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Lyrics
झूठ बराबर पाप नही साँच बराबर तप कोन्यां,
राम नाम के जाप बराबर और दूसरा जप कोन्या॥
सप्त ऋषि सा ऋषि नहीं ह, वेद व्यास सा ज्ञानी ना,
रामचंद्र सा भूप और ना, सीता सी महारानी ना,
रावण सा अभिमानी कोन्यां, लंका सी रजधानी ना,
शिबी दधीचि और हरिशचंद्र, कर्ण सरिसा दानी ना,
सकल सृष्टी का भार धरनिया, शेष समान सर्प कोन्यां॥1॥
चंद्र सरिसा शील और ना,सूरज सा प्रकाश नहीं,
वानर कुल में जन्म लेयकर, हनुमान सा दास नहीं,
सात द्वीप नौ खंड बीच में, स्वर्ग पुरी सा वास नहीं,
काम क्रोध मद लोभ जीत लिया, ऋषियों सा सन्यास नहीं,
पृथ्वी जैसी धीर और ना,आसमान सा चुप कोन्यां॥2॥
वेद सरिसा ग्रंथ और ना, गीता जैसा ज्ञान नहीं,
तानसेन सा गायक कोन्यां, काल जिस्या बलवान नहीं,
गंगा जैसा नीर और ना, अन्न दान सा दान नहीं,
महाभारत सा युद्ध और ना, बाली सा वरदान नहीं,
ध्रुव भगत सा अटल और ना,कल्प समान विटप कोन्यां॥3॥
आज काल का ढंग बिगड़ग्या, कोनी टेम भलाई का,
धोका देकर गला काट दे, सागी भाई भाई का,
मन के भीतर वैर राख ले, ऊपर काम सफाई का,
हरीनारायण शर्मा कहता, कोनी टेम भलाई का,
वैर विरोध फेल गया जग में, आपसरी में संप कोन्यां॥4॥
॥समाप्त॥