पूर्णिमा शब्द की आवृत्ति पर दोनों कलाकारों की ओर से बेहतरीन प्रस्तुती | लेकिन गुरू पूर्णिमा को गुरू पूर्ण मा कहना सुसंगत नहीं | माँ का अपना अलग स्थान है, पिता का अलग और गुरू का अलग | राम कृष्ण से को बड़ा, तिनहूं तो गुरू कीन्ह | तीन लोक के वे धनी, गुरू आगे आधीन || माता पिता द्वारा दिए गए ज्ञान का एक सीमित दायरा है | मातु पिता बालकहिं बोलावहिं |उदर भरै सोइ धर्म सिखावहिं || लेकिन गुरू गुरू बिन ज्ञान न ऊपजै,गुरू बिन मिलै न मोष | (मोक्ष) गुरू बिन लखै न सत्य को, गुरू बिन मिटै न दोष || यह तन विषय की बेलरी, गुरू अमृत की खान | सीस दिए जो गुरु मिलैं, तौ भी सस्ता जान ||