क्या श्री राम ने शिवलिंग की पूजा की थी? सत्यार्थ प्रकाश, ग्यारहवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर

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Prahari

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Күн бұрын

सत्यार्थ प्रकाश को ऑनलाइन पढ़ने के लिए- satyarthprakash...
वेदों को ऑनलाइन पढ़ें-
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१. सत्यार्थ प्रकाश - रात्रि 8:30 बजे से (यू-ट्यूब पर)
२. योग दर्शन - प्रातः 6 बजे से (ज़ूम पर)
३. ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका - गुरुवार प्रातः 5:30 बजे से (ज़ूम पर)
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Пікірлер: 345
@ArjunguptaModi1385-d1b
@ArjunguptaModi1385-d1b Ай бұрын
Om
@वैदिकसनातनीआर्य
@वैदिकसनातनीआर्य 11 ай бұрын
जय आर्य समाज जय महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी 🙏🏻🙏🏻
@balwansingh9948
@balwansingh9948 11 ай бұрын
जय श्री राम
@rajkumarrawal6281
@rajkumarrawal6281 11 ай бұрын
ओऊम सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जय
@satyapalsharma3129
@satyapalsharma3129 Ай бұрын
आपने पैसा कमाने का बहुत अच्छा तरीका निकाला है ।
@JitendraKumar-ir6lx
@JitendraKumar-ir6lx Ай бұрын
Aapne kitna diya
@Dharamveersingharya3887
@Dharamveersingharya3887 11 ай бұрын
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो आर्यावर्त की जय हो भारत माता की जय हो आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहे ओम का झंडा ऊंचा रहे आचार्य जी को नमस्ते
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 11 ай бұрын
वैदिक धर्म की जय कैसे होगी ? आप वैदिक और पौराणिक में बंटकर चूर्ण हो रहे हैं पिसे को क्या पीसना|
@adityasahu1702
@adityasahu1702 11 ай бұрын
@RaviKumar-so7eh
@RaviKumar-so7eh 11 ай бұрын
वेद तो श्रीमन नारायण के स्वांस से प्रकट हु़वा है इसीलिए श्री नारायण ही परब्रह्म है वो साकार भी है
@SrsinghSingh-e3z
@SrsinghSingh-e3z 11 ай бұрын
हिन्दु या सनातन धर्म नही ‌ ‌‌ मानवता पर कलंक है जनेऊ का जहरीला डंक है
@SrsinghSingh-e3z
@SrsinghSingh-e3z 11 ай бұрын
हिन्दु या सनातन धर्म नही ‌ ‌‌ मानवता पर कलंक है जनेऊ का जहरीला डंक है
@bhanupratapsinghchauhan2446
@bhanupratapsinghchauhan2446 11 ай бұрын
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो।
@adhyatmikaasthachannel690
@adhyatmikaasthachannel690 11 ай бұрын
Ati sundr jay ho
@SurenderSingh-tb3il
@SurenderSingh-tb3il 11 ай бұрын
ओ३म सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
@urbesh6020
@urbesh6020 5 ай бұрын
श्री तुलसीदास दास जी राम चरित मानस में लिखा है चौपाई मोरे मन यह परम कल्पना । करिहहु यहां शंभु थापना।।
@kaushalchandra949
@kaushalchandra949 11 ай бұрын
काफी सार्थक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई।
@shivshakti5262
@shivshakti5262 11 ай бұрын
Har har mahadev ❤
@stunterboy7293
@stunterboy7293 11 ай бұрын
शिवा का अर्थ परमात्मा लिंग का अर्थ कामवासना और ऋग्वेद 10 में मंडल में तो खुद ही कहा गया है कि ईश्वर की कामना से ही यह जगत की उत्पत्ति हुई गीता में भी श्री कृष्णा कहां है की प्रकृति याेनी है और उसके गर्भ में बीज डालने वाला मैं पिता पुरुषोत्तम हू फिर शिवलिंग पूजा गलत क्योंइस संसार में हर एक जीव की उत्पत्ति माता और पिता से ही हुई है माता की योनि पिता का लिंग फिर चाहे वह वेद के ऋषि हो चाहे कृष्ण हो चाहे दयानंद सरस्वती हो चाए आप और मैं हूं लिंग और योनि पूजा सनातन है इनको प्रमाण की जरूरत नहीं गहराई के अनुभव की जरूरत है
@prashantmuni
@prashantmuni 11 ай бұрын
ईश्वर ना तो मनुष्य की तरह और प्रकृति भी न नारी की तरह होती है। ईश्वर सर्व शक्तिमान चेतन और प्रकृति त्रिगुणात्मक जड़ पदार्थ है ईश्वर अपनी इच्छा शक्ति से प्रकृति में कंपन पैदा कर देता है और सृष्टि बनने लगती है। वह ईश्वर पुरुष की तरह प्रकृति को योनि मानकर संभोग नहीं करता है। ऐसी घिनौनी कल्पना वेद विरुद्ध वामपंथियो ने महान योगी शिव को कलंकित करने के लिए की है।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
👉 पूजा तो परमात्मा की करनी चाहिए और यही पूजा सनातन है। शरीर और शारीरिक अंग यह प्रकृति के विकार है, न तो यह जीवात्मा हैं और न परमात्मा। जो संसार को बनाने की कामना करता है, जो सबका माता-पिता, सृष्टि को बनाने वाला और मनुष्य के शरीरों को बनाने वाला परमात्मा है, उसकी पूजा को छोड़कर शरीर और उसके अंगों के चित्र आदि प्राकृतिक विकारों की पूजा नहीं करनी चाहिए। 👉 और श्री कृष्ण ने गीता में कहीं यह नहीं लिखा कि लिंग और योनि की पत्थर आदि से मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करो, परंतु परमात्मा की उपासना के लिए उन्होंने ध्यानयोग की विधि बताई है और विशेष कर उसका वर्णन छठे अध्याय में किया है। योगदर्शन ग्रंथ में भी परमात्मा की उपासना के लिए योग अर्थात् ध्यान और समाधि आदि का वर्णन है। 👉 यह ठीक है कि काम द्वारा मनुष्य के लिंग और योनि के प्रयोग से संतानों की उत्पत्ति होती है, परंतु वेद और गीता में ब्रह्मचर्य को भी विशेष स्थान दिया गया है कि इन अंगों पर संयम किया जाए। इसलिए इनको वस्त्रों से ढक कर भी रखा जाता है। यह कहीं गीता में नहीं लिखा कि उनको खुला करके लोगों को सार्वजनिक दिखाया जाए अथवा इनकी फोटो और मूर्ति बनाकर सार्वजनिक रूप से प्रचारित किया जाए और इनको भोग लगाया जाए, जैसा कि मंदिरों में होता है। 👉 फिर जो पत्थर के लिंग बनाते हैं, वह कुछ खाते तो है नहीं, फिर व्यर्थ में लोगों को दिखावा क्यों किया जाता है, कि इनके द्वारा हम परमात्मा को भोग लगा रहे हैं। गीता में तो काम, क्रोध और लोभ को नरक का द्वार भी माना है। एक जगह तो श्रीकृष्ण ने गीता में यह भी लिखते हैं कि काम के कारण मनुष्य का ज्ञान ढका रहता है, इसलिए काम को मारो। सीधी सी बात है, जहां काम है, वहां ब्रह्मचर्य और संयम का महत्व उससे भी अधिक है, जो कि योग की सीढ़ी का काम करते हैं। यह शिवलिंग की पूजा सनातन नहीं है, योग हमारी सनातन विद्या है, जिसके द्वारा परमात्मा की उपासना की जाती है। महर्षि पतंजलि अष्टांगयोग में योग के अंतर्गत ब्रह्मचर्य को भी स्थान देते हैं। गीता में कहां लिखा है कि षुरुष के लिंग और नारी की योनि की मूर्ति बनाकर उसे ईश्वर मानकर दूध, जलादि का भोग लगाओ? प्रिय बंधु! ईश्वर की उपासना बाहर नहीं, भीतर अपने अंतरात्मा में होती है, जहां ईश्वर मिल सकता है। इसलिए गीता में कहा है कि योगी उस असीम ईश्वरीय परमानंद का अनुभव करता है, जो कि उसकी अंतरात्मा में है - *🌷बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत् सुखम्। स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते॥🌷* - गीता ५/२१ *पदार्थः* - (बाह्य-स्पर्शेषु अ-सक्त-आत्मा) बाह्य-स्पर्शों में अनासक्त आत्मज्ञानी (विन्दति) प्राप्त करता है, [उस] (सुखम्) सुख को (यत् आत्मनि) जो आत्मा में है। (सः ब्रह्म-योग-युक्त-आत्मा) वह ब्रह्म-योग से युक्त रहनेवाला आत्मज्ञानी (अक्षयम् सुखम् अश्नुते) अक्षय सुख को सेवन करता है। *भावार्थः* - जो आत्मज्ञानी इंद्रियों द्वारा प्राप्त होने वाले बाहरी विषयों के सुख में अनासक्त होकर ध्यानोपासना द्वारा ब्रह्मयोग से युक्त होता है, वह उस ईश्वरीय सुख वा आनंद को प्राप्त करता है, जो उसके आत्मा में विद्यमान है और जो अक्षय सुख कहलाता है।
@amorjitnag4388
@amorjitnag4388 11 ай бұрын
Jai shree Ram 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 Jai ved 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@kanhaiyasingh5759
@kanhaiyasingh5759 11 ай бұрын
बहुत सुंदर । आप मिलने योग्य है ।
@savitasharma6873
@savitasharma6873 11 ай бұрын
आर्य समाज अमर रहे स्वामी दयानंद की जय
@satyapalsharma3129
@satyapalsharma3129 Ай бұрын
आप जैसे लोग ही समाज के लिए घातक हैं।आप तो वेदों के विषय में जानते हो फिर भी आपके अंदर घमंड और दिखावा ज्यादा है।आप कभी भी भगवान के प्रिय नही हो सकते । वास्तविक सत्य यह है कि कितने भी ग्रंथ पढ़ लो सत्संग कर लो परंतु ईश्वर में विश्वास नहीं हुआ तो मूर्ख ही माने जाओगे ।हमारे माता पिता ने वेदों को नही पढ़ा पूर्ण विश्वास के साथ भगवान का भजन किया ।हमारी नजर में पूर्ण विद्वान थे ।कहने वाला ग्रंथो को पढ़ने वाला विद्वान नहीं होता है।विद्वान तो करके दिखाने वाला होता है ।
@AmitSingh-vj6wu
@AmitSingh-vj6wu 11 ай бұрын
🕉️ Jai shree Ram ❤❤
@karansolanki5556
@karansolanki5556 10 ай бұрын
सत्य ही कह रहे कह रहे हो भैया सत्य को सामने लाने के लिए धन्यवाद
@shobha3417
@shobha3417 11 ай бұрын
🙏🙏
@prannathtripathi9872
@prannathtripathi9872 Ай бұрын
धन लूटते रहो। वकवास करते रहो। गीता रामायण की निंदा करते रहो।
@mahendrasharma3141
@mahendrasharma3141 7 ай бұрын
धन निरंकार जी
@girishgodre9506
@girishgodre9506 11 ай бұрын
जय हो सनातन वैदिक धर्म की।।
@bhagwandass1070
@bhagwandass1070 4 ай бұрын
Hamein vedik dharam ko gehraai se samjhne kee zaroorat hei
@brijendrasingh4749
@brijendrasingh4749 11 ай бұрын
बहुत-बहुत धन्यवाद आचार्य जी, सत्य का उद्घाटन करने के लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं। विद्वानों को जनमानस से ऐसे तथ्यों को दूर करने का प्रयास करना ही चाहिए। जय सनातन धर्म की।
@chaudharyjitendrasingh293
@chaudharyjitendrasingh293 11 ай бұрын
वैदिक धर्म की जय
@RajeshSingh-jf7cf
@RajeshSingh-jf7cf 3 ай бұрын
क्या आप पुरानो को गहराई से जानते है आप पहले परमात्मा को पाओ और फिर दुसरो को समझाओ
@amrendrasingh-rh3sc
@amrendrasingh-rh3sc 3 ай бұрын
"अत्र पूर्वं महादेवः प्रसादमकरोद् विभुः" को आप मानते हैं। यहां भगवान श्रीराम महादेव किसे कहते हैं। निश्चय ही यह उपाधि उन्होने अपने से शक्तिशाली सत्ता के लिए कही होगी। यह इंद्र नहीं हो सकते क्योन्कि श्रीराम उन्ही के भय को दूर करने के लिए अवतरित हुए थे। अतः यहां इंद्र श्रीराम से बड़े देव नहीं हो सकते। भगवान शिव के लिए ही यह उपाधि है। कारण कि यहां भगवान श्रीराम से श्रेष्ठ सत्ता उनके अतिरिक्त किसी की नहीं सिद्ध होती। अतः महादेव शब्द शिव के लिए है। आपने कहा वाल्मीकी श्रीराम को भगवान का अवतार नहीं मानते। यह गलत है। आप बालकांड का 16 सर्ग पढें। महर्षि वाल्मीकी स्पष्ट रूप से भगवान श्रीराम को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं। श्रीरामचरितमानस के बारे में प्रतीत होता है आपने कभी पढी ही नहीं। इसमें लंकाकांड के दोहा संख्या 1 के बाद 6वां चौपाई स्पष्ट लिखा है- "लिंग थापि बिधिवत करी पूजा। सिव समान प्रिय मोही न दूजा।।" इस चौपाई का भी अनर्थ कीजिएगा?? यह पूल बनाने के स्थान पर ही शिवलिंग स्थापना की स्पष्ट चर्चा लिखी हुई है। यदि आप श्रीरामचरितमानस को मानते हैं तो श्रीराम कथा के लिखित संग्रह के रूप मात्र में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण प्रथम स्थान रखता है। ऐसा नहीं है कि इसके अतिरिक्त अन्य रामायण झूठे हो गए। क्यों महर्षि दयानंद जी का नाम हंसवाते हैं? पूरी तैयारी करके आइए।
@harishchandrakasaudhan1678
@harishchandrakasaudhan1678 4 ай бұрын
अगर वाल्मीकि रामायण में शिव जी की चर्चा नहीं है तो रावण किस शिव जी का भक्त था आपको विचार करना चाहिए और हां अगर रामायण काल में शिव जी नहीं थे तो माता सीता के स्वयंबर में भगवान राम किस शिव धनुष को तोड़े थे आप विचार कीजिए और इसपर भी एक वीडियो बनाइए
@parbhakarprasad153
@parbhakarprasad153 11 ай бұрын
अत्रेति प्रकृते विशेषणादेव विभोरपि भगवत: स्थानविशेषेभिव्यक्ति: लिङ्गरूपेण सिद्ध्यति
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
कठोपनिषद के अनुसार परमात्मा अलिंग है - *अव्यक्तात्तु परः पुरुषो व्यापकोऽलिङ्ग एव च । यं ज्ञात्वा मुच्यते जन्तुरमृतत्वं च गच्छति ॥* कठोपनिषद २.३.८ - अव्यक्त वा सक्ष्म मूल प्रकृति से भी सूक्ष्म परस्मात्म-पुरुष सर्वव्यापक एवं अलिंग-चिह्नरहित है, उसे जानने वाला जीवात्मा मुक्त हो जाता है और अमृतत्व को प्राप्त होता है ॥८॥
@SONUSonukumar-c4p
@SONUSonukumar-c4p 4 ай бұрын
बोलने से कुछ नही होता गपोड तो तुम खुद हो राम ही परम ब्रह्मम है नाम अनेक है तत्व एक है वह सकार भी है निराकार भी है विश्वास करने की जरूरत है जय श्रीराम
@rajubawa4372
@rajubawa4372 11 ай бұрын
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय सनातन
@bhagwandass1070
@bhagwandass1070 4 ай бұрын
Sanatan ko bhee gehrai se samjhne kee zaroorat
@kavandesai8459
@kavandesai8459 11 ай бұрын
ओ३म्🚩 नमस्ते आचार्य जी🙏
@mnpcontent5073
@mnpcontent5073 11 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏 pranaam guruji 🙏🙏🙏🙏
@Aryaji-r8p
@Aryaji-r8p 11 ай бұрын
सादर नमस्ते जी।
@rampherverma9965
@rampherverma9965 11 ай бұрын
अच्छी जानकारी है। साधुवाद
@RavishKumar-ug4cm
@RavishKumar-ug4cm 11 ай бұрын
आचार्य जी को सादर प्रणाम
@umeshkumarbhagat1844
@umeshkumarbhagat1844 10 ай бұрын
Acharyaji दुर्गा माता का उत्पति के बारे में भी बता दे
@jivubhaipatel2984
@jivubhaipatel2984 11 ай бұрын
Sach kha.
@user-yf4dp7ix3s
@user-yf4dp7ix3s 5 ай бұрын
Aap mere baat ka answer nahi dete but mai kahta hu krishna ne kaha hai pahle sakar puja se shurawat kare dhere dhere nirakar badhe jaisa baccha pahle kg mai padhta dhere स्तर mai vridhi hoti hai aur aage ki class mai jata hai nirakar brhm ki aur badhana bhi dhere dhere hota ek baccha kabhi nirakar brahm ko na samgh payega guruwar 🙏🙏🚩🚩 pranaam 🙏🙏🚩🚩 om tat satt 🕉️ bhaiya 🙏🙏🚩🚩
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 11 ай бұрын
वेद मुझे मेरे प्राणों से प्यारे हैं गौ हमारी माता से प्यारी है लेकिन खुद को वैदिक कहकर हम पुराणो की निन्दा नही सह सकते क्यों कि पुराण उसी निराकार के साकार रुप का दर्शन कराते हैं| शैयद इब्राहिम रसखान को श्रीकृष्ण मिल सकते हैं हमें नहीं? तुम आर्यसमाजी केवल और केवल हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हो | खुद भी गर्त में जा रहे हो| बदलाव प्रकृति का नियम है | यदि भक्त की पुकार पर वेद पुरुष रुप धारण नहीं कर सकता तो हम ऐसे ईश्वर की ऐसे ब्रह्म की ऐसे भगवान की निन्दा करते हुए उसके सर्वशक्तिमान न होने के कारण वैदिक भगवान का त्याग ही अच्छा समझेंगे|
@AdyaRai345
@AdyaRai345 11 ай бұрын
Purano me mughlo ne milawat kar rakhi hai,use padhna bekar hai
@alkasingal
@alkasingal 10 ай бұрын
@@AdyaRai345 kya praman hai ki muglon ne puran brasht kiye. Kya praman hai ki puran brasht hue?
@TapanDas-c7j
@TapanDas-c7j 3 күн бұрын
You are right
@Aryavartbharat563
@Aryavartbharat563 11 ай бұрын
यज्ञ और संध्या उपासना ही आर्यो की पहचान है राम ने यज्ञ की रक्षा के लिए धनुष उठाया ना की पाषाण की रक्षा के लिए।।
@yajnaparivar7179
@yajnaparivar7179 11 ай бұрын
आचार्य जी नमस्ते ।मुझे लगता है कि मैक्स्म्यूलर की तरह मध्यकाल में भी वेदव्यास जी ने अपने आप को सर्वोच्च आसन पर स्थापित करने के लिए अन्य महान ऋषियों को चुनौती दी और यह पुराण लिखकर और वेदों के आधार पर कपोलकल्पित मनगारन्त कहानी “पुराण” लिखडाली और वैदिक संस्कृति पर प्रश्नचिनह लगा दी ।
@omchauhan1821
@omchauhan1821 11 ай бұрын
😅😅😅😅😅😅 muje bhi lagta hai tera dimaag 😅abhiman se bhar gaya hai aur tu apne apko bahot bada gyaani samaj raha 😅hai par vo tera ek bharm hai
@RaviKumar-so7eh
@RaviKumar-so7eh 11 ай бұрын
​@@omchauhan1821😂😂😂😂
@tungnathsharma247
@tungnathsharma247 7 ай бұрын
रामायण चौखम्भा प्रकाशन वाराणसी की प्रमाणिक है या गीता प्रेस गोरखपुर की? या आर्य समाज की प्रमाणिक मानें। यदि आर्य समाज की रामायण प्रमाणिक है तो टिप्पणियां बहुत अधिक हैं और उलूल जुलल भी हैं।
@anandpandey9143
@anandpandey9143 6 ай бұрын
Chaukhamba ka lo , Gita press ka accha nahi hai
@samirmondal312
@samirmondal312 11 ай бұрын
कोई ग्रन्थकि सारे बात अच्छी अर सत्य नेही है। सत्यार्थमे कुछ मिथ्या होते है, दयानन्द ज़ी बेदकी कितने बातको माना है? दुनिया मिथ्या माया जगत है! पुराणमे कितना सच्चाई है देखनेकी जरुरत नेही है, जोकुछ अच्छा लगे उठालो। मानोतो गंगा मा है, श्रद्धा है, भक्ति है । अनु परमाणुमे ईश्वर है, देब दबीमे निराकार ईश्वरके रूप है।
@kishorji7887
@kishorji7887 9 ай бұрын
आर्य समाज की जय आचार्य जी नमस्ते
@DevendraKumar-ux1bg
@DevendraKumar-ux1bg 11 ай бұрын
क्या समाज अभी उच्च नीच छुआछूत के भेदभाव से कम बटा है क्या तुझ जैसा तुच्छ प्राणी समाज को बांट कर अपने आप को बहुत अच्छा समझते हैं बहुत ज्ञानी है😡😡😡
@ashcharya27
@ashcharya27 11 ай бұрын
नमस्ते आचार्य जी। रामचरितमानस में लिंगस्थापना की चर्चा है। मैं भी वैदिक मत और ऋषि दयानंद के विचारों को ही मानता हूं। परन्तु शायद आपसे एक बात छूट गई, कृपया समाधान करें।रामचरितमानस के लंकाकांड के शुरु में ही एक चौपाई आती है - लिंग थापि विधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।। (मैं भी भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र के लिए वाल्मीकि रामायण को ही प्रमाण मानता हूं)
@brucechetri2886
@brucechetri2886 11 ай бұрын
Bilkul
@RaviKumar-so7eh
@RaviKumar-so7eh 11 ай бұрын
ईश्वर साकार भी है ये आपको रिसर्च करना है साकार और निराकार के प्रति रही बात आर्य समाजी की तो क्या दयानंद वेद व्यास ,वाल्मिकी और तुलसीदास जी से ज्यादा ज्ञानी थे जो साकार ईश्वर की बात कही है पूरी विस्तार से
@brucechetri2886
@brucechetri2886 11 ай бұрын
@@RaviKumar-so7eh sakar roop hai shiv Vishnu Ram Krishna Brahma Hanuman Ganesh aur deviyan aur bhi baki devta hena uske baad nirakar toh wohi param brahm hi toh hoga
@RaviKumar-so7eh
@RaviKumar-so7eh 11 ай бұрын
@@brucechetri2886 अरे भाई परब्रह्म की ही साकार रूप ब्रह्मा ,विष्णु, महेश यही सर्वोच्च है
@RaviKumar-so7eh
@RaviKumar-so7eh 11 ай бұрын
@@brucechetri2886 आर्य नमाजी बोलते है की श्री राम विष्णु जी के अवतार नही थे वो महापुरुष थे तो आर्य नमाजी ये भी बतावे की श्री राम की मृत्यु कैसे हुई थी उनकी शरीर को अग्नि कौन दिया था ये कहा लिखा है और ये भी बताए की श्री राम जी को जब समुद्र से लंका जाना था तो रामसेतु कैसे बना क्योंकि पानी में पत्थर डालने पर पत्थर तो डूब जाता है तो इसका भी बताए और शिव जी कोई ब्रह्म नही थे तो रावण ने शिव जी की पूजा क्यों करता था
@rohtakya
@rohtakya 10 ай бұрын
Vedik kal kitne samay pahle tha bataye
@vimalverma6068
@vimalverma6068 11 ай бұрын
दयानन्द कलयुग मे पैदा हुये थे ये उनके खुद के विचार हो सकते हैं मगर वाल्मीकि ने लिखा हैं शिव की पूजा की थी रावण शिव भक्त थे
@sp19611712
@sp19611712 6 ай бұрын
.....राम मांसाहारी थे, ऐसा भी लिखा है।। सही है, क्योंकि रामायण में लिखा है।
@jinesh60
@jinesh60 5 ай бұрын
Aap log Sanskrit sikho aur fir valmiki ramayan padho. Fir sahi galat ka nirnay lijiye ...
@TrueIndianHistory
@TrueIndianHistory 3 ай бұрын
Shastro ko khud padhiye. Andhbhakti ke chakkar me kab tak padega rahenge? Shri Ram aur Shri krishna jaise mahapurusho par naa Jane kitne hi lanchan hamare Shastro me milavat se lag gayi lekin ham hai ki mante nahi.
@Nonone36
@Nonone36 11 ай бұрын
वेद का ज्ञान क्या तुम घमंडी लोगो ने मनुष्यों को दिया था क्या? वेद का नाम लेकर ऐसे खुद पर घमंड करते हो जैसे खुद ही वेदों की रचना की इनके आने से पहले वेद नहीं थे? ॐ शब्द कहां से आया पहले ये बता देते, फिर इतनी लंबी बकबक करते
@Aryavartbharat563
@Aryavartbharat563 11 ай бұрын
उपनिषद पढे uncle geeta me bhi om word hai aap nhi padhe to acharya ji ki kya glti
@Ram47988
@Ram47988 11 ай бұрын
आर्य समाज की स्थापना तो करोड़ो साल पहले हुई है स्वामी दयानंद जी ने तो पुनः जागृत किया आर्यो को
@kishoryadav9680
@kishoryadav9680 11 ай бұрын
Rishi Dayanand Ji ke naam per apni roti sekna bahut acchi Tarika hai
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 11 ай бұрын
No one could challenge Swamy Vivekanand jee in America. He proved that Moorty Pooja is pure science. After Swamy Vivekanand jee till date I think no one born on earth who would have challenge his Brain level and adhyaatm level.
@jagannathmaurya1286
@jagannathmaurya1286 11 ай бұрын
चर्चा है तुलसी दास की रामायण में लिंग थापि बिधि वत करि पूंजा। शिव समान प्रिय मो हि न दूजा।।
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
बंधु! श्रीराम की सत्य कथा के लिए वाल्मीकि रामायण ही मूल और प्रामाणिक ग्रंथ है, क्योंकि वह श्रीराम के ही काल में लिखा गया। श्रीराम के विषय में रामायण कालीन जन ही तथ्यों के आधार पर उनकी सत्य कथा बता सकते थे, अन्य नहीं। अन्य जितनी रामायण लिखी गई, वह वाल्मीकि रामायण को ही आधार लेकर लिखी गई, परंतु इन लेखकों ने केवल मूल में ही परिवर्तन नहीं किया, उसमें अपनी ओर से अतिरिक्त मिलावट भी कर दी, जैसे - रामचरितमानस में अहल्या का गौतम ऋषि के शाप से पत्थर की शिला बन जाना ( *गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर* - बालकाण्ड २१०) और श्रीराम के पैर के स्पर्श से उसका जीवित हो जाना लिखा है, जबकि वाल्मीकि रामायण में अहल्या का पत्थर की शिला बन जाना नहीं लिखा है, परंतु यह लिखा है कि श्रीराम और लक्ष्मण ने अहल्या से मिलने पर उसके चरणस्पर्श किये ( *राघवौ तु तदा तस्याः पादौ जगृहतुर्मुदा‌* - बालकाण्ड ४९/१७), न कि श्रीराम ने अहल्या को अपने चरणों से स्पर्श किया। रामचरितमानस के अनुसार राक्षसराज रावण द्वारा सीता का नहीं, परंतु उसकी छाया का हरण किया गया था और वास्तविक सीता ने अग्नि में निवास किया था ( *प्रभु पद धरि हियँ, अनल समानी, निज प्रतिबिंब राखि तहँ सीता* - अरण्यकाण्ड २३/२), जबकि वाल्मीकि रामायण में ऐसा कुछ नहीं लिखा। रामचरितमानस में रावण के महल में अंगद का पृथ्वी पर पैर जमाना और राक्षसों द्वारा प्रयत्न करके भी उसे उठा न पाना ( *झपटहिं टरै न कपि चरन, पुनि बैठहिं सिर नाइ* - लंकाकाण्ड ३४) - यह प्रसंग भी वाल्मीकि रामायण में नहीं हैं। तुलसीदास ने रामचरितमानस में अनेक स्थानों पर सभी नारियों के लिए अपमानजनक शब्द लिख डाले, जबकि वाल्मीकि रामायण में ऐसा एक शब्द भी नहीं है। यदि इन प्रसंगों और बातों को स्वीकार किया जाता है, तो मूल वाल्मीकि रामायण से विरोध होगा, इसलिए मूल को ही स्वीकार करना उचित है। सत्य घटना एक ही प्रकार हो सकती है, दो भिन्न प्रकार की नहीं। अतः जो इन रामायणों में वाल्मीकि रामायण के अनुकूल है, वह अवश्य स्वीकार किया जा सकता है, उसके विरुद्ध नहीं। जब मूल वाल्मीकि रामायण में ही श्रीराम द्वारा शिवलिंग पूजा नहीं है, तो अन्य रामायणों में उसके विरुद्ध प्रसंग को स्वीकार करना मूल कथा की हानि करना ही होगा। अद्भुत रामायण संस्कृत भाषा में रचित २७ सर्गों का काव्य-विशेष है। कहा जाता है कि इस ग्रंथ के प्रणेता भी वाल्मीकि थे। किंतु शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी भाषा और रचना से लगता है, कि किसी बहुत परवर्ती कवि ने इसका प्रणयन किया है अर्थात् यह वाल्मीकि कृत नहीं है।
@alkasingal
@alkasingal 10 ай бұрын
Saaf saaf Mahadev likha hai aur ye usko Shiv ka naam nahi mante to inki problem hai. Vibhu bhi Shiv/Rudra ka ek naam hai (Yajurved mein Rudra adhyay) aur Mahabharat wale sahasranaam mein. Ramayan itihaas hai aur uski Tulna puran(Skanda, Shiv puran etc) se nahin kar sakte. Vedon mein to Ram naam bhi nahin hai. Rudra adhyay mein Shiv naam kai jagah aataa hai aur uska matlab Shiv hi hai. Shiv Nirakar aur Sakaar dono roop hain- Saakaar roop (Shivling) ki bhi katha hai (Agni stambh wali).Ab aap na maanein to aapki problem hai. Ek Dayanand ji ko aap ne sabhi se upar maan liya hai, isi kaaran aap ke sankuchit vichaar hain. Purano ki vajah se hi hamari sanskriti janta mein kayam hai, vedon ka paath ityadi karne ki to har ek ko anumati bhi nahin hai. Arya samaj bas ek vichardhara hai, hindu dharm khali arya samaj tak hi nahin hai.
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
केवल महादेव परमात्मा की प्रसाद वा कृपा से हमको (सेतुनिर्माण हेतु) सामग्री यहांँ प्राप्त हुई, ऐसा वाल्मीकि रामायण में लिखा है, परंतु शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की, ऐसा कहां लिखा है? विभु का अर्थ सर्वव्यापक परमात्मा होता है। जबकि जो पुराणों में शिव का वर्णन है, वह तो केवल कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले एकदेशी व्यक्ति थे, अतः यहां उनका वर्णन नहीं है, परंतु वैदिक परमात्मा का वर्णन है, जिसका मुख्य नाम ओ३म् है और जिसके ब्रह्मा, ब्रह्म, विष्णु, शिव, रुद्र आदि गुण-कर्म-स्वभाव अनुसार वैदिक गौण नाम है। कठोपनिषद के अनुसार परमात्मा अलिंग-भौतिक चिह्नरहित वा निराकार है - *अव्यक्तात्तु परः पुरुषो व्यापकोऽलिङ्ग एव च । यं ज्ञात्वा मुच्यते जन्तुरमृतत्वं च गच्छति ॥* कठोपनिषद २.३.८ - अव्यक्त वा सक्ष्म मूल प्रकृति से भी सूक्ष्म परस्मात्म-पुरुष सर्वव्यापक एवं अलिंग-चिह्नरहित वा निराकार है, उसे जानने वाला जीवात्मा मुक्त हो जाता है और अमृतत्व को प्राप्त होता है ॥८॥ और पुराणों की बात लिखकर क्या करोगे? शिवपुराण, गीताप्रेस, कोटिरुद्रसहिंता ४, अध्याय १२, श्लोक ६-४८ में तो यह भी लिखा है कि शिव की वेदविरुद्ध कामचेष्टाओं के कारण ऋषियों ने उन्हें शाप दिया, जिससे उनका लिंग कटकर गिर गया और जिसको पार्वती की योनि ने धारण किया, इसलिए ऐसे अश्लील पुराणों की बात को क्या स्वीकार करना?
@parbhakarprasad153
@parbhakarprasad153 6 ай бұрын
शास्त्रीजी, यदि आप श्रीरामतापनीयोपनिषद् को प्रमाण नही मानते तब ऋग्वेदसंहिता प्रमाण है इस मे क्या मान है, वो भी कल्पित हो सकती है।
@prannathtripathi9872
@prannathtripathi9872 Ай бұрын
क्या धूर्तता कर रहे हो। अत्र पूर्वं महादेव:प्रसादमकरोत् विभु: यहां महादेव ने सेत् बांधने से पहले स्थापित होकर आशीर्वाद दिए थे। क्यो झूठ बोलते हो। महाभारत से गीता को क्यों हटाया। सनातन धर्म के पूरे समाज को डुबोया है। अर्थ को बदलकर अनपढ भारतीय को नुक्सान पहुंचा दिया। गीता और भागवत के कारण ईसाई भी सनातनी हो रहे है।
@urbesh6020
@urbesh6020 5 ай бұрын
मोर मन यह परम कल्पना। करिया हूं यहां शंभू शंभू स्थापना ।।
@madhubala5611
@madhubala5611 4 ай бұрын
जय हो,सत्य सनातन वैदिक धर्म की ,आप प्रहरियो की जय हो,
@prannathtripathi9872
@prannathtripathi9872 Ай бұрын
अंकित आप पाखंड छोड़ दो।पढे कितना हो झूठी व्याख्या करते हो। प्रसादमकरोद्विभु: का अर्थ तुम नही समझते दूसरे को समझा रहे हो। दयानंद आदि शंकराचार्य के सामने खड़े होने लायक नहीं थे।हर प्रमाण उन्हीं का देते हो।उनके पहले वेद नहीं था क्या। उन्होंने वेद पर भाष्य भी नहीं किया। तिलक जी ने अपना भाष्य लिखा है। बस उन्ही के प्रचार-प्रसार करो। दयानंद के प्रति सबका सम्मान है पर तुमने मिटा दिया।
@govindron3015
@govindron3015 10 ай бұрын
Namaste, Rig ved 7/59/12 Mrityunjay Mantra. Ka Arth ke bare me Hame aap se explanation chahiye (I am from Karnataka, Hindi very poor)
@karunashankarmishra8337
@karunashankarmishra8337 Ай бұрын
रामचरितमानस से, जे रामेश्वर दर्शनु करिहइ। ते तनु तजि मम लोक सिधरिह इ। लिंग थापि बिधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।
@AshokKumar-fe9kl
@AshokKumar-fe9kl 5 ай бұрын
बहुत ही सार्थक प्रयास है।
@SLaloriya
@SLaloriya 11 ай бұрын
कुतर्क…....सामने मिल मत जाना , सीधा अल्लाह मियां को प्यारे हो जाओगे।
@ushadevi-kf3uj
@ushadevi-kf3uj Ай бұрын
मानो तो पत्थर मे भगवान न मानो तो साकार रूप मे भगवान नहीं देखते हैजी जैसै स्वामी दया नंद व उनके अनुयायी शायद आपने बेद पुराणो को नहीं पढा हैजी शिव निन्दा करने वालो को कभी भी मुक्ति नही मिलती है जी न आपके दया नंद को मिली है जी हरि निन्दा न शिब निन्दा आर्य समाज वाले पहले बेदो को पढये जी आपको कोई ज्ञान नहीं है जब अटूट बिस्वास होताहै भगवान मूत्रि से परकट होते देखे हैजी मूरखो समझाना या तर्क करना व्यर्थ ही है
@ratankumaryadav3801
@ratankumaryadav3801 27 күн бұрын
Sanskrit should be made compulsory from 9th standard onwards to enable our students to study Vedas during subsequent classes,this will educate to a great extent parents as well , ultimately leading to filtering out wrong from Purana as well, enlightened persons are saying, public is talking. As for Hindi,it is close to Sanskrit and its knowledge can be built at personal level /any other formal platform to be decided by state education policy committee,these people are arguing, public is talking.
@surendraagrawal2401
@surendraagrawal2401 4 ай бұрын
भगवान राम ने न केवल रामेश्वरम में पूजा की , वरन नो ग्रह का पूजन एवं शिव लिंग की स्थापना भी की, ताकि लंका जीत सके। मेने नवग्रह जो अब समुद्र के किनारे पानी में है १९८७-८८ में, तथा रामेश्वरम भगवान के २२ कुंडों में स्नान करके तीन बार मेरठ से जाकर दर्शन किए पौत्र / वंशज आत्मज्ञानी सर्व विष्णु अवतार परमेश्वरी सहाय गुप्त मेरठ
@rajkumarverma842
@rajkumarverma842 2 ай бұрын
सत्याथॆ प्रकाश सम्मुलास 7 श्रीकृष्ण ईश्वर नहीं हो सकते सम्मुलास 11 यह ठीक है कि दक्षिण देशस्थ राम नामक राजा ने मंदिर बनवाकर लिंग का नाम रामेश्वर धर दिया ।
@alkasharma500
@alkasharma500 8 ай бұрын
बहुत अच्छी तरह से समझ आ गई आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻
@shyamprakash4741
@shyamprakash4741 10 ай бұрын
ओ३म् ओ३म् ओ३म् 🙏🙏
@ravindrajain7480
@ravindrajain7480 8 ай бұрын
पुष्पक विमान था तो कैसा रहा होगा
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 11 ай бұрын
As per Great hidtorian Shree PN Oak sahab the Vedas cannot be cannot be translated fully in any other language on earth. The Great Richaas of the Vedas can be experienced only in our hearts byv long penance very long penance. Only great Sannayis Yogis can understand few Richas of the Vedaas. Because Same Richa gives meaning of Mathematics same richa gives Chemistry theory same Richa can give Physics theory same Richa can give the Theory of Bhramh. they are having so deep amd vast meaning booned by Pitamah Bhramha jee. Hardly any one can experience those meanings. So our great Sage Bhagwaan Vedvyaas jee written simpler forms so that even a common man also can follow the path of Spirituality upto some extent.
@TrueIndianHistory
@TrueIndianHistory 3 ай бұрын
As you mentioned PN oak was historian. He was not a scholar of sanskrit nor even he knows sanskrit grammar. How his commentary on Vegas can be proven correct? It's just your personal biasing. By mentioning his name you trying to narrate your beliefs. We should provide logics & evidences & on those facts we should be ready to accept the truth. In ancient times we had a tradition of shastrarth, where great Rishis used to conclude the things & differentiate between truth & anomalies. It's really sad that we have forgotten those tradition & became superstitious. That is the main reason we were slaves for thousands of years. Anyone who is sanskrit scholars, knows astadhyayi, Chanda & vyakarana can read & understand Vedas. When someone attains stage of samadhi, he can even translate different types of meaning of a single veda mantra. But to attain that stage we need to go through a tough process. We need to go through 8 stages to reach samadhi level.
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 3 ай бұрын
@@TrueIndianHistory Sir, he has not written any commentary on the Vedas. He wrote that the Vedas cannot be translated into other languages. Just like physics chemistry or history every one can study by reading the books. Unlike this the Vedas cannot be understood by just reading them. We have to do strict Penance KATHOR TAPAM then only the Richas of the Vedas will reveal their inner meanings.the same richas can give to Mathamatics aspirants the Sutras of Mathamatics at the same time the same Richa can give the Knowledges of Chemistry who is desirous of knowing Chemistry and the same richa may reveal in our minds the sutras of biology. That Shree P N oak sahab wanted to give. At present We have very short span of life sir. Only 80 to 100 years in Kaliyuga. Earlier our Rishis have got 500 yeas 1000 years or more life span. They were able to do long Penance for understanding the Vedas.
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 3 ай бұрын
@@TrueIndianHistory and regarding Shree P N Oak sahab. He had done meditation of Bhagwaan Shivjee he has his third eye Jagrut a little bit. As per him so many things have been written in his books after seeing the past things in meditation by the third eye. Not like present historians who sit in university mix two or three books and write the history books. A history professor should be an extensive traveller. Bookish knowledge is not enough for history teacher. Or a History professor should be given every 3 to 4 years transfers all over the country. The actual knowledge is gained by seeing every place.
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 3 ай бұрын
@@TrueIndianHistory sir I have stayed in the 12 States of our great Bharat . Visited various monuments Mandirs etc. I have done the study as per Shree P N Oak's books. After study, I found that whatever we have been taught in the shools in history books so many things needs modification or complete change. I found that Shree P N Oak sahab is correct in his books . Sir there is big difference between theoretical knowledge and practical knowledge.
@nandramahirwar6137
@nandramahirwar6137 9 ай бұрын
Bahut tarkik vichar aur jankari hay
@gddd933
@gddd933 10 ай бұрын
कृपया झूठी झूठी घटना का वर्णन ना क्या करें
@karansathawane6560
@karansathawane6560 10 ай бұрын
रामायन भक्ति महाकाव्य है तुलसी दास ने ऊसे जिवित कर दिया भक्ति श्रध्दा की जननी बनी ताे ठीक है नही ताे अंधश्रध्दा बन जाती है
@RamYadav-gj3vd
@RamYadav-gj3vd 3 ай бұрын
Mahoday Lanka kand doha2me "ling thapi bidhivat Kari Puja"likha hai (ramcharit Manas)
@TikaramLuitel-rp1le
@TikaramLuitel-rp1le 11 ай бұрын
Acharyaji ! Veda sabse purana grantha hai, us grantha me tatkalin samajik parives me likhagaya tha, aaj ke liye yeha margadarsak grantha hai , tab se samajik pariwartan kitna ho chhuka hai , o hi pariwartan mutabik sare grantha bante gaye , so hamare puran aadi grantha me varnit aiswerya bhawana ko kaise na mane? yehi sare viswas me sara Sanatani samsaj tikshuwa hai. He hi Sanatan Dharma ka mahanta hai. Or ek bat puchhna chahata hu keya kohi yese aryasamaji milsakta hai jo Nirakar iswar se mil ke yaya ho? us ka nam dene ki kripa kare.
@rameshprasadtiwari5610
@rameshprasadtiwari5610 11 ай бұрын
शनातन धर्म पर टिप्पणी करना सबको बड़ा आनन्द आता है यदि हिम्मत है तो अन्य धर्मों के ग्रन्थ पर भी टिप्पणी कर के बताए। जय हिन्द वन्देमातरम जय सियाराम जय शनातन धर्म धन्यवाद।
@suchitchoudhary
@suchitchoudhary 11 ай бұрын
रमेशप्रस्दिवारी जी पहले आप आर्य समाज और सत्यार्थ प्रकाश पढ़े फर आप इस तरह की बात नहीं कहेंगे, भारत में शुद्धि आंदोलन और विधर्म अपना चुके लोगों को दुबारा धर्म से जोड़ने का काम आर्य समाज ने ही किया था। सुभाष चन्द्र बोस , चन्द्र शेखर आज़ाद, भगत सिंह, सावरकर को जन्म देने वाली संस्था आर्य समाज ही था। गौरक्षा के लिए आंदोलन चलाने वाली संस्था आर्यसमाज ही था ।
@rameshprasadtiwari5610
@rameshprasadtiwari5610 11 ай бұрын
@@suchitchoudhary श्रीमान जी का कहना है कि राम चरित मानस में लिंग शब्द नहीं है कृपया लंका काण्ड में दोहा नम्बर दो की चौपाई नम्बर छः में लिखा है, लिंग थापि विधिवत् करि पूजा।सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।ये श्री राम जी की ओर से कहना तुलसीदास जी द्वारा लिखित है।। श्रृष्टि की रचना ही विना लिंग के नहीं हो सकती है ऐसा मेरा मानना है।आगे मनीषियों के जो भी विचार है।पर रामचरितमानस को,नाना पुराण निगमागम सममतं यदा, के अनुसार लिखा गया है दूसरी वात,हरि अनेक हरि कथा अनंता।कहंहि सुनहिं बहु बिधि सब संता।। और कल्प भेद हरि चरित सुहाए।। किसी भी उत्पत्ति के बाद तो बिवाद होना ये नियम ही है।। जय हिन्द वन्देमातरम जय सियाराम जय शनातन धर्म
@sunilarya7155
@sunilarya7155 4 ай бұрын
ओ३म् नमस्ते जी 🙏
@sanjayvagha
@sanjayvagha 11 ай бұрын
Purano mai Pakhand bhara Pada hai Gapoda puran Juthi khaniya Hai puran mai.
@baliramkumar8560
@baliramkumar8560 6 ай бұрын
Jai shree Ram
@parbhakarprasad153
@parbhakarprasad153 11 ай бұрын
ऋषि को आङ्ग्रेजोङ्को खुश करना था ,अत एव एतादृश क् चिद् क्वचिद् बकवास किये थे
@Shashwatacademy9180
@Shashwatacademy9180 3 ай бұрын
Puja kisika bhi karo bhagawan ki hi hoti hai. Isiliye sab kuchh chhodakar puja kara. Mukti mil jayegi. Jay sreeram.
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 11 ай бұрын
एक कहावत है गुण खिलाए गां--मारे| आप भगवान को मानते भी हो पूजा रोकते भी हो| तुम तो आस्तीन के सांप दिखते हो तुमसे अच्छा तो इस्लाम है जो सीधे अल्ला अकबर कहता और किसी भगवान को नहीं मानता| क्या वेद पूर्ण है? वेद में तो मेरी चर्चा भी नहीं है तो क्या मै नहीं हूँ?
@rajendramishra7423
@rajendramishra7423 11 ай бұрын
भगवान को मानते भी हो पूजा रोकते भी हो|दुधारी तलवार| इस्लाम की तरह सीधे कहते अल्ला अकबर्र और कोई भगवान नही| तुम और तुम्हारे अनुयायी तो आस्तीन के सांप लग रहे हो | जब तुलसीदास 27 कल्प के पहले का रामचरितमानस लिख रहे हैं तो बाल्मीक से तुलना क्यों?
@sharadbhaisoni9286
@sharadbhaisoni9286 11 ай бұрын
,👌👌✔️🙏🚩
@SN.Sharma
@SN.Sharma 2 ай бұрын
गुरुदेव जी प्रणाम अगर आप सच्चाई बता रहे हैं कि श्री राम जी ने रामेश्वर स्थापना नहीं की तो कृपया आप ही बता दीजिए कि रामेश्वर की स्थापना किस राजा ने की आप प्रमाण दे दो आप बता दो कि इस राजा ने रामेश्वर की स्थापना की हम तो आपको ही मान लेंगे सच्चे भगत जी🙏🙏
@surajsinghphotographar9425
@surajsinghphotographar9425 Ай бұрын
Ling tap Vidyut kar Puja Shiv saman ki Mohini duja kyon likha gaya
@yadvendrasharma5671
@yadvendrasharma5671 2 ай бұрын
ॐ नमस्ते जी
@bktiwari2366
@bktiwari2366 11 ай бұрын
Namami samisham nirvanrupm vibhumvyapakam brahmvedam swarupam this is for Shiva by tulsidas
@amitdixit6949
@amitdixit6949 9 ай бұрын
अगर दयन्ननद को मानेगा,राम को कृष्ण,शिव सबको गाली देगा,अपने को ही एकमात्र विद्वान श्रेष्ठ समझेगा,i hate satyrth prkash bahut gatiya kitab hai
@veda-vaani_aacharya-vijay
@veda-vaani_aacharya-vijay 6 ай бұрын
क्यों गलत बात बताते हो। सत्यार्थ प्रकाश में कहीं भी श्री राम और श्री कृष्ण को गाली नहीं दी गई है। यदि ऐसा कहीं लिखा है, तो संदर्भ दीजिए। सत्यार्थ प्रकाश में स्वामी दयानंद ने अधिकतर मनुस्मृति के प्रमाण दिए हैं। क्या मनुस्मृति सनातन धर्म के शास्त्रों में नहीं आता है?
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 11 ай бұрын
Ishwar sakar aur nirakar donon hote hain unki marjee .ye Swamy Vivekanand jee ne Cicago men 1893 men prove kiye the.
@EternalVoice11
@EternalVoice11 6 ай бұрын
Sakar mein kaun hai aur kaun nahi hai ye kaise bataoge
@vasudevpai57
@vasudevpai57 5 ай бұрын
Aacharyaji, Ravan Shiva bhakta tha ya nahi. Shiva Bhakta thaa to, Shiva ka kis roop ka aaradhana karta tha. Iske baareme bhi koi granthokaa Aadhaar se visleshan deejiyega. Regards.
@harishchandrapandit9869
@harishchandrapandit9869 11 ай бұрын
Just I have gone through Valmiki Ramayan Yudhkand Sarg 123 Shlok Nos 19 to 21 after your yutube pravachan
@amitparmar333
@amitparmar333 Ай бұрын
શિવ ધનુષ કા કયા સત્ય હૈ
@shivmangalyadav-xn7jy
@shivmangalyadav-xn7jy 11 ай бұрын
Tulsidas Ji ne likha hai ling tap Vidyut Kari Puja
@richagera4170
@richagera4170 11 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@bhagwandass1070
@bhagwandass1070 4 ай бұрын
Hamein ishwar mein hee vishwash hona chahiea. Kisi bhee manav ko ,chahe vo Kitna bhee maryadit ho,ishwar nahin manna chahiea.Siri Ram jee ne kabhi bhee apne aap ko bhagwan nahin kaha,haan siri Krishan jee ne zaroor Geeta jee mein Mein shavad ka paryog Kiya hei.
@yuvrajturkar7040
@yuvrajturkar7040 11 ай бұрын
ये वास्तु शास्त्र सही होता है। क्या घरों का क्या कहता है वेद हमारा क्योकि इसके नाम पर बहुत लूट मची है। आचार्य जी
@blsoni1309
@blsoni1309 11 ай бұрын
दयानंद कहते थे में 400 साल तक जीवित रहूंगा और 56 वर्ष की उम्र में अतिशार से मर गए इससे सिद्ध होता है वो भविष्य दृष्टा नही थे केवल किताबी कीड़ा थे ओशो की तरह
@keshavharijayshreeram3193
@keshavharijayshreeram3193 11 ай бұрын
💯 % murkh
@Aryavartbharat563
@Aryavartbharat563 11 ай бұрын
😂😂😂 acha bhai kha the aap gyani baba aap lgta hai anpadh hai tbhi koi book nhi padh paye
@prashantmuni
@prashantmuni 11 ай бұрын
महर्षि दयानंद ने कभी नहीं कहा कि मैं 400 वर्ष तक जीवित रहूंगा हां जीने की योग विद्या बताई थी जिसे अपना कर कोई भी योगी 400 वर्ष तक ब्रह्मचर्य और योग से जीवित रह सकता है।
@breakingkhabar
@breakingkhabar 11 ай бұрын
​@@prashantmuniकितने चेलों ने सीखी?
@prashantmuni
@prashantmuni 11 ай бұрын
@@breakingkhabar सीख रहे हिमालय की कंदराओं में और आर्य समाज के संस्थानों गुरुकुलों में। सात्विक आहार विहार से और ब्रह्मचर्य युक्त जीवन से तुम भी लंबी आयु पा सकते हो। आवश्यकता है सत्य सनातन वैदिक धर्म के अध्ययन की।
@naharsinghpanwar7625
@naharsinghpanwar7625 11 ай бұрын
Aaj to aap puranon ko kapda bol rahe hain cal vedon ko bhi kapda bolenge
@legendffgod8929
@legendffgod8929 10 ай бұрын
somnath mandir ka itihas to 10th centuri se pahle ka hai. baar baar toda gaya. is par prakash daale
@shriramyadav7920
@shriramyadav7920 11 ай бұрын
महर्षि दयानन्द का ज्ञान अधूरा है परम् परमेश्वर परम् ब्रम्ह महेश्वर ईश्वरों के परम् ईश्वर एक कृष्ण ही हैं वेदों को पढ़ कर जान लो. जय असंख्य ब्रम्हाण्डेश्वर श्री कृष्ण.. 🌹🙏.
@lekhrajkashyap3861
@lekhrajkashyap3861 10 ай бұрын
Parman de dijiye bhai aap kha par h shri krishan ji ka jikr vedo me
Worst flight ever
00:55
Adam W
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Как мы играем в игры 😂
00:20
МЯТНАЯ ФАНТА
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Worst flight ever
00:55
Adam W
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