दवन्देमातरम्-फ2ठ
@जयहिन्दवन्देमातरम्-फ2ठ 3 жыл бұрын
😭😭😭🙏
@raviduttshastri3284
@raviduttshastri3284 3 жыл бұрын
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार, अंगिरा पुत्र पत्रिका के सम्पादक श्री राम शरण युयुत्सु जी के निधन पर अखिल भारतीय पांचाल ब्राह्मण मंच अपनी शोक संवेदना व्यक्त करता है तथा दिवंगत आत्मा को शांति हेतु हम प्रभु विश्वकर्मा जी से प्रार्थना करते हैं ।आपके निधन से समाज को बहुत क्षति पहुंची है। शोकाकुल पं.रविदत्त शास्त्री पांचाल राष्ट्रीय संयोजक अ भा पांचाल ब्राह्मण मंच
@vichitrajaspal7628
@vichitrajaspal7628 3 жыл бұрын
Namste ji Apni kuldevi kon h ji Vill Raichandwala Jind
@R_Solanki97
@R_Solanki97 Жыл бұрын
Namaste sir inki yh dono book kaha se mil sakti hai?
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
​@@R_Solanki97ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@R_Solanki97
@R_Solanki97 11 ай бұрын
@@the_invincible-yh3uf dhanyawad sir main in Book ko jarur padunga!
@nksharma4514
@nksharma4514 Жыл бұрын
सही कथन है ------यद्यपि मैं वंश परम्परा से सनाढ्य ब्राह्मण हूं लेकिन आप के कथन में मुझे कोई त्रुटि नहीं लगती है 🌹🇮🇳🕉️
@rakeshburadkar9914
@rakeshburadkar9914 Жыл бұрын
सर्व श्रेष्ठ उच्च समाज पांचाल विश्वकर्मा सुतार लोहार ताम्रकार शिल्पकार दैवज्ञ ब्राह्मण समाज
@amitraghuwanshi4895
@amitraghuwanshi4895 Жыл бұрын
Bhai lohar hu...Dhiman surname likhte hai...or schedule caste me hu...
@amitraghuwanshi4895
@amitraghuwanshi4895 Жыл бұрын
Caste discrimination hota hai aaj bhi....aaj bhi Himachal me
@Pratap_Pandit_01
@Pratap_Pandit_01 Жыл бұрын
​@@amitraghuwanshi4895 mp me Lohar general me h
@sunitasharma07.02
@sunitasharma07.02 Жыл бұрын
Asa kyu brahmins hai to hmlg ko haq kyu ni mila
@SatyamSharma-tz7sv
@SatyamSharma-tz7sv Жыл бұрын
​@@amitraghuwanshi4895aap Galat Bol rahe hai, adiwasi Lohara Janjati ya Pahadi lohara hi SC/ST me ate hai vishwakarma vanshi Dhiman bramhin obc me hai
@rosyvohra3804
@rosyvohra3804 3 жыл бұрын
Shri Ramsharan Yuyutsu is a pure soul. He is an inspiration to many.
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️
@PrinceVishwakarma-vl5zy
@PrinceVishwakarma-vl5zy 6 ай бұрын
And also carpenter
@nilkanth7048
@nilkanth7048 19 күн бұрын
Dhanyawad maharajaji.Panchal samaj ka itihas aapne Bahut hi acchi tarike se bitaya...
@shreyashkumar5940
@shreyashkumar5940 9 ай бұрын
Hum Uttarakhand ke Shilpakar Samaj se hain.. Humein "Arya Shilpakar Samaj" bhi kaha jaata hai uttrakhand main.. Bada Proud hua..humare bhai dusre States main itna acha kar rahe hain..❤❤
@rohitsuri5982
@rohitsuri5982 3 жыл бұрын
DADDU Sahib ji PARNAM Thanks FOR SHARING.
@desishayar4538
@desishayar4538 Жыл бұрын
Panchal Samaj Ko Itni Gahraai tak Samjaane ke liye Guruvar apke Charno mein Saadar Parnam
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@sparijat
@sparijat 3 жыл бұрын
Ellora caves have a Devine and glorious Vishwakarma temple, which is the inspiration of many world famous buildings.
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️
@sksharma8646
@sksharma8646 11 ай бұрын
आप पांचाल ब्राह्मणों की साहित्य को समाचारपत्रो पत्रिकाओं में प्रकाशित करवा दिया करो जिससे जन मानस तक पहुंच सके। पं०सुशील कुमार शर्मा ( वैदिक ब्राह्मण)।
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@nalinpanchal7918
@nalinpanchal7918 Жыл бұрын
विश्व एवम् संपूर्ण सृष्टि के रचयिता विश्वकर्मा जी ने ब्रह्मा,विष्णू ओर महेश ये तीन महादेवो और मां गायत्री, मां लक्ष्मी ओर मां ऊमा गौरी को उत्पन किया। ओर पृथ्वी लोक पर त्रिलोक वासी पंचमुखी त्रिभुवन विश्वकर्मा के पांच स्वरुप,पांच दिशा से पांच पुत्रो को उत्पन किया प्रथम पुत्र मनु महाराज प्रथम सवरूप, १,विराट विश्वकर्मा :- पूर्वादिशा से सागन संकल्प जटाधारि ऋषि मनु(सागन ,घन पदार्थ) २. धर्मावंशी विश्वकर्मा:- दक्षिण दिशा से सनातन(धर्म)) संकल्प जटाधारी ऋषि मय ३.अंगिरा वंशी विश्वकर्मा:- पश्चिमदिशा से अहंभुन संकल्प जटाधारी ऋषि त्वष्टा ४. सुंधावा वंशी विश्वकर्मा:-उत्तरमुख से प्रयत्न (कार्य) संकल्प जटाधारी ऋषि शिल्पी ५. भृगुवंशी विश्वकर्मा :-ईशान दिशा के मध्यमुख से सुपर्ण(आकार) संकल्प जटाधारी ऋषि देवज्ञ है। मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी ओर देवज्ञ पांच सृष्टि के प्रथम सूत्रधार है। और ब्रह्मा जी ने २५,२५ गोत्र की ओर प्राणी मात्र की पृथ्वी लोक पर उत्पत्ति की। एवम् वेद,संस्कृत भाषा भी सिखाई।
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@nalinpanchal7918
@nalinpanchal7918 11 ай бұрын
@@the_invincible-yh3uf खूब सुंदर ✅ जानकारी के लिए धन्यवाद
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
@@nalinpanchal7918 welcome brother 🙏
@desishayar4538
@desishayar4538 2 ай бұрын
श्री रामशरण युयुत्सु जी ने बहुत ही बारिकी से पांचाल समाज के बारे में बताया है आपके चरणों में मेरा सादर परनाम
@sandeeppanchal479
@sandeeppanchal479 2 жыл бұрын
Right ji bilkul sahi kaha aapne koti koti naman
@रविपांचालशास्त्री
@रविपांचालशास्त्री 3 жыл бұрын
अति उत्तम जी आपके द्वारा दी गई जानकारी अमूल्य है
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@CEarthling
@CEarthling 2 жыл бұрын
I am a Vishwakarma. We are one of Panchal Brahmin.
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@chhotucreatorgkstudy8484
@chhotucreatorgkstudy8484 3 жыл бұрын
#ॐ_नमो_विश्वकर्मणे 🙏🙏🙏🙏 जय विश्वब्राह्मण समाज
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️
@pandit_aman_sharma2625
@pandit_aman_sharma2625 2 жыл бұрын
Right bro vishwakarma brahman he real brahman hai
@TheOnlyoneCARRYMINATI
@TheOnlyoneCARRYMINATI Жыл бұрын
Vishwakarma brahman samaj -- panchal samaj zindabad
@amitsharmabrahmin9958
@amitsharmabrahmin9958 3 жыл бұрын
WAH GURU JI PRANAM SHAB
@diwakar8319
@diwakar8319 Жыл бұрын
Naman hai app jaise vidhvaan ko. Mera nani Nana ka Ghar bhi patiala road par hai. Late partap Jangra(SHO) mere Nana Thai. Jai vishwakarma ji, jai shreeraam
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@officialTeddysReaction
@officialTeddysReaction Жыл бұрын
Great baba ji - jai vishwakarma ji ki
@vhsharma4922
@vhsharma4922 3 жыл бұрын
अनमोल धरोहर ये हमारी आप सभी के पास आने वाली पीढ़ियां समझ नहीं पाएगी आप सभी के बिना ॐ
@propertieskanpur
@propertieskanpur 2 жыл бұрын
पहले तुम तो समझो शर्मा लगाए घूम रहे हो |
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
​@@propertieskanpurब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@BawraPradeep
@BawraPradeep 3 жыл бұрын
Shri Ramsharan Yuyutsu is an inspiration.🙏 Om namo vishvakarmany. Jay Angira. Jay Maa Tripura🙏.
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@benchelalsharma3301
@benchelalsharma3301 9 ай бұрын
Prnamsirji..chodiyaikasganjup
@professor_atul_sharma
@professor_atul_sharma Жыл бұрын
Panchal janm jat se bramhan hai viswakarma samaj brahman hai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 yahi saty hai
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@panchalhiren3934
@panchalhiren3934 2 жыл бұрын
विश्वकर्मा प्रभु रामशरण यूयूत्सु जी की आत्मा को शान्ति दे.. जय विश्वकर्मा भगवान
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️
@satyanarayantilawat3327
@satyanarayantilawat3327 2 жыл бұрын
@@B9Blogger om shanti
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
​@@satyanarayantilawat3327ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@kabirsingh7061
@kabirsingh7061 2 жыл бұрын
विश्वकर्मा के पाचों भाईयों से निवेदन है कि आप सभी एक दुसरे से वैवाहिक संबंध स्थापित करें 1. शिक्षित बने 2. एकजुट रहें 3. ऊँच नीच के भावना से दुर रहें
@rajinderpalnayyar6270
@rajinderpalnayyar6270 2 жыл бұрын
bramn se dur rhe
@vikastiwari1866
@vikastiwari1866 Жыл бұрын
Aap log apne samaj ko ikjut karo jab kahi problem ho to waha support sare brahman sanghatan ik ho Jaye chahe vo bhumihar brahamn chitpawan brahman mohiyal brahman,karmkand brahmin ho,giri brahmin goswami brahmin panchal brahman,jangid brahmin vishwakarma ye sab sub sanghatan ik ho jaye turant sab bhagdari kare waha yahi rule politics me bhi kare brahman koi bhi ho but but usko support mare tum log sare obc ki taraf se support karawao obc ko lead karo tum log
@As56475yjrsg
@As56475yjrsg 4 ай бұрын
Yes bro ❤🎉 Jai vishwakarma , jai parshuram​@@vikastiwari1866
@raviduttdhiman6493
@raviduttdhiman6493 4 ай бұрын
जब तक पांचाल जागिड़ धीमान अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानते रहेंगे, तब तक आपस में संबंध बनाना मुश्किल है
@vikasharma0007
@vikasharma0007 Жыл бұрын
Jai vishwakarma samaaj....hmara vishwakarma samaaj sarvsrestha brahman h tha or rhega......chaahe koi kitni hi koshish krle hme dbane ki.....hm ooche h sbse ooche h....Jai_baba_vishwakarma
@prasadachary6137
@prasadachary6137 3 ай бұрын
@@vikasharma0007 kabhi apne. Vishwa krma ki. Samaj hi. Halat dekhlo Jake. Upanayan. Sanskar chod rehehe. Boltehen. Eska koi fayada nehi bolke. Sudra ko bina. Jane unko vi apneme Mila dete hen 😑😑😑 srvasherst. Ya. Sraap he ea. 😐😐😐
@semikvishwakarma1589
@semikvishwakarma1589 3 жыл бұрын
Vishwakarma clans are the real Brahmans by their birth and action according to the Vedas of Sanatana Dharma.
@abhaytiwari9316
@abhaytiwari9316 3 жыл бұрын
सारे हिन्दू एक ही कुल के हैं,
@semikvishwakarma1589
@semikvishwakarma1589 3 жыл бұрын
@@abhaytiwari9316 No, all the Hindus are not the same clan. Because some of them are the outsiders and other tribes whose forefathers adopted Sanatana Dharma or Vaidik Dharma, and they became the Hindus, but they are not pure Hindus by their birth.
@sureshvishwakarma7051
@sureshvishwakarma7051 3 жыл бұрын
But brother our community people has left Brahmin work
@semikvishwakarma1589
@semikvishwakarma1589 3 жыл бұрын
@@sureshvishwakarma7051 yes, do you know why? Because of many outsiders attacked in India (Bharata) like Turks, Mughals, Afghans, Britishers, etc. in years ago or more than 1000 years. Thanks!
@sureshvishwakarma7051
@sureshvishwakarma7051 3 жыл бұрын
@@semikvishwakarma1589 but y others Brahmins didn't left their Brahmin practice apart from our ancestors arseya Brahmin who were rigid on their Dharm they still have their Brahmin status with them
@Sudhir-K
@Sudhir-K 2 жыл бұрын
ज्ञानवर्दक बात है बहुत बहुत धन्यवाद जी
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@roshanvishw0145
@roshanvishw0145 11 ай бұрын
Sabhi vishwakrma bhaiyoo se nibedan ......🙏🙏🙏 Hamari samaj or sastro ke mitne ki sabse mitne ki sabse badi wajah hain logo ke vichar aaj ke vishwakrma kuch jo serf khud ko brahmin bolna chahte h kuch vo bhi nhi bolna chahte Pr koe bhi na toh sikha rakhna chahta h na sastra padna jo hame padne bola h na asthang yug krna na sathkarm krna na yagyopabit dharn krna Toh kis cheej ke brahmin ? Pahle jo sastra main vidhan hamare liye likha vo toh suru kro Brahmin kahne se koe brahmin nhi hota pura rule follow kro or samaj badao ...🙏
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@kartiklokhandwala2231
@kartiklokhandwala2231 Жыл бұрын
Best sir
@AjitVishwakarmaji
@AjitVishwakarmaji Жыл бұрын
Jay shree Vishwakarma ji Maharaj 🪓🪓⚒️🤗🤗 🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡🟡💛💛🟡💛🟡💛💛🟡🟡💛💛🟡🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛💛💛🟡💛🟡💛🟡🟡💛💛🟡💛🟡💛🟡💛💛🟡💛🟡🟡💛🟡💛🟡💛💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛💛💛🟡🟡💛🟡💛🟡🟡💛🟡🟡💛🟡🟡💛🟡💛💛🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡🟡💛🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡🟡🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛🟡💛
@siddhivaidya667
@siddhivaidya667 3 жыл бұрын
Om shanti🌺
@mehendibybhavvanatrivedi8302
@mehendibybhavvanatrivedi8302 3 жыл бұрын
Om Shanti🙏
@HaridevSharma-rc1jv
@HaridevSharma-rc1jv 8 ай бұрын
सिर पै चोटी गले जनेऊ ब्राह्मण धारण करते हैं गुरु मंत्र गायत्री जपते पंच यज्ञ नित्य करते हैं विश्व कर्मा भगवान् हमारे मन मन्दिर में वसते है शिल्प कला विख्यात जगत में आर्य पुत्र कहलाते हैं।।
@navneetji3793
@navneetji3793 2 жыл бұрын
Aap bhut bde gyani ho Esme koi sak nhi 🙏......pr Mera manna h ki Bachho ko bdeya siksha do Mera to Etna manna h jb bachha ek achha IAS ,IPS, doctor etc bnega tb dunia apne aap salam thokegi..,.Jai hind jai bharat 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
@karmpanchal1239
@karmpanchal1239 3 жыл бұрын
Jai vishwakarma maharaj ki 🙏🏻🙏🏻
@himanshupanchal3406
@himanshupanchal3406 3 жыл бұрын
Om shanti shanti shanti 🙏🙏🙏
@aishwaryakale5415
@aishwaryakale5415 4 ай бұрын
SHRI PANCHAL SAMAJ KE BARE ME JO BHI BOOKS HAI KOI UNKE NAAM JANTA HAI TOH KRIPAYA MUJHE ISS COMMENT PR BOOK KE NAAM MENTION KARE. I NEED TO DO SOME REEARCH ON THE THE PANCHAL COMMUNITY OF MAHARASHTRA.THANK YOU. JAI SHREE VISHWAKARMA
@JagtarSingh-rl4tm
@JagtarSingh-rl4tm 3 жыл бұрын
Baba g ki bat bilkul satya h jab se karamkand chalu hua vishawbrahma vishawkarma ban ge aur ak jati barahman ban gi ,,aur jatia kam sikhne lagi to yh kam neech hogya ,,lekin kool se ham aaj v saresht h ,,,jai vishawbrahman samaj
@TheQuestURL
@TheQuestURL 3 жыл бұрын
Right you are
@happy_hppy_52
@happy_hppy_52 Жыл бұрын
Jai dada parsuram 🚩🙏 Jai baba vishwakarma 🚩🙏
@rajeshpanchal6058
@rajeshpanchal6058 6 ай бұрын
आप के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम हमें पांचाल समाज के बारे में बताया 🙏🙏🙏 राजेश पांचाल अचलपुरा
@RajuRaju-u4p8q
@RajuRaju-u4p8q 6 ай бұрын
Jankari ke liye dhanyawaad Jai vishvakarma samaj
@nathuramojha1284
@nathuramojha1284 Жыл бұрын
सम्माननीय इनकी पुस्तकें कैसे प्राप्त होसकेगी।पूरा पता बताएं।
@sanjeevsharma8021
@sanjeevsharma8021 11 ай бұрын
Apke prayas to naman karta hun..🙏🙏
@dr.sureshchandrasharma
@dr.sureshchandrasharma 6 ай бұрын
जानकारी के लिये आपको सादर प्रणाम।
@omsharma6228
@omsharma6228 7 ай бұрын
Vishwakarma vanshaj are real brahman. JAY VISHWAKARMA, JAY VIGYAN
@chitranjanlalsharma3160
@chitranjanlalsharma3160 Ай бұрын
Jai shree vishwakarma je ke🙏
@Hindustan24tak
@Hindustan24tak Жыл бұрын
Jai Ho guru ji
@rajeshpanchal9133
@rajeshpanchal9133 2 жыл бұрын
Thank you tau
@fast2furious125
@fast2furious125 3 жыл бұрын
कोटि कोटि नमन ॐ शांति शांति
@B9Blogger
@B9Blogger 2 жыл бұрын
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
@mr.a.k.p6362
@mr.a.k.p6362 2 жыл бұрын
Jay ho
@supratechvisheshclinic1959
@supratechvisheshclinic1959 2 жыл бұрын
VISHWKARMA DADA KI JAY PARAM PITA PARMATMAKI JAY
@KrishanKumar-tv3rg
@KrishanKumar-tv3rg 2 жыл бұрын
Aapane bilkul sahi baat kahi hai
@kathiravanshankar4656
@kathiravanshankar4656 3 жыл бұрын
Om Namo vishwakarmane 🙏🌷
@maheshvishwakarma5519
@maheshvishwakarma5519 4 ай бұрын
Gyan Dene k ley. Dhanyabad
@Tushar_288
@Tushar_288 3 жыл бұрын
Dada ji parnnam
@vikasharma0007
@vikasharma0007 Жыл бұрын
Hmare samaj me shiksha ki bhot kami h.....jis din sbhi vishwakarma bhaiyo ko purn gyan ho jaega n....to kisi ke baap me dm nahi ki koi inhe rok le....Jai_Baba_Vishwakarma jai dada Parashuram
@prasadachary6137
@prasadachary6137 3 ай бұрын
Shiksa ki akalki Kami he. Joki apne kr. Sudroki. Farak. Nehi samj parehen 😑😑😑😡😡😡. Etana hi. Nehi. Upanayan sans kar chod rehe hen kuch. Chalak. Admi 😑.
@HR_vlogs_FBD
@HR_vlogs_FBD 3 жыл бұрын
Jai shri dada vishwakarma baba ji Aap ko namashkar 😊😊
@godlink4365
@godlink4365 Ай бұрын
सन्मानीय जी के सारे पुस्तकं कहा पे मिलेंगे?? 🙏
@cheshtapanchal
@cheshtapanchal Жыл бұрын
From where we can buy these books?
@ParasharJyotishCenter92
@ParasharJyotishCenter92 Жыл бұрын
इस समाज को शिल्पी ब्राह्मण के नाम से भी जाना जाता है
@ShivKumar-uh4jb
@ShivKumar-uh4jb 2 жыл бұрын
आदरणीय जी की पुस्तकें कहां मिलेगी
@harshpanchal8118
@harshpanchal8118 2 жыл бұрын
where can i buy ' Panchal samaj ki vibutiyan' book?
@the_invincible-yh3uf
@the_invincible-yh3uf 11 ай бұрын
ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है। ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है। ‘ब्राह्मणवंशेतिवृत्तम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक जिसके लेखक वेदरत्न पं.परशुराम शास्त्री विद्यासागर थे। जिसमें मुख्य ब्राह्मणों का प्राचीन एवं अर्वाचीन इतिहास का उल्लेख है। इसमें भी विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को मूलरूप से ब्राह्मण माना गया है। आप लोग इसमें जांगिड़ ब्राह्मण (विश्वकर्मा ब्राह्मण) का विस्तृत परीचय पृष्ठ 116 से 130 में हैं इसे पढ़ सकते हैं। इसी प्रसिद्ध पुस्तक में पृष्ठ 182 से 186 के बीच शिल्प कर्म करने वाले मत्स्य पुराण के अनुसार 18 शिल्पकर्म के उपदेशक ऋषि ब्राह्मणों का भी उल्लेख है। त्वष्टा विश्वकर्मा अर्थात देवों के आचार्य देवशिल्पी विश्वकर्मा का भी विस्तृत परिचय है। साथ ही इसमें वैदिक शिल्पी ब्राह्मण अर्थात रथकार ब्राह्मण ,पांचाल ब्राह्मण तक्षा ब्राह्मण आदि शिल्पियों को ब्राह्मण मानते हुए उनका प्रमाण है। ‘ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है। ‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है। ‘ वंश मल्लिका ‘ नामक ग्रंथ जिसके रचयिता प्रसिद्ध विद्वान पंडित मन्नूलाल शर्मा थे। यह पुस्तक भी लगभग 80 से 100 वर्ष पुरानी है। इसमें विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों के अनेक वर्गों का उल्लेख है। जैसे विश्वकर्मा ब्राह्मण , रथकार ब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण, जांगिड़ ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण , आचार्य ब्राह्मण, ओझा या झा मैथिल ब्राह्मण आदि। इस पुस्तक में इनकी शास्त्रो के अनुसार उत्पत्ति ,वंशावली एवं गोत्रावली का विस्तृत वर्णन है। इस पुस्तक में विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को वेदों के अनुसार एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के ब्राह्मणों के मूल कर्म का पूर्ण अधिकारी शास्त्रीय प्रधानों के आधार पर बताया गया है।
@vishwakarmamedia
@vishwakarmamedia 2 жыл бұрын
How we can buy the book?
@manishvishwakamarmanishvis2256
@manishvishwakamarmanishvis2256 4 ай бұрын
पंडित जी ये पुस्तक कहां से प्राप्त हो सकती है
@gyanendrakumar9731
@gyanendrakumar9731 3 жыл бұрын
Vishawkarma Brahman jindabaad
@Inspir77
@Inspir77 Жыл бұрын
Hi! Sir, your detailed study on vishwakarma is amazing. 👏👏. How to contact you sir?
@akanshapanchal6773
@akanshapanchal6773 Жыл бұрын
👌👌👌
@vikastiwari1866
@vikastiwari1866 Жыл бұрын
Ab to ik ho sab aur apni situation aaur aage badhao upsc pcs judge her jagah kabja bnao
@Sanwariya_Gamer
@Sanwariya_Gamer 2 жыл бұрын
Sir you are great
@HiteshGawle-bm4lj
@HiteshGawle-bm4lj 10 ай бұрын
गुरुजी शत-शत नमन !
@svppanchal
@svppanchal 2 жыл бұрын
Jai Bhagwan Vishwakarma 🙏🏻
@vipinkumartomar6313
@vipinkumartomar6313 2 жыл бұрын
Om shanti
@propertieskanpur
@propertieskanpur 2 жыл бұрын
Deep Knowledge, spread it everywhere.
@janakiramdamodar
@janakiramdamodar 2 жыл бұрын
ಓಂ ಶಾಂತಿ:🙏🌹🌹🌹Om shanthi 🙏🌹🌹🌹ഓം ശാന്തി:🙏🌹🌹🌹
@jyotikashiv5747
@jyotikashiv5747 3 жыл бұрын
भगवान ब्रम्हा जी ही विश्कर्मा जी है या यूं कहें कि ब्रम्हा जी ही विश्कर्मा जी हैं विश्कर्मा जी ब्राह्मण है इसी में जांगिड़ ब्राह्मण भी आते है महराज आप की बूक हमे लेना है कहा मिलेगी कैसे मंगाए बताइये हम तो अपने आप को रावण वँशी ही कहते है रावण महान ब्राह्मण थे 🙏🙏
@sushilpanchal5637
@sushilpanchal5637 3 жыл бұрын
पांचाल और जांगिड एक ही मैडम
@ShubhamKumar-cs7qx
@ShubhamKumar-cs7qx 2 жыл бұрын
Are.murkh vagwan vishwkarma.se.devi debta peda huye.hai bahramma se.risi muni peda.huya hai
@ShubhamKumar-cs7qx
@ShubhamKumar-cs7qx 2 жыл бұрын
Barhmma or vishwkarma.vagwan ak hokar vhayi k sorup hai dono vhayi ke bansaj se lagan huya hai bahrma.ne risi muni ko janam doya.vishwkarma.vagwan.ne apne pacho putro ke sath devi.debta ko janam doya
@ShubhamKumar-cs7qx
@ShubhamKumar-cs7qx 2 жыл бұрын
Or dono ke bache se sadi.bibah huya hai sanar chalane ke liye hai.vagwan vishwkarma.ke.pacho putr.pirthibi par.sakar.rup.me.sadharan hai or devi devta adirist.hai bas.itne antar hai
@SonuSingh-be3rs
@SonuSingh-be3rs 3 жыл бұрын
Jai vishwakarma ji
@yashpanchal9802
@yashpanchal9802 2 жыл бұрын
यह पुस्तक कहां मिलेगी ????
@harishkumarpanchal3589
@harishkumarpanchal3589 2 жыл бұрын
BILKUL SAHI BAAT H
@AjayKumar-el5gg
@AjayKumar-el5gg 10 ай бұрын
Sir ye book khaa milege panchal bharaman parkash
@SubhashChandra-ik6pi
@SubhashChandra-ik6pi 8 ай бұрын
Vishwakarma ki Janam tithi Kaya hai aur Vishwakarma Bansaj ki kitab kitne me on line milegi
@pljayhind8123
@pljayhind8123 2 жыл бұрын
विश्वकर्मा भगवान की जय
@SB-wu6pz
@SB-wu6pz 3 жыл бұрын
Time to consolidate all the Brahmin community.Total population will be around 20 crore in India.
@vikastiwari1866
@vikastiwari1866 Жыл бұрын
Yes sab ik ho tab bhumihar brahamn chitpawan brahman mohiyal brahman Tyagi brahman vaidic brahman Tiwari Mishra Shukla aur hussaini brahman panchal brahman
@HandmadeDariAurPayadan
@HandmadeDariAurPayadan 3 ай бұрын
@@vikastiwari1866 ❤❤
@HandmadeDariAurPayadan
@HandmadeDariAurPayadan 3 ай бұрын
@@vikastiwari1866 Bilkul sahi kaha Bhai
@wazirsingh7030
@wazirsingh7030 3 жыл бұрын
Panchhal Haryana me kon si jati hai. Yahan jati se pahchan hoti hai.
@TheQuestURL
@TheQuestURL 3 жыл бұрын
Sir Panchal is a group of five casts. These all believed to be in the lineage of Shri Vishavakarma. You may consider Vishvakarma ji as the chief architect and engineering of the gods. These five casts are : Lohar ( blacksmiths ), carpenters ( Badhi) goldsmiths ( sunar) stonemasons and coppersmith.
@abhaysharma9294
@abhaysharma9294 3 жыл бұрын
ये सभी पुस्तक कहा से प्राप्त होगी।
@Realityofhealth
@Realityofhealth 2 жыл бұрын
Jai ho panchal
@mansi2257
@mansi2257 3 жыл бұрын
Ye book kaha se mngaye
@panchal582
@panchal582 3 жыл бұрын
Sir ....please provide PDF of panchal smaj ki vibutiya.....
@daxpanchal5886
@daxpanchal5886 Жыл бұрын
PANCHAL SAMAJ ALWAYS BRAMHIN BUT WE NEVER DID EGO THAT WE ARE BRAMHIN🤙🤙🤙
@beluga4675
@beluga4675 Жыл бұрын
​@@VaiShNav51 you are panchal?
@beluga4675
@beluga4675 Жыл бұрын
@@VaiShNav51 bta skte ho panchal community k bare main ?
@beluga4675
@beluga4675 Жыл бұрын
@@VaiShNav51 han bhai ye to hai
@beluga4675
@beluga4675 Жыл бұрын
​@@VaiShNav51dharu gotra k bare main bta skte ho panchal ki?
@KapildeosharmaSharma
@KapildeosharmaSharma 8 ай бұрын
​@@VaiShNav51tumko itna patah nhi hai ki lohar ki vishwakarma mah aata hai panchal mah panchal matlab kya hota hai five usma lohar bhi aata hai bhai Thora Gyan rakho 😂😂
@SauravKumar-gp5ve
@SauravKumar-gp5ve 3 жыл бұрын
Panchal,dhiman,jahind, suthar,luhar aur badhai sabhi sastra aur bayd Mai Brahmin hai aur iskay pouranik kitabo Mai bahut saray parman miltay hai
@Chairman_LmaoZedong
@Chairman_LmaoZedong 2 жыл бұрын
Gotra kya hai inn logon kya ?
@chandrabhusan5430
@chandrabhusan5430 2 жыл бұрын
Angira bhardawag sandilaya aatri etc
@KapildeosharmaSharma
@KapildeosharmaSharma 8 ай бұрын
​@@Chairman_LmaoZedonggotra sandhilya joh ki Brahmin ka hota hai aur bhi bahut sara gotra hai jaisa bharadwaj aur bhi bahut sara
@Chairman_LmaoZedong
@Chairman_LmaoZedong 8 ай бұрын
@@KapildeosharmaSharma mera bhi Shandilya hi hai 😊
@Chairman_LmaoZedong
@Chairman_LmaoZedong 8 ай бұрын
@@KapildeosharmaSharma mera bhi shandilya hi hai 😊
@girishvishwakarma986
@girishvishwakarma986 2 жыл бұрын
Om Vishwakarmaney namah
@रविपांचालशास्त्री
@रविपांचालशास्त्री 3 жыл бұрын
अहं भवान् पर्णामः करोमि
@amarnath8410
@amarnath8410 3 ай бұрын
🙏jay shri vishwakarma ved me parmatma shri vishwakarma ki eheshwar dev bataya ga hai aur aadinarayan hiranyagarbh nirakar kaha gaya hai aur sampurn bramhmans ke sristikarta hai.
@AjayKumar-tv5yf
@AjayKumar-tv5yf 6 ай бұрын
Bhohat Acha
@harshsharma6594
@harshsharma6594 3 жыл бұрын
Brahman samaj 🙏
@AnjaliKumari-sj7rs
@AnjaliKumari-sj7rs Жыл бұрын
Panchal surname only lohar likhte hai kya....
@Himanshus869
@Himanshus869 Жыл бұрын
Nhi har viswakarma brahman likhte e hai jisse gyan hota hai
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