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प्रेम, करूणा ,दया, श्रद्धा, समर्पण, शुद्ध-विचार, अहार, व्यवहार ,मौन व एकान्त साधक के अभूषण होते है।
*_एकान्त में रहना। मौन रहना, हर पल साक्षी में रहना। सन्त के अभूषण है..._*😌
स्वामी प्रज्ञान पुरी जी महाराज
प्रभु जी
धार्मिक पहरावा पहन कर भी जिन के मन में ईर्षा-द्वेश, नफरत, निर्दयता है, वह इन्सान कहलाने के काबिल नहीं।
धार्मिक पहरावा पहन कर, धर्म के नाम पर धन्धा करने वाले, समाज से अन्धविश्वास खत्म करने का risk नहीं ले सकते। धन्धा बन्द होने का जोखिम कौन उठाऐगा...
*_स्वामी प्रज्ञान पुरी जी महाराज_*😊
प्रभु जी
थोडा समय किसी भी भाव में भगवान के साथ के भावनात्मक रूप से जुडे़ं व मन ही मन बातें करें, प्यार करें, शिकवे-शिकायतें करें, मन के गुवार निकालें ,मन को हल्का व शान्त कर लिया करें,
*_जागते हुऐ, पूर्ण होश में, कभी कभी भाव में स्वप्न देख लिया करें , आनंद लेना अच्छा है..._*😌
स्वामी प्रज्ञान पुरी जी महाराज
प्रभु जी